नई दिल्ली : ओखला औद्योगिक क्षेत्र में हत्या की वारदात को अंजाम देकर फरार हुए एक शख्स को 21 साल बाद कोलकाता से गिरफ्तार किया गया है. आरोपी की पहचान राजेंद्र के रूप में की गई है. वह बिहार के समस्तीपुर का रहने वाला है. हत्या के इस मामले में उसके तीन साथियों को अदालत सजा सुना चुकी है जबकि चार साथियों पर ट्रायल चल रहा है.
डीसीपी राजेश देव के अनुसार, फरार चल रहे आरोपियों की तलाश में क्राइम ब्रांच की टीम छानबीन कर रही थी. इस दौरान इंस्पेक्टर नरेश सोलंकी की टीम को पता चला कि ओखला में हुई हत्या के मामले में वांछित चल रहा राजकुमार कोलकाता में छिपा हुआ है. पुलिस को 21 साल से उसकी तलाश है. अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित किया हुआ है. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने छापा मारकर पश्चिम बंगाल से उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे कोलकाता की अदालत में पेश कर पुलिस टीम दिल्ली ले आई है. उसकी गिरफ्तारी की जानकारी ओखला पुलिस को दे दी गई है जहां पर उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज है.
डीसीपी राजेश देव के अनुसार वर्ष 2001 में राजकुमार एक कंपनी के साथ सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था. इसके साथ ही वह कंपनी की यूनियन का सदस्य भी था. 12 मार्च 2001 को कंपनी से यूनियन का विवाद हो गया. इस दौरान उन्होंने सीटू यूनियन के प्रेसिडेंट राजेंद्र सिंह और गार्ड अनिल पर हमला कर दिया. इस घटना में उनके द्वारा दोनों की बेरहमी से पिटाई की गई थी. इसके चलते राजेंद्र सिंह की मौत हो गई थी.
साल 2001 में इसे लेकर ओखला थाने में मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में तीन आरोपियों भगवान ठाकुर, अवधेश और मोहम्मद सलीम को गिरफ्तार किया गया था. अदालत में चले ट्रायल के बाद उन्हें सजा भी हो चुकी है. वहीं राजकुमार सहित सात आरोपियों को अदालत ने भगोड़ा घोषित कर रखा था. इस मामले में अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए चार आरोपियों शिवाजी पांडे, मधुरेंद्र सिंह, सुनील कुमार और जयप्रकाश यादव को बाद में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इन पर भी ट्रायल चल रहा है.
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गिरफ्तार किया गया आरोपी राजकुमार 12वीं कक्षा तक पढ़ा हुआ है. वह पहले बिहार के समस्तीपुर में खेती करता था. वह दिल्ली नौकरी की तलाश में आया था. यहां आकर वह सिक्योरिटी कंपनी में साल 1995 से काम करने लगा. उसने यहां पर छह साल तक काम किया. यहां पर उनके विरोध में एक अन्य यूनियन गठित हो गई थी जो कंपनी के हित की बात करती थी.
राजकुमार की यूनियन गार्ड का वेतन बढ़ाने के लिए आवाज उठा रही थी. इसको लेकर हुए झगड़े में उन्होंने राजेंद्र की हत्या कर दी थी. यहां से फरार होकर वह बेंगलुरु चला गया था. 2010 तक वह बेंगलुरु में रहा. इसके बाद वह बिहार के समस्तीपुर जाकर खेती करने लगा. वह अपना नाम बदलकर अलग-अलग जगह पर छिपता रहता था. 2011 में वह बंगाल चला गया और वहां पर ड्राइवर की नौकरी करने लगा. 2021 में वह समस्तीपुर लौटा था. इसके बाद दिसंबर 2021 में वह वापस पश्चिम बंगाल चला गया था.