नई दिल्ली: कोविड -19 की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. दिल्ली सरकार की ओर से 10वीं और 12वीं के छात्रों को स्कूल आने की अनुमति दे दी गई है. स्कूल खोलने को लेकर अभिभावकों का क्या कुछ कहना है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने अभिभावकों और ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष से बात की, जिसमें अभिभावकों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिली.
अभिभावक प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि वह अभी बच्चे को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है. हाल ही में, जिन राज्यों में स्कूल खुले हैं, वहां पर बच्चे कोरोना संक्रमित हो गए हैं. ऐसे में अगर बच्चे कोरोना संक्रमित हो जाते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. सरकार अगर जिम्मेदारी ले कि अगर बच्चे को कुछ हो जाता है, तो उसके लिए जिम्मेदार है, तभी बच्चों को स्कूल भेजेंगे, वरना जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लग जाती, बच्चे को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं हैं.
अभिभावक स्वर्ण सिंह ने कहा कि शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से एक विनती है कि वह पहले बच्चों की सुरक्षा को देखें, तभी स्कूल सभी बच्चों के लिए खोलने का कोई फैसला लें, ना कि बच्चों को टेस्टिंग किट बनाएं.
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अभिभावक मुकेश पांडेय ने कहा कि कुछ इसी तरह से कोरोना की दूसरे लहर से पहले सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला किया था और जिस तरीके से कोरोना की दूसरी लहर में स्थिति रही थी, सभी भलीभांति वाकिफ हैं. ऐसे में बच्चे को स्कूल भेजकर जान खतरे में नहीं डालना चाहते हैं. अभिभावक जितेंद्र राठौर ने कहा कि वह बच्चे को स्कूल भेजकर, उसे टेस्टिंग किट नहीं बनने देना चाहते हैं.
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स्कूल खोलने को लेकर ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ( AIPA ) के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि जिस जगह पर भी कोरोना की स्थिति में सुधार है, वहां पर सरकार को स्कूल खोल देना चाहिए. कहीं स्कूल खोलने की वजह से कोई केस आ जाता है, तो सरकार उस स्कूल को बंद कर सकती है.अब पूरे देश के स्कूलों को बंद रखना सही नहीं है. स्कूल बंद होने की वजह से अभिभावक और बच्चे दोनों काफी परेशान हैं.
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