नई दिल्ली: डीटीसी बसों की खरीद में भ्रष्टाचार को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है. दिल्ली सरकार की ओर से भाजपा के आरोपों के बाद वर्क आर्डर प्रक्रिया रोके जाने को भाजपा ने भ्रष्टाचार की पुष्टि बताया है. वहीं, भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी सहभागिता है. पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की बात कही गई है.
गुरुवार को भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से वर्क आर्डर होने के बाद भी बसों की खरीद को रोक दिया गया है. जो कि साफ दर्शाता है कि मामले में भ्रष्टाचार हुआ और पोल खुल जाने के डर से अब इस प्रक्रिया को रोक दिया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस भ्रष्टाचार के प्लान में शामिल हैं.
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गुप्ता ने कहा कि मौजूदा समय में सरकार इसकी जांच का हवाला देकर प्रक्रिया रोकने की बात कह रही है जबकि सच्चाई यह है कि उपराज्यपाल ने जांच कमेटी 16 जून को बनाई और टेंडर प्रक्रिया उससे पहले 11 जून को ही रोक दी गई थी. ईटीवी भारत से बातचीत में विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि मामले में विजिलेंस अधिकारी ने पहले ही फाइल पर वोटिंग लिख दी है कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है. इसी के बाद दिल्ली सरकार के कान खड़े हुए और आनन-फानन में इसे रोक दिया गया. यह मामला दबाने की कोशिश हुई है.
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उन्होंने कहा कि ऐसा मुमकिन ही नहीं है कि 11 तारीख को जब सरकार की ओर से प्रक्रिया को रोकने के आदेश जारी हुए तब अरविंद केजरीवाल से इसकी सहमति ना मिली हो. मामले में दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत और अरविंद केजरीवाल की सहभागिता है. ये एक बड़ा भ्रष्टाचार है जिसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए. गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने डीटीसी बसों की खरीद को लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी. आरोप लगाया गया कि बसों की खरीद से अलग नई बसों के मैंटेन्स को लेकर पहले ही दिन से प्रति किलोमीटर के हिसाब से कंपनियों को 45 रुपये प्रति किलोमीटर देने की शर्त थी. इसके हिसाब से नई बसों के लिए 90 लाख रुपये रोजाना कंपनियों को दिए जाने थे. इसे कम्पनियों को खुश करने का तरीका और भ्रष्टाचार बताया गया.