नेत्र रोग के मरीजों के लिए दिल्ली एम्स बना रहा ऐप, जानें कब होगा शुरू

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Published : Sep 10, 2022, 2:31 PM IST

AIIMS delhi developing app for eye patients

दिल्ली ऐम्स का डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र, नेत्र रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए ऐप बना रहा है. इससे देशभर में नेत्र संबंधी रोगों के मरीज डॉक्टरों से परामर्श लेकर लाभान्वित हो सकेंगे. इस बारे में आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. जेएस तितियाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. delhi aiims developing app for eye patients

नई दिल्ली: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) का डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र, कॉर्निया के प्रतिरोपण का इंतजार कर रहे मरीजों को बेहतर इलाज देने तथा सर्जरी करा चुके लोगों की देखभाल के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित (delhi aiims developing app for eye patients) कर रहा है. देशभर में नेत्र संबंधी रोगों के मरीज इस ऐप के जरिए एम्स के डॉक्टरों से परामर्श ले सकेंगे. इससे सर्जरी का इंतजार कर रहे मरीजों की लगातार निगरानी करने में भी मदद मिलेगी.

एम्स के आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. जेएस तितियाल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि, 'कोविड ने हमें यह भी अहसास कराया कि हर बार लोगों से व्यक्तिगत रूप से लोगों को देखना संभव नहीं होता है, ऐसे में लोगों से अलग-अलग तरीके से संवाद करना होता है.' उन्होंने कहा, 'इस ऐप के जरिए डॉक्टर सीधे मरीजों से बातचीत कर सकेंगे. इसमें कैमरे की भी एक प्रणाली होगी, जिसका इस्तेमाल कर मरीज अपनी आंखों की तस्वीरें साझा कर सकते हैं तथा अपनी समस्या और लक्षण बता सकते हैं. इससे डॉक्टर उनकी समस्या का निदान कर सकेंगे और अगर मरीज हमारे यहां पंजीकृत है तो हम उन्हें सेंटर में भर्ती होने तथा सर्जरी का वक्त भी दे सकते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि इस ऐप से उन मरीजों की भी निगरानी की जा सकेगी, जिन्होंने सर्जरी करा ली है क्योंकि प्रतिरोपण सर्जरी के बाद नियमित जांच कराना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.

एम्स के आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. जेएस तितियाल

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उन्होंने आगे कहा‚ अगर प्रत्यारोपण कराने वाले व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली उसके प्रतिरोपित अंग पर हमला करती है तो इसका कुछ दिनों के भीतर इलाज किया जाना होता है. अगर मरीज एक या दो हफ्ते बाद आता है तो इसका इलाज नहीं किया जा सकता. अगर ऐसे मरीज पर निगरानी रखी जाती है तो उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है. उन्होंनें बताया कि इस ऐप के छह महीने में शुरू किए जाने की उम्मीद है.

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