नई दिल्ली : दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट की सेशंस कोर्ट ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने के आदेश के खिलाफ CBI की ओर से दायर याचिका पर फैसला टाल दिया है. स्पेशल जज संतोष स्नेही मान ने 16 अप्रैल को फैसला सुनाने का आदेश दिया.
कोर्ट ने 12 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने के एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश पर लगी रोक को अंतिम आदेश आने तक बरकरार रखा है. आठ अप्रैल को कोर्ट ने एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने लुकआउट सर्कुलर नोटिस पर रोक लगाया था. CBI ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस करने के खिलाफ सेशंस कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.
8 अप्रैल को सुनवाई के दौरान आकार पटेल की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आकार पटेल को सात अप्रैल की रात को फिर विदेश जाने से रोका गया. उन्होंने कहा था कि जिस समय कोर्ट लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने का आदेश जारी कर रहा था, उस समय जांच अधिकारी हिमांशु बहुगुणा भी कोर्ट में उपस्थित थे. उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश के बाद जब वो कल रात में फ्लाइट पकड़ने गए तो उन्हें उसी लुकआउट सर्कुलर नोटिस के आधार पर रोक दिया गया. यहां तक कि जांच अधिकारी ने अपना फोन भी स्विच ऑफ कर लिया. जांच अधिकारी का यह रवैया मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.
सुनवाई के दौरान CBI की ओर से वकील निखिल गोयल ने कहा कि एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट का आदेश सही नहीं है. इस आदेश में कुछ ऐसे दिशानिर्देश जारी किए गए जिसका केस से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि आकार पटेल के खिलाफ एक केस गुजरात में चल रहा है, जबकि दूसरा केस बेंगलुरु में. तब कोर्ट ने पूछा कि आपकी पहली दलील है कि लुकआउट सर्कुलर वापस लेने का आदेश सही नहीं है और दूसरी कि कोर्ट ने CBI को लेकर जो कहा है वो गलत है. गोयल ने सुमेर सिंह सलकान के फैसले का हवाला दिया. गोयल ने कहा कि चार्जशीट 31 दिसंबर को दाखिल की गई थी. उसी दिन लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था. FCR के प्रावधान के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है. जांच के दौरान कोई लुकआउट सर्कुलर जारी नहीं किया गया था. ऐसे में ये कहना सही नहीं है कि लुकआउट सर्कुलर जारी करने में कोई पक्षपात किया गया है. इसके अलावा कोर्ट ने जो अवलोकन किया है वह नहीं होना चाहिए था.
सात अप्रैल को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन कुमार ने CBI के निदेशक को निर्देश दिया था कि पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने में अधीनस्थ अधिकारियों ने गलती की है. इसलिए CBI निदेशक इसका हवाला देते हुए लिखित रूप से माफी मांगें. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा था कि लुकआउट सर्कुलर जारी करने के अधिकार का मनमाना तरीके से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. इसके पीछे कोई ठोस वजह होनी चाहिए. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने CBI निदेशक से उम्मीद जताई कि वो उन अधीनस्थ अधिकारियों के इसके लिए संवेदनशील बनाएं, जिन्होंने लुकआउट सर्कुलर जारी किया था. साथ ही उन अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा था कि याचिकाकर्ता के वकील ने अपने नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की है. इसके लिए वे सक्षम अदालत में जा सकते हैं.
पटेल के खिलाफ सूरत की निचली अदालत में एक बीजेपी विधायक पूर्णेशभाई ईश्वरभाई मोदी ने शिकायत कर रखी है. 19 फरवरी को सूरत की कोर्ट ने आकार पटेल को विदेश जाने की इजाजत देते हुए पासपोर्ट देने का आदेश दिया था. CBI ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ FCRA के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर आकर पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस जारी किया था.