नई दिल्ली : पूरे देश में रामलीला की तैयारियां जोरों पर है. देश की राजधानी दिल्ली में भी रामलीला को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है. इसको लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) ने रामलीला की जगह के लिए लेटर जारी कर दिया है, लेकिन दुर्गापूजा, छठ पूजा समेत अन्य त्यौहारों को नजर अंदाज कर दिया है.
द्वारका रिलीजियस सोशल एंड कल्चरल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रोबिन शर्मा ने DDA की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए बताया कि 15 वर्षों से लगातार DDA ग्राउंड में छठ पूजा होती आ रही है. फिर इस बार ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों ? द्वारका रिलीजियस सोशल एंड कल्चरल एसोसिएशन ने DDA और LG को पत्र लिखकर मांग की है कि रामलीला और मेला की तरह दुर्गापूजा, छठ पूजा समेत अन्य त्योहारों के लिए DDA की भूमि उन आयोजकों के लिए आरक्षित कर दी जाएं.
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सिर्फ रामलीला की मिली है अनुमति : राजधानी दिल्ली में DDA की ओर से रामलीला और मेला के अलावा दुर्गा पूजा, छठ पूजा समेत अन्य त्योहार को नजर अंदाज करने को लेकर अब एक नया विवाद शुरू हो गया है. दरअसल, दिल्ली के उपनगरी द्वारका के रिलीजियस सोशल एंड कल्चरल एसोसिएशन के लोगों का कहना है कि हर साल डीडीए की जमीन पर छठ महापर्व मनाया जाता है, लेकिन इस बार सिर्फ रामलीला और मेला के लिए ही परमिशन दी गई है. जबकि, हर बार दोनों के लिए सही समय सीमा के लिए लेटर जारी होता था.
इस बार डीडीए के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सिर्फ रामलीला कमेटी को रामलीला और मेला करने की इजाजत दी गई है, जो सरासर गलत है. बता दें, द्वारका उपनगरी में काफी तादाद में पूर्वांचल के लोग भी रहते हैं. हर साल 5 हजार छठव्रती द्वारका के डीडीए की जमीन पर छठ महापर्व मनाते हैं.
अगले महीने 28 अक्टूबर से 4 दिवसीय छठ पूजा की शुरुआत होगी, जिसकी तैयारी के लिए उन्हें 15 दिन पहले से ग्राउंड चाहिए. क्योंकि निर्मित सभी घाटों की साफ-सफाई और उसमें पानी भरने आदि के कामों में काफी समय लगता है. दुर्गा पूजा भी है. उसका भी कोई जिक्र नहीं किया गया है. हमारे साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है, इसको लेकर आज हमने बीजेपी सांसद मनोज तिवारी से भी मुलाकात की है और उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि जल्दी समस्या का हल निकाल दिया जाएगा.
छठ और दुर्गापूजा के लिए नहीं जारी हुआ लेटर: द्वारका के रिलीजियस सोशल एंड कल्चरल एसोसिएशन ने डीडीए के अधिकारियों से एक बात पूछना चाहते हैं कि आखिर जब सभी पर्व वही उसी ग्राउंड में मनाए जाते हैं तो फिर लेटर सिर्फ रामलीला और मेला के आयोजन करने वाले कमिटी को क्यों जारी किया गया. जबकि हम भी तो यही कई सालों से छठ महापर्व मनाते आ रहे हैं. हम सभी द्वारकावासी सरकार की ओर से लागू सभी प्रकार के टैक्स को भरते हैं, फिर हमलोगों से इस प्रकार का व्यवहार क्यों ?
भारत सभी धर्मों का देश है, अगर इस तरह से डीडीए के अधिकारी काम करेंगे तो कैसे काम चलेगा. इस मामलें पर जल्द से जल्द करवाई करते हुए DDA के आलाधिकारी अपनी गलती को सुधार कर सही निर्णय लें. ताकि इससे किसी की भावना को आघात नहीं पहुंचे. इस मामले की भनक अब रजनीति गलियारों तक भी पहुंच गई है. इसके बाद विपक्षी पार्टी इसे मुद्दा बनाकर दिल्ली में होने वाली MCD चुनाव में हथकंडा बना मौजूदा बीजेपी सरकार को घेरेगी, जिनके अंदर DDA आता है.
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