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दिल्ली: इस मंदिर में मां के दर्शन को दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

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Published : Oct 6, 2019, 2:15 PM IST

छतरपुर के इस मंदिर में मां महिषासुर मर्दिनी के दुर्लभ स्वरूप के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां के इस स्वरूप के दर्शन करने से भक्तों को अभय और सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है.

Crowd of devotees gathered in Chhatarpur temple delhi on durga ashtami, etv bharat

नई दिल्ली: इन दिनों देशभर में दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है. शक्ति की उपासना के इन नौ दिनों में सभी मंदिर मां की जय जयकार से गूंज रहे हैं. दक्षिणी दिल्ली के प्रसिद्ध छतरपुर स्तिथ आद्या कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर में ऐसी ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली.

देशभर में नवरात्रि की धूम


ऐसा है मां का भव्य स्वरूप
बता दें कि छतरपुर के इस मंदिर में मां महिषासुर मर्दिनी के दुर्लभ स्वरूप के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां के इस स्वरूप के दर्शन करने से भक्तों को अभय और सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है.

छतरपुर के आद्या कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर में विराजमान मां महिषासुर मर्दिनी का भव्य स्वरूप बहुत ही तेजोमय है. माता की कांति स्वर्णिम है, माता अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित दशभुजी रूप धारण किए हुए हैं. शेर पर सवार माता के चरणों में महिषासुर दैत्य हैं, जिसके वक्ष पर मां का त्रिशूल प्रहार है. इस रूप के दर्शन करते ही भक्तों के भीतर से सारा भय भाग जाता है.

Crowd of devotees gathered in Chhatarpur temple delhi on durga ashtami
छतरपुर मंदिर

महिषासुर मर्दिनी का महात्म्य
मां के महिषासुर मर्दिनी रूप के बारे में बताते हुए छतरपुर के मंदिर के मुख्य पुजारी हरिओम झा ने बताया कि मां भले ही इस प्रतिमा में संघारक के रूप में विद्यमान है, किंतु मां की भाव भंगिमा अत्यंत सौम्य और शांत है.


उन्होंने बताया कि मां ने यह रूप यह संदेश देने के लिए धारण किया था कि जो जननी अपनी संतान के लिए ममतामयी माता है. वहीं अपनी संतान को कष्ट में देखकर विध्वंसक भी हो सकती है. स्त्री दुर्बल नहीं बल्कि समस्त शक्तियों को अपने अंदर समेटे हैं.


उन्होंने बताया कि महिषासुर दैत्य ने स्त्री को दुर्बल समझकर उसका तिरस्कार किया और यह वरदान मांगा की केवल स्त्री ही इसे मार सके पुरुष नहीं. महिषासुर के आतंक से आहत मानवों का चीत्कार सुनकर दैवीय शक्तियों के समागम से माता दुर्गा उत्पन्न हुई थी. असुर को नारी शक्ति का भान कराने के लिए और पुरुष समाज में स्त्री के वर्चस्व की महिमा बताने के लिए मां ने महा बलशाली असुर महिषासुर को अपने पैरों तले दबाकर उसका संहार किया था.

नवरात्रों पर मंदिर को विशेष तौर पर सजाया जाता
पंडित जी ने बताया कि मां के इस स्वरूप के दर्शनों के लिए प्रत्येक माह केवल पूर्णिमा के दिन कपाट खुलते हैं. वहीं नवरात्रों की नौ दिनों तक भक्त मां के इस भव्य रूप का दर्शन कर पाते हैं.


उन्होंने कहा कि मां की पूजा में हर जाति के लोगों को बिना भेदभाव के प्रवेश मिलता है. साथ ही कहा कि लोग अपनी श्रद्धा अनुसार मां को नैवेद्य अर्पित करते हैं और अपनी कामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. बता दें कि नवरात्रों पर मंदिर को विशेष तौर पर सजाया जाता है.

Intro:नई दिल्ली ।

इन दिनों देशभर में दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है. शक्ति की उपासना के इन नौ दिनों में सभी मंदिर माँ की जय जयकार से गूंज रहे हैं. ऐसी ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली दक्षिणी दिल्ली के प्रसिद्ध छतरपुर स्तिथ आद्या कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर में. बता दें कि छतरपुर के इस मंदिर में मां महिषासुर मर्दिनी के दुर्लभ स्वरूप के दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां के इस स्वरूप के दर्शन करने से भक्तों को अभय और सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है.


Body:ऐसा है माँ का भव्य स्वरूप

छतरपुर के आद्या कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर में विराजमान मां महिषासुर मर्दिनी का भव्य स्वरूप बहुत ही तेजोमय है. माता की कांति स्वर्णिम है, माता अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित दशभुजी रूप धारण किए हुए हैं. शेर पर सवार माता के चरणों मे महिषासुर दैत्य है जिसके वक्ष पर मां का त्रिशूल प्रहार है. इस रूप के दर्शन करते ही भक्तों के भीतर से सारा भय भाग जाता है.

महिषासुर मर्दिनी का महात्म्य
मां के महिषासुर मर्दिनी रूप के बारे में बताते हुए छतरपुर के मंदिर के मुख्य पुजारी हरिओम झा ने बताया कि मां भले ही इस प्रतिमा में संघारक के रूप में विद्यमान है किंतु मां की भाव भंगिमा अत्यंत सौम्य और शांत है. उन्होंने बताया कि मां ने यह रूप यह संदेश देने के लिए धारण किया था कि जो जननी अपनी संतान के लिए ममतामयी माता है वही अपनी संतान को कष्ट में देखकर विध्वंसक भी हो सकती है. स्त्री दुर्बल नहीं बल्कि समस्त शक्तियों को अपने अंदर समेटे हैं. यही संदेश देता है मां का यह रूप. उन्होंने बताया कि महिषासुर दैत्य ने स्त्री को दुर्बल समझकर उसका तिरस्कार किया और यह वरदान मांगा की केवल स्त्री ही इसे मार सके पुरुष नहीं. महिषासुर के आतंक से आहत मानवों का चीत्कार सुनकर दैवीय शक्तियों के समागम से उतपन्न हुई थी माता दुर्गा. असुर को नारी शक्ति का भान कराने के लिए और पुरुष समाज मे स्त्री के वर्चस्व की महिमा बताने के लिए मां ने महा बलशाली असुर महिषासुर को अपने पैरों तले दबाकर उसका संहार किया था.

वहीं पंडित जी ने बताया कि मां के इस स्वरूप के दर्शनों के लिए प्रत्येक माह केवल पूर्णिमा के दिन कपाट खुलते हैं. वहीं नवरात्रों की नौ दिनों तक भक्त मां के इस भव्य रूप का दर्शन कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि मां की पूजा में हर जाति के लोगों को बिना भेदभाव के प्रवेश मिलता है. साथ ही कहा कि लोग अपनी श्रद्धा अनुसार मां को नैवेद्य अर्पित करते हैं और अपनी कामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.


Conclusion:बता दें कि नवरात्रों पर मंदिर को विशेष तौर पर सजाया जाता है.
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