नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों की सुनवाई (Delhi riots hearing in Karkardooma Court) के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद (Amit Prasad, Special Public Prosecutor of Delhi riots case) के लगातार पेश नहीं होने पर चिंता व्यक्त की है. एडिशनल सेशंस जज वीरेंद्र भट्ट (Aditional Sessions Judge Virendra Bhatt) ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी से मामले को गंभीरता से लेने और स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.
कोर्ट ने कहा कि इसके पहले भी कोर्ट ने सुधारात्मक उपाय करने का निर्देश दिया था. अब उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी को निर्देश दिया कि वे इसे गंभीरता से लें और आगे दिल्ली हिंसा के मामलों में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त करें. कोर्ट ने ये आदेश करावल नगर थाने में दर्ज FIR नंबर 59/20 के मामले की सुनवाई के दौरान दिया. जब कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शुरू की तो नायब कोर्ट ने बताया कि उसने स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद को कॉल करने पर पता चला कि वे हाईकोर्ट में किसी दूसरे मामले की सुनवाई में व्यस्त हैं.
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उसके बाद नायब कोर्ट ने दूसरे स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर मधुकर पांडेय को कॉल किया. मधुकर पांडेय ने भी सकारात्मक जवाब नहीं दिया. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि दंगे जैसे संवेदनशील मामले के लिए स्पेशल कोर्ट गठित किया गया. इन केसों की पैरवी करने के लिए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर्स की पैनल बनाया गया है ताकि इन केसों की प्रभावी सुनवाई हो सके. लेकिन ऐसा पाया गया है कि स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर कई मामलों में पेश नहीं हो रहे हैं जिसकी वजह से सुनवाई टालनी पड़ रही है. इससे केसों के निस्तारण में देरी हो रही है.
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सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों ने स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर के इस व्यवहार का विरोध करते हुए कहा कि उनके अनुपस्थित होने की वजह से सुनवाई टालनी पड़ती है और आरोपी लंबे समय तक जेलों में बंद हैं. बता दें कि इसके पहले कड़कड़डूमा कोर्ट जांच में लापरवाही बरतने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगा चुकी है. कोर्ट इसके लिए दिल्ली पुलिस पर जुर्माना भी लगा चुकी है.