नई दिल्ली : कोरोना की तीसरी लहर ओमीक्रोन वैरिएंट के रूप में तेजी से पीक की तरफ बढ़ रही है. बुधवार को दिल्ली सरकार की तरफ से जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक, 10 हजार से अधिक कोरोना के नए मामले आए हैं. जितनी तेजी से यह संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से अगर देखा जाए तो डेल्टा वेरिएंट अब तक काफी तबाही मचा चुका था.
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ अजय गंभीर बताते हैं कि कोरोना वायरस का सबसे खराब फेज देख चुके हैं. ओमीक्रोन के रूप में कोरोना वायरस महामारी का अंत होने वाला है. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि इसके बाद संक्रमण रुक जाएगा. इस वायरस के और भी नए-नए रूप देखने को मिलेंगे, लेकिन वे इतने खतरनाक नहीं होंगे कि लोगों की जान पर ही बन (Mild-acting Omicron infection) आएं.
बत्रा हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ एससीएल गुप्ता (Dr SCL Gupta, Medical Director of Batra Hospital) मानते हैं कि ओमीक्रोन के रूप में लोगों को प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी मिल (natural antibody omicron) रही है. यह बिल्कुल वैक्सीन की तरह ही लोगों के अंदर काम करेगा. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के कार्डियो- रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह बताते हैं कि अभी तक कोरोना महामारी की तीन लहर आ चुकी है. ओमीक्रोन के रूप में यह तीसरी लहर है. हर बार की तरह कोरोना वायरस न सिर्फ अपना रूप बदल रहा है, बल्कि अपना लक्षण भी बदल रहा है. साथ ही संक्रमण की आक्रामकता में भी बदलाव आ रहा है.
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कोरोना वायरस की पहली लहर मार्च 2000 में वुहान वायरस के रूप में आयी थी. दूसरी लहर अप्रैल 2021 में डेल्टा वैरिएंट के रूप में आई और अब जनवरी 2022 में ओमीक्रोन के रूप में तीसरी लहर आ गई है. हालांकि दिसंबर से ही ओमीक्रोन का संक्रमण फैलने लगा था, लेकिन बढ़ने की रफ्तार जनवरी से शुरू हुई है. ओमीक्रोन का रूप खतरनाक नहीं है. दुनिया के किसी भी देश में जहां इसका संक्रमण फैला है, वहां से मेडिकल इमरजेंसी जैसी कोई खबर नहीं आई है.
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डॉ अमरिंदर सिंह महामारी की तीनों लहर में अलग-अलग वैरिएंट के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि पहली लहर में संक्रमित लोगों को हाई ग्रेड फीवर, गले में खराश और रेस्पीरेट्री प्रॉब्लम यानी सांस लेने की समस्या आम तौर पर देखी जा रही थी. पहली दो लहर में संक्रमित लोगों को ड्राई कफ हो रहा था, लेकिन तीसरी लहर में कफ में बलगम भी आ रहा है. पहली दोनों लहरों में संक्रमित लोगों में बहुत कमजोरी देखी जा रही थी, लेकिन तीसरी लहर में कमजोरी नहीं देखी जा रही है.
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केवल हल्का इंफेक्शन हो रहा है. पहली और दूसरी लहर के दौरान फेफड़े को वायरस में अपना घर बनाया और यहां के सेल से प्रोटीन खाकर लोगों की सांस बंद करने लगा, लेकिन तीसरी लहर में इसका जगह बदल गया है अब यह सांस की नली ब्रोंकाइटिस में आकर जम गया है, लेकिन यहां भी वह खतरनाक रूप में नहीं है. इससे सांस संबंधी कोई समस्या नहीं हो रही है. पहले दोनों लहर के दौरान प्रमुख लक्षणों में स्वाद और सुनने की क्षमता भी प्रभावित होती थी.
लक्षण | पहली लहर | दूसरी लहर | तीसरी लहर |
स्वाद एवं गंध | पूरी खत्म | आंशिक | अप्रभावित |
कफ/कोल्ड | ड्राई कफ | ड्राई कफ | बलगम |
चेस्ट कन्जेशन | कोविड जेली | कोविड जेली | नो जेली |
फीवर | हाई | हाई | लो |
कमजोरी | गंभीर | गंभीर | हल्का |
सांस समस्या | गभीर | कोमॉर्बिड | नहीं |
हॉस्पिटलाइजेशन | 10 % | 12% | 0.1% |
डॉक्टर अमरिंदर हॉस्पिटलाइजेशन के बारे में बताते हैं कि पहली लहर में करीब 10 परसेंट संक्रमित मरीजों को हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत होती थी. वहीं दूसरी लहर में 12 से 15% संक्रमित लोगों को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत हुई, लेकिन तीसरी लहर में एक परसेंट लोगों को भी हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत नहीं है. कुल मिलाकर अगर कहा जाए तो कोरोना की तीसरी लहर कोई सुनामी जैसी नहीं है. यह सामान्य है इससे लोगों को कोई विशेष खतरा नहीं है.
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