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खिलौना और साइकिल व्यापार पर कोरोना का बुरा असर, व्यापारियों को सताने लगा फिर गिरावट का डर

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Published : Apr 11, 2021, 12:13 PM IST

दिल्ली में कोरोना की आहट के बाद से पिछले एक साल में व्यापार के हर क्षेत्र पर इसका बुरा असर पड़ा है. दवाइयों से लेकर खिलौने और साइकिल क्षेत्र के व्यापारियों पर कोरोना का प्रतिकूल असर देखने को मिला है. पिछले कुछ महीनों में कोरोना के मामले फिर बढ़ने के बाद ईटीवी भारत ने दिल्ली के साइकिल, खिलौना व्यापारियों के अलावा कुछ दवाई कारोबारियों से बात कर वर्तमान स्थिति का जायजा लिया.

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खिलौना और साइकिल व्यापार

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना की आहट के बाद से पिछले एक साल से व्यापार के हर क्षेत्र पर इसका बुरा असर पड़ा है. दिल्ली के बाजारों में एक साल बीतने के बाद भी व्यापारियों के बीच रौनक नहीं लौटी है.

खिलौना और साइकिल व्यापार

अगर बात की जाए तो दवाइयों से लेकर खिलौने और साइकिल क्षेत्र के व्यापारियों की जिन पर भी कोरोना का प्रतिकूल असर देखने को मिला है. दवाई कारोबारियों की बात करें तो जहां बीते 1 साल में दवाइयों का व्यापार आधा रह गया है. वहीं खिलौनों के साथ साइकिल के व्यापार पर भी पिछले 1 साल में 30% की गिरावट देखी गई है.

वहीं पिछले एक महीने से कोरोना मामले फिर बढ़ने के साथ व्यापारी वर्ग एक बार फिर चिंताओं से घिर गया है. ईटीवी भारत ने दिल्ली के साइकिल, खिलौना व्यापारियों के अलावा कुछ दवाई कारोबारियों से बात कर वर्तमान स्थिति का जायजा लिया.

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खिलौने और साइकिल के व्यापार पर असर

खिलौने और साइकिल व्यापार से जुड़े व्यापारी राजीव बत्रा बताते हैं कि वर्तमान समय में कच्चा माल काफी ज्यादा महंगा हो चुका है. बाजारों में कच्चा माल लगभग डेढ़ गुना अधिक कीमत पर मिल रहा है. वहीं पिछले 1 महीने में साइकिल और खिलौना क्षेत्र में व्यापार 60% तक कम हुआ है.

बत्रा आगे बताते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के बाद जब बाजार वापस खुला, जिसके बाद धीरे-धीरे व्यापार ने रफ्तार पकड़ी, लेकिन अब कोरोना का खौफ वापस बढ़ने से लगता है यह साल भी वैसा ही गुजरेगा.

दवाइयों के क्षेत्र पर असर

दिल्ली ड्रग एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव आशीष ग्रोवर बताते हैं कि राजधानी में दवाइयों के कारोबार पर कोरोना के चलते बुरा असर पड़ा है. व्यापार 30 से 50% के ग्राफ में सिमटकर रह गया है. हालांकि मास्क और सैनिटाइजर की मांग पिछले 1 साल में तक बढ़ी है, लेकिन बीते कुछ महीनों में लोग मास्क भी नहीं खरीद रहे हैं.

वह आगे बताते हैं कि दवाइयों के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग के ऊपर कुछ खास असर नहीं पड़ा है लगभग सभी दवाइयों की मैन्युफैक्चरिंग पूरे तरीके से हो रही है. वहीं 10 मार्च के बाद इंजेक्शन की मांग तेज होने के बाद इंजेक्शन की मैन्युफैक्चरिंग पर अब फिर से ध्यान दिया जा रहा है.

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दवाइयों के जुड़े एक अन्य कारोबारी पीयूष बताते हैं कि वर्तमान में दवाइयों का कारोबार 50 फ़ीसदी रह गया है. कारोबार में अभी भी पिछले साल लगे लॉकडाउन का असर देखा जा सकता है. वह बताते हैं कि अगर फिर से लॉकडाउन लगता है तो बाजार में जरूरी दवाएं जैसे पेरासिटामोल और बुखार की दवाइयों की कमी हो सकती है.

एक साल बाद भी नहीं बदले हालात

गौरतलब है कि एक साल बाद कोरोना की दूसरी लहर की दस्तक के बाद दिल्ली के बाजारों की तस्वीर वैसी ही भयावह दिखने लगी है. व्यापारियों को आने वाले समय में भी हालात बदलने की उम्मीद नहीं हैं.

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