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CCI फेसबुक की केवल इस आधार पर जांच नहीं कर सकती है कि उसका व्हाट्स ऐप पर भी मालिकाना हक हैः मेटा

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Published : Jul 23, 2022, 8:32 AM IST

फेसबुक पर मालिकाना हक रखनेवाली कंपनी मेटा ने कहा है कि प्रतिस्पर्धा आयोग फेसबुक की केवल इस आधार पर जांच नहीं कर सकती है कि उसका व्हाट्स ऐप पर भी मालिकाना हक है. मेटा ने ये दलील दिल्ली हाईकोर्ट में रखी. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली: फेसबुक पर मालिकाना हक रखनेवाली कंपनी मेटा ने कहा है कि प्रतिस्पर्धा आयोग फेसबुक की केवल इस आधार पर जांच नहीं कर सकती है कि उसका व्हाट्स ऐप पर भी मालिकाना हक है. मेटा ने ये दलील दिल्ली हाईकोर्ट में रखी. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी. मेटा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मेटा का मालिकाना अधिकार व्हाट्स ऐप पर है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि प्रतिस्पर्धा आयोग निजता के सवाल पर जांच करे. उन्होंने कहा कि फेसबुक ने 2014 में व्हाट्स ऐप को अधिगृहित किया. भले ही मेटा का फेसबुक और व्हाट्स ऐप पर मालिकाना हक है लेकिन दोनों उपक्रमों के रास्ते अलग हैं और उनकी नीतियां भी अलग हैं.

रोहतगी ने कहा कि फेसबुक के खिलाफ कुछ नहीं मिला है. स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया गया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट 2016 और 2021 के प्राइवेसी पॉलिसी की पड़ताल कर रही है. ऐसे में किसी प्राधिकार को जांच करने का कोई मतलब नहीं बनता है. मार्च में हाईकोर्ट ने फेसबुक की प्राइवेसी पॉलिसी पर चिंता जताते हुए कहा था कि सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से यूजर की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरूरत है. कोर्ट ने कहा था कि लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतित हैं. अधिकतर तो ये तक नहीं जानते कि उनका डाटा सोशल मीडिया दिग्गजों की ओर से तीसरे पक्ष को शेयर किया जा रहा है. कोर्ट ने कैंब्रिज एनालाइटिका का उदाहरण देते हुए यूजर्स के डाटा शेयर करने पर चिंता जताई.

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केंद्र सरकार ने हलफनामा के जरिये नए आईटी रुल्स का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा था कि आईटी रुल्स के रुल 4(2) के तहत ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान वैधानिक है. केंद्र सरकार ने कहा था कि वो चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स यूजर की प्राइवेसी और एंक्रिप्शन की सुरक्षा करें. केंद्र सरकार ने कहा था कि आईटी रुल्स को चुनौती देनेवाल व्हाट्स ऐप और फेसबुक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. केंद्र ने कहा है कि व्हाट्स ऐप और फेसबुक दोनों विदेशी कंपनियां हैं और इसलिए उन्हें संविधान की धारा 32 और 226 का लाभ नहीं दिया जा सकता है.


27 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट ने वाली व्हाट्स ऐप और फेसबुक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. फेसबुक की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने आईटी रूल्स में ट्रेसेबिलिटी के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है. नौ जुलाई 2021 को व्हाट्स ऐप ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा. व्हाट्स ऐप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी.

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