CAG की रिपोर्ट से दिल्ली विधानसभा में विपक्ष को मिला बल, बीजेपी नेता बोले खुली सरकार की पोल

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Published : Jul 7, 2022, 7:07 PM IST

CAG की रिपोर्ट
CAG की रिपोर्ट ()

दिल्ली विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट से विपक्ष को केजरीवाल सरकार को घेरने का बड़ा मुद्दा मिल गया. विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि दिल्ली सरकार हर मोर्चे पर फेल हुई है और विपक्ष ने अभी तक सरकार पर जो भी आरोप लगाएं हैं सीएजी की रिपोर्ट ने उसकी पुष्टि कर दी है.

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट से विपक्ष को केजरीवाल सरकार को घेरने का बड़ा मुद्दा मिल गया. विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि दिल्ली सरकार हर मोर्चे पर फेल हुई है और विपक्ष ने अभी तक सरकार पर जो भी आरोप लगाएं हैं सीएजी की रिपोर्ट ने उसकी पुष्टि कर दी है. वहीं, दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना ने सीएजी रिपोर्ट को केजरीवाल सरकार की पोल खोलने वाला बताया. उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस बयान को भी झूठ का पुलिंदा बताया जिसमें मुख्यमंत्री ने सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था दिल्ली का बजट तो सरप्लस है.

हरीश खुराना ने आंकड़े जारी करते हुए कहा कि हर साल दिल्ली का बजट लैप्स होता है और विकास के कार्य पर खर्च नहीं होता. दिल्ली सरकार ने वर्ष 2015-16 में 7374 करोड़ , 2016-17 में 9808 करोड़, 2017-18 में 8042 करोड़, 2018-19 में 11832 करोड़ और 2019-20 में 12670 करोड़ रुपए विकास के कार्यों में खर्च ही नहीं किए तो यह सरप्लस तो होना ही था. दिल्ली सरकार की 39 ऐसी स्कीम जैसे युवा मोहत्त्सव, मुख्यमंत्री अधिवक्ता वेलफेयर स्कीम, रिसर्च ग्रांट स्कीम, परम्परागत किसान विकास योजना मुख्यमंत्री ने घोषणा तो की पर उसका बजट खर्च ही नहीं किया. जबकि पिछले कई सालो से केंद्र निरंतर दिल्ली को ग्रांट और विकास के लिए पैसा बढ़ा रहा है. लेकिन दिल्ली सरकार उसको खर्च ही नहीं कर पा रही. केंद्र ने वर्ष 2015-16 में केंद्र ने 4258 करोड़, 2016-17 में 2875 करोड़, 2018-19 में 5843 करोड़ और 2019-20 में 9473 करोड़ रुपए केंद्र ने दिल्ली को विकास के लिए दिए हैं.

CAG की रिपोर्ट से दिल्ली विधानसभा में विपक्ष को मिला बल
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विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि सीएजी रिपोर्ट से हमारा यह आरोप साबित हो जाता है कि आप सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह फेल हो गई है. 88 फीसदी अनधिकृत कॉलोनियों में सरकार सीवर उपलब्ध नहीं करा पाई, मजदूरों के कल्याण के रूप में वसूली गई राशि में से 94 फीसदी का इस्तेमाल ही नहीं किया गया. डीटीसी को 5280 करोड़ रुपए का नुकसान एक साल में ही हो गया. दिल्ली की हाउसिंग प्लानिंग भी पूरी तरह फेल हो गई है. सीएजी रिपोर्ट में साफतौर पर कहा गया है कि इस सरकार के पास कोई प्लानिंग या योजनाओं को लागू करने की दृष्टि ही नहीं है. 1797 अनधिकृत कॉलोनियों में दिसंबर 2018 तक पीने का पानी मुहैया कराने का टारगेट था लेकिन सरकार केवल 353 कॉलोनियों में ही पानी पहुंचा पाई. 2019 के अंत तक दिल्ली जल बोर्ड 28 हजार करोड़ से ज्यादा के कर्ज तले डूब चुका था लेकिन सिर्फ 351 करोड़ रुपए का लोन चुकाया गया. ब्याज को मिलाकर यह राशि 27 हजार 660 करोड़ हो गई.

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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सीएजी ने गरीबों को मकान देने के मामले में भी सीएजी ने दिल्ली सरकार की पोल खोली है. डीएसआईआईडीसी और डीयूएसआईबी ने 14 हाउसिंग स्कीम बनाई जोकि 2012 तक पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन यह सरकार 2019 तक भी पूरा नहीं कर पाई. जो मकान बने, वे खंडहर हो गए. यहां तक कि उनकी मरम्मत पर अब दिल्ली सरकार 2,210 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रही है. दिल्ली सरकार 28 हजार 344 बन चुके मकानों को अलाट ही नहीं कर सकी क्योंकि वह उन लोगों की पहचान ही नहीं कर सकी जिन्हें ये मकान दिए जाने है.

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