नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने आज दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र के अंदर आगामी वित्तीय वर्ष के लिए दिल्ली का बजट पेश किया. आगामी वित्तीय वर्ष के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने 69 हजार करोड़ के बजट का प्रस्ताव किया है, जिसमें पिछले साल की भांति शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे ज्यादा निवेश दिल्ली सरकार करेगी. वहीं इस बार इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी दिल्ली सरकार लगभग 10 करोड़ रुपये निवेश करने जा रही है.
बजट पेश होने के बाद आम जनता से लेकर व्यापारी वर्ग तक हर तबके की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. बजट में टैक्स सीमा में किसी तरह की राहत नहीं मिलने से दिल्ली के व्यापारी सरकार से निराश हैं.
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बजट से नाखुश दिल्ली के व्यापारी
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पुरानी दिल्ली के व्यापारियों ने बताया कि वह दिल्ली सरकार के बजट से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं. दिल्ली सरकार ने बजट में मध्यम व्यापारियों को किसी प्रकार की कोई राहत नहीं दी है. कुछ व्यापारी कहते हैं कि सरकार वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए टैक्स में राहत या फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम कर सकती थी. वहीं दिल्ली के बाजारों को डवलप करने के लिए बजट में कोई भी एलान नहीं होने से व्यापारी वर्ग में निराशा है.
कैट ने बजट को व्यापारियों के लिए बताया महत्वहीन
वहीं देश के सबसे बड़े व्यापारी संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने दिल्ली बजट की निंदा करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार का प्रस्तुत बजट दिल्ली के व्यापारियों के लिए एक निराशाजनक दस्तावेज है क्योंकि बजट में व्यापार और वाणिज्य के लिए एक भी शब्द नहीं बोला गया है.
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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं कि दिल्ली का बजट व्यापारियों के लिए महज एक दिखावा है. व्यापारियों को आर्थिक बदहाली के इस दौर से निकालने के लिए सरकार ने कोई भी प्रावधान नहीं किया है.
उन्होंने आगे कहा कि जब दिल्ली का व्यापार बड़े वित्तीय दबाव में है और कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहा है ऐसे में दिल्ली सरकार ने बजट में व्यापार के विकास के लिए कोई निधि आवंटित नहीं की.