नई दिल्ली : देश में बेतहाशा बढ़ रही महंगाई के खिलाफ कांग्रेस ने देशव्यापी आंदोलन शुरू किया है. कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता देशभर में सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. पेट्रोल-डीजल के दाम हों या गैस सिलेंडर, सब के दाम बढ़ते जा रहे हैं. इस बढ़ती हुई महंगाई से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. कांग्रेस नेपेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, खाने के तेल अनाज और मसालों के बढ़ते हुए दामों के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ दिया है.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि हमारी लगातार यह मांग है कि महंगाई को लेकर स्थाई समाधान निकाला जाए. महंगाई आसमान छू रही है. यह सरकार केवल चुनाव को लेकर तेल और गैस के रेट नहीं बढ़ा रही थी. चुनाव खत्म होते ही सभी के दाम बढ़ने लगे हैं. यह सरकार लोगों को धर्म और देश भक्ति के नाम पर भटकाने की कोशिश करती है. आने वाली 7 तारीख को कंग्रेस ने महंगाई के खिलाफ जन संसद का आह्वान किया है.
अनिल चौधरी ने कहा कि यह सरकार अभी तक 26 लाख करोड़ रुपए एक्साइज ड्यूटी से कमा चुकी है. लोगों को लूट-लूटकर सरकार अपना खजाना भर रही है. जबकि 2014 में जिस समय कांग्रेस की सरकार थी. उस समय गैस सिलेंडर पर सब्सिडी के रूप में ₹160 करोड़ रुपए देश के लोगों को दिया गया. यानी जो पैसा लिया जाता था वही पैसा लोगों को राहत में बांटा जाता था.
आज मोदी सरकार ने देश के लोगों को देश भक्ति के नाम पर इमोशन करके सब्सिडी जो थी वह खत्म कर दी. महज 11 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में दिया जा रहा है. यह कैसी तानाशाही है. कांग्रेस ने महंगाई मुक्त भारत का नारा बुलंद किया है.
निगमों के एकीकरण पर बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि मैंने अमित शाह के लोकसभा में दिए भाषण को ध्यान से सुना. मैं गृह मंत्री से पूछना चाहता हूं कि आपने 272 को ढाई सौ कैसे कर दिया. आपने इसमें कौन सा फार्मूला लगाया?
आपको शर्म आनी चाहिए कि आपके पास इसका कोई जवाब नहीं है. केवल आप चुनावी जुमला अपनाते हैं. आपको केवल पैसे की कमी बताकर चुनाव टालना आता है. मैं आपको बताता हूं कि कांग्रेस का फार्मूला क्या था. मैं 2002 में पार्षद था. मैं उस सदन का सदस्य था. जब एक पार्षद के अंदर एक लाख लोग हुआ करते थे.
2007 में फिर 50000 की आबादी पर एक पार्षद होने लगा. वही 136 सीटों पर 272 पार्षद थे. जो काम कर रहे थे. तो अमित शाह बताइए आपने क्या फार्मूला अपनाया है. गृहमंत्री अमित शाह ने अपने उस मसौदे में क्यों नहीं जिक्र किया कि दिल्ली सरकार ने एमसीडी को पैसा नहीं दिया.
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दिल्ली को आर्थिक पैकेज की जरूरत थी जो आपने नहीं दिया और दिल्ली को बर्बाद कर दिया. आप ने 2007 में कहा था कि 14 वित्त आयोग की सिफारिश केजरीवाल अगर लागू नहीं करते तो वह डायरेक्ट एमसीडी को फंड देंगे. अब इतने सालों के बाद आपकी नींद क्यों टूटी?