नई दिल्लीः श्रावण मास के आते ही राजधानी में इन दिनों पौधे लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसमें अलग-अलग एजेंसियों के साथ साथ अलग-अलग पार्टी के नेता भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. इतना ही नहीं इसमें भी आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो गई है. लेकिन अच्छी बात यह है कि पौधे लगाने को लेकर हो रही राजनीति के बीच अधिकाधिक पौधे लगाए जा रहे हैं.
जनकपुरी इलाके में बीजेपी के पूर्व पार्षद नरेंद्र चावला ने डीडीए अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ पार्क में पौधे लगाए और इस मामले में भी आम आदमी पार्टी पर राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा आम आदमी पार्टी का मकसद किसी भी मुद्दे में राजनीति को लाना है जबकि पौधे लगाना और उसका बचाव करना हम सब का कर्तव्य है ताकि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सके.
वहीं, दूसरी तरफ जनकपुरी इलाके से ही आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश ऋषि ने अपने क्षेत्र के आरडब्ल्यूए को काफी संख्या में पौधे वितरित किए. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने लाखों पौधे दिल्ली में लगाने की घोषणा की थी और उसी के तहत यह शुरुआत की जा रही है और इसका फायदा आने वाले दिनों में दिल्ली के स्वच्छ वातावरण के तौर पर देखने को जरूर मिलेगा.
बता दें, दिल्ली सरकार ने इस साल लाखों पौधे लगाने की योजना शुरू की और अब इस योजना में दिल्ली के अलग-अलग इलाके के आरडब्ल्यू को भी शामिल किया गया है. पौधा बांटने को लेकर रखे गए एक एक कार्यक्रम के दौरान उत्तम नगर विधानसभा में दर्जनभर से अधिक आरडब्ल्यूए के सदस्यों को सैकड़ों पौधे दिए गए. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस अभियान की शुरुआत की थी और इसके तहत उत्तम नगर इलाके के दर्जन भर से अधिक आरडब्लूए को इस अभियान में शामिल किया गया. उन्हें काफी संख्या में पौधे बांटे गए ताकि वह अपने कॉलोनी में इन पौधों को लगा सके.
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वहीं, पश्चिमी दिल्ली के ख्याला थाना इलाके के ठीक सामने बने एमसीडी पार्क की स्थिति इतनी बदहाल है कि लोग यहां सुकून से दो पल बैठ भी नहीं सकते. पार्क में पानी लगातार बह रहा है और यह पानी बहकर पूरे पार्क में कीचड़-कीचड़ बना दिया है. यहां पर दो बेंच रखे हुए हैं और वहां भी कीचड़ है. वहीं, पार्क के तीन गेट हैं और तीनों पर ही ताला लगा हुआ है. साइड से एक दीवार टूटी हुई है, जहां से मजबूरी में लोग आकर जमीन पर ही बैठने को मजबूर हैं. थाना आने वाले लोगों का साफ तौर पर कहना है कि यह पूरी तरह से एमसीडी और एजेंसी की लापरवाही है.