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अधिकार में लेते वक्त कुतुब मीनार परिसर में नहीं होती थी पूजा - एएसआई

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Published : May 24, 2022, 12:40 PM IST

कुतुब मीनार परिसर में नहीं होती थी पूजा
कुतुब मीनार परिसर में नहीं होती थी पूजा

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने दिल्ली की साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार परिसर में पूजा की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर जवाब दाखिल किया है. एएसआई ने कहा है कि जब स्मारक पर नियंत्रण लिया था, तब वहां पूजा नहीं होती थी. एएसआई ने कहा है कि कानूनन संरक्षित स्मारक में पूजा का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए याचिका खारिज की जाए.

नई दिल्ली: कुतुब मीनार परिसर में पूजा की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने दिल्ली की साकेत कोर्ट में जवाब दाखिल किया है, एएसआई ने कहा है कि जब स्मारक पर नियंत्रण लिया था, तब वहां पूजा नहीं होती थी. एएसआई ने कहा है कि कानूनन संरक्षित स्मारक में पूजा का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए याचिका खारिज की जाए.

13 अप्रैल को कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया था कि वो कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद परिसर में रखी हुई भगवान गणेश की मूर्तियों को परिसर से ना हटाए. इस मामले में पहले से ही पूजा अर्चना अधिकार को लेकर याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता ने नई अर्जी में कहा है कि गणेश जी की मूर्तियों को नेशनल म्युचुअल अथॉरिटी के दिये सुझाव के मुताबिक नेशनल म्यूजियम या किसी दूसरी जगह विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. इसके बजाए उन्हें परिसर में ही पूरे सम्मान के साथ उचित स्थान पर रखा जाए.

वकील विष्णु जैन के जरिये दायर मुख्य याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर ये मस्जिद बनाई गई है. जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और भगवान विष्णु को इस मामले में याचिकाकर्ता बनाया गया था. बता दें कि 29 नवंबर 2021 को सिविल जज नेहा शर्मा ने याचिका खारिज कर दिया था. सिविल जज के याचिका खारिज करने के आदेश को डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में चुनौती दी गई है.

याचिका में कहा गया है कि बादशाह कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दिया। ऐबक मंदिरों को पूरे तरीके से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में कहा गया था कि कुतुब मीनार परिसर के दीवालों, खंभों और छतों पर हिन्दू औज जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं. इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी, द्वारपाल, भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं. ये सभी बताते हैं कि कुतुब मीनार परिसर हिंदू और जैन मंदिर थे. याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया था.

याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के उस संक्षिप्त इतिहास का जिक्र किया गया था, जिसमें कहा गया था कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में मांग की गई थी कि इन 27 मंदिरों को पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए.

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