नई दिल्लीः राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है. इसको 18 दिन हो चुके हैं. इसका असर सीमाओं पर होने वाली आवाजाही पर देखने को मिल रहा है. खास तौर पर दूसरे राज्यों से दिल्ली की मंडियों में आने वाली सब्जियां नहीं आ पा रही हैं. एपीएमसी के अध्यक्ष का कहना है कि कृषि कानून लागू होने से फल व सब्जियां महंगी हो जाएंगी.
आवक हो गई बेहद कम
आजादपुर कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष आदिल अहमद खान ने ईटीवी भारत को बताया किसान आंदोलन के चलते मंडी में सब्जियों की आवक बेहद कम हो गई है. हालांकि राहत की बात है कि अभी तक सब्जी और फलों के दामों में इजाफा नहीं हुआ है. दिल्ली में अलग-अलग राज्यों से सब्जी और फल आते हैं और यहीं से उत्तर भारत में पहुंचाई जाती हैं. किसान आंदोलन के चलते सब्जियां और फल दूसरे राज्यों तक नहीं जा पा रहे हैं.
अभी नहीं है फल सब्जियों की कमी
आदिल अहमद खान ने कहा कि फिलहाल अभी राजधानी में फल और सब्जियों की कमी नहीं है. ना ही इनके दामों में कोई फर्क देखने को मिल रहा है. हालांकि, जो फल सब्जियां दूसरे राज्यों तक जाती थीं, वह नहीं जा पा रही हैं. ऐसे में आंदोलन के चलते दूसरे राज्यों में जरूर फल-सब्जियों की कमी हो रही है. किसान आंदोलन आगे और चलता है, तो बड़ी परेशानी हो सकती है. जाहिर सी बात है अगर किसान सड़कों पर बैठेगा, तो फल और सब्जियां मंडी तक कैसे पहुंचेंगी.
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कृषि कानून लागू होने के बाद होगा भंडारण
आदिल अहमद खान ने कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों के जरिए व्यापारीकरण को बढ़ावा दे रही है. जो फल-सब्जियां अभी 30 से 40 रुपये किलो में मिल रही है, आगे 200 रुपये किलो तक महंगी हो जाएंगी. किसानों से सेब 25 से 30 रुपये प्रति किलो में खरीदा जाता है और मंडी तक 200 किलो रुपये किलो तक मिलता है. इसका मतलब बड़े व्यापारी इसका भंडारण करते हैं और जनता से दो से तीन गुना दाम वसूलते हैं.
काले कानूनों को वापस ले सरकार
आदिल अहमद खान ने कहा कि यह कानून कुछ व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है. इससे केवल पूंजीपतियों को फायदा होगा. सरकार से अपील है कि जल्द इन तीनों काले कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए.