नई दिल्लीः पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल काे शराब घोटाले पर खुली बहस करने की चुनौती दी है (Ajay Maken challenges Kejriwal to open debate). उन्होंने कहा कि केजरीवाल यह सवाल कर रहे हैं कि शराब नीति में घोटाला कहां हुआ है. केजरीवाल स्वयं राजस्व सेवा से जुड़े अधिकारी रहे हैं. उनसे बेहतर यह कौन बता सकता है कि घोटाला क्या हुआ है. इसके बाद भी अगर उनको समझ नहीं आया है तो वह उनको इस मामले में खुली बहस की चुनौती देते हैं. वह उनको बहस में बताएंगे कि शराब नीति में घोटाला कहां हुआ है (Ajay makan challenge excise policy).
अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल का 26 नवंबर 2014 का एक वीडियो भी जारी किया. जिसमें केजरीवाल यह कहते हुए दिख रहे हैं कि आवासीय इलाकों में शराब की दुकान खोलना गलत है. इसकी वजह से वहां पर काफी गड़बड़ी होती है. महिलाएं इसका विरोध करती हैं. केजरीवाल इसके आगे कहते हुए दिखते हैं कि उनकी सरकार आने पर महिलाओं के कहने पर आवासीय इलाकों में शराब की कोई दुकान नहीं खोली जाएगी. महिलाओं को यह अधिकार होगा कि वे आवासीय इलाकों में शराब की दुकानों को बंद करा पाएंगी. माकन ने कहा कि आखिर आठ साल में ऐसा क्या हो गया कि महिलाओं को इस तरह का अधिकार देने की बात करने वाला महिलाओं के विरोध के बावजूद भी आवासीय क्षेत्रों में शराब की दुकानों को खोल रहा है. इसमें क्या गड़बड़ी है.
भाजपा और आम आदमी पार्टी में क्या दोस्ताना हैः अजय माकन ने इसके साथ ही भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम और डीडीए को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि मास्टर प्लान 2021 के नियमों के तहत आवासीय इलाकों में शराब की दुकान खुल ही नहीं सकती है. ऐसे में दिल्ली नगर निगम और डीडीए को यह बताना चाहिए कि उसने आवासीय इलाकों में शराब की दुकानों को नियमों के तहत सील क्यों नहीं किया. इसके लिए उनके ऊपर भाजपा के किन नेताओं का दबाव था. अजय माकन ने अपने दावे के समर्थन में मास्टर प्लान की काॅपी दिखाते हुए उसके प्रावधानों को भी पढ़कर सुनाया.
उन्होंने कहा कि जब वह केंद्रीय शहरी विकास मंत्री थे. उस समय मास्टर प्लान 2021 दिल्ली के लिए तैयार किया गया था. उसके 15वें अध्याय में साफ लिखा हुआ है कि आवासीय क्षेत्रों में शराब की दुकान नहीं खुलेगी. यह निर्णय कांग्रेस सरकार ने किया था. इसे कानूनी रूप देने के लिए मास्टर प्लान में शामिल किया गया था. इस नियम के तहत 7 तरह के कार्य आवासीय क्षेत्र, फिर वह मिश्रित उपयोग भूमि क्यों न हो, में प्रतिबंधित किये गए थे. इसमें पांचवें स्थान पर शराब की दुकान थी. कांग्रेस सरकार ने मास्टर प्लान में कहा था कि शराब की दुकान केवल डीडीए शापिंग काॅम्पलैक्स या माॅल में ही खुल सकते हैं. ऐसे में सीबीआई अपनी जांच में यह भी पता करे कि भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम और डीडीए ने किसके दबाव में आवासीय क्षेत्रों में खुली शराब की दुकानों को सील नहीं किया. इसमें भाजपा और आम आदमी पार्टी में क्या दोस्ताना है.
अजय माकन ने शराब नीति में गड़बड़ी के तीन मुख्य बिंदु बताये
पहले | दिल्ली सरकार ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई. इसने कहा कि थोक शराब का काम केवल सरकार करे. जैसा कि कर्नाटक में होता है. |
दूसरे | रिटेल के लिए कहा गया कि एक व्यक्ति को अधिकतम दो लाइसेंस ही दिए जाएं. |
तीसरे | उत्पादक को होलसेल या रिटेल का काम नहीं दिया जाए. |
अजय माकन ने कहा दिल्ली सरकार ने अपनी ही एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश को नहीं मानी (Ajay Makens allegations on liquor policy). जब उनकी सिफारिश माननी ही नहीं थी तो कमेटी का गठन क्यों किया गया. दिल्ली सरकार ने उत्पादक को ही थोक और रिटेल में नाम बदलकर लाइसेंस हासिल करने का अवसर दे दिया. इससे चुनिंदा ब्रांड और कंपनी को लाभ हुआ. इसके पीछे क्या गड़बड़ी है. केजरीवाल को यह भी बताना चाहिए. माकन ने कहा कि राजस्थान में लाॅटरी से दुकान देने की नीति है. वहां पर अधिकतम एक व्यक्ति को दो ही लाइसेंस दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की एक्सपर्ट कमेटी के हिसाब से एक व्यक्ति को दो ही लाइसेंस दिए जा सकते थे. दिल्ली में कुल 849 दुकान खुलनी थी. हालांकि 460 दुकानें खोली गई. एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश से करीब 425-430 लाइसेंस ही दिए जाने चाहिए थे. लेकिन दिल्ली सरकार ने इसकी जगह दिल्ली को 32 जोन में बांट दिया गया. एक-एक व्यक्ति को 25-30 लाइसेंस दे दिए गए.
शराब कारोबारियों काे राहत लेकिन आम आदमी को कोई राहत नहीं दीः अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने शराब कारोबारियों के लगभग 144 करोड़ रुपये माफ कर दिए हैं. यह कहा गया कि उनको कोरोना में नुकसान हुआ है. इसी वजह से उनको यह राहत दी गई है. ऐसे में इतनी दरियादिली और सहानुभूति केजरीवाल सरकार ने छोटे दुकानदारों, किरायेदारों, स्कूल संचालकों को लेकर क्यों नहीं दिखाई. उनके बिजली के बिल क्यों माफ नहीं किए गए. एयरपोर्ट पर लाइसेंस नहीं मिलने पर एक दुकानदार को 30 करोड़ रुपये की राहत दे दी गई. लेकिन आम आदमी को कोई राहत नहीं दी गई. यह क्या गड़बड़ी है. माकन ने कहा कि पहले यही केजरीवाल कहते थे अगर किसी मंत्री पर आरोप हो तो उसके इस्तीफा दिए बगैर उसके मामले की सही जांच नहीं हो सकती है. कांग्रेस के प्रधाानमंत्री मनमोहन सिंह से बार-बार उनके मंत्रियों के इस्तीफा मांगे गए. ऐसे में अरविंद केजरीवाल को अपनी ही बात पर अमल करते हुए सबसे पहले मनीष सिसोदिया का इस्तीफा लेना चाहिए. इसके अलावा इस मामले में खुली बहस में शामिल होते हुए केजरीवाल को हमारे सवालों के जवाब देने चाहिए.