नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने ICMR के हेड डॉ. बलराम भार्गव को एक लेटर लिखा है. पत्र में उनसे डॉ. अभिषेक की कोविड से हुई मौत के लिए विचार करने की अपील की गई है.
एसोसिएशन का मानना है कि डेंटल सर्जन डॉ. अभिषेक कोविड ड्यूटी पर थे, जब वो बीमार पड़े. उनके सारे लक्षण कोविड वाले थे. लेकिन चूंकि उनका RT-PCR टेस्ट निगेटिव आया. जिसकी वजह से उन्हें कोरोना शहीद नहीं माना जा रहा है. इसके कारण उनके परिजनों को दिल्ली सरकार द्वारा कोरोना शहीदों के लिए निर्धारित 1 करोड़ रुपये का कंपनसेशन भी नहीं मिल पा रहा है.
'ICMR की गाइडलाइंस में बदलाव लाया जाए'
AIIMS रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदर्श सिंह ने लेटर में डॉ. भार्गव को संबोधित कर लिखा कि बहुत सारे हेल्थ वर्कर्स की मौत हो रही है. उनमें कोविड जैसे लक्षण देखे गए हैं, लेकिन उनकी कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई है.
ऐसी परिस्थिति में ऐसे हेल्थ वर्कर्स के परिजन सरकार द्वारा निर्धारित कंपनसेशन पाने से वंचित रह जाते हैं. डॉ. आदर्श ने आईसीएमआर चीफ डॉ. भार्गव से कोविड पेशेंट के लिए बनाई गाइडलाइंस में बदलाव लाने की अपील की. डॉ. आदर्श ने डॉ. भार्गव से खासकर सबसे कम उम्र के कोरोना वॉरियर 26 साल के डेंटल सर्जन डॉ अभिषेक के मामले में विचार करने का आग्रह किया है.
'ICMR की गाइडलाइंस सही नहीं'
AIIMS के बुजुर्ग मरीजों को देखने वाले विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विजय कुमार का साफ तौर पर मानना है कि कोविड के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट भरोसेमंद नहीं है. क्योंकि हाल के दिनों में कुछ कोरोना वॉरियर्स की मौत हुई है. जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव होने के बाद भी दूसरे टेस्ट में पेशेंट्स पॉजिटिव पाए गए और गलतफहमी में उनकी मौत हो गई.
उन्होंने कहा कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का पहला टेस्ट निगेटिव आया, लेकिन उनके सारे लक्षण कोरोना वाले थे. क्योंकि वह स्वास्थ्य मंत्री थे, इसीलिए उन्होंने अपने आप को एक निजी अस्पताल में भर्ती करवा लिया. और वहां पर जब दोबारा उनका टेस्ट हुआ तो उनकी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके बाद वहां प्लाज्मा थेरेपी के बाद वो ठीक होकर घर जा पाए.
डॉ. विजय कहते हैं अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तभी कोरोना वॉरियर्स घोषित किया जाएगा. और अगर रिपोर्ट निगेटिव आती है तो उन्हें कोरोना वॉरियर्स घोषित नहीं किया जाएगा. सरकार का जो यह नियम है और ICMR की जो यह गाइडलाइन है, वह सही नहीं है.
अभी कुछ दिन पहले मौलाना आजाद डेंटल इंस्टीट्यूट के डेंटल सर्जन डॉक्टर अभिषेक 26 साल की उम्र में कोरोना शहीद हो गए. लेकिन उनकी कोविड रिपोर्ट निगेटिव थी. इसलिए उनको कोरोना शहीद के रूप में पहचान नहीं मिली. इसकी वजह से उनके परिजनों को जो सरकार की तरफ से कंपनसेशन मिलना चाहिए था. वो नहीं मिल पा रहा है. इसी तरह दिल्ली पुलिस की एक कांस्टेबल शैली बंसल के साथ भी यही हुआ.