नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में लोग छठ पर्व पिछले कई सालों से बड़े ही धूमधाम से मनाते थे, लेकिन कोविड-19 ने इस महापर्व को सार्वजनिक रूप से मनाने वाले लोगों को पिछले दो साल से काफी निराश किया है. पूर्वांचल में मनाया जाने वाला छठ पर्व दिल्ली में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. रातभर छठी मैया के भजन कीर्तन होते हैं, श्रद्धालु उगते हुए सूरज और डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठी मैया की पूजा अर्चना करते हैं. दिल्ली में कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए सरकार ने सार्वजनिक छठ कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है.
दिल्ली में कई संस्थाओं का कहना है कि जब रामलीला की अनुमति मिल गई, दुर्गा पूजा के सार्वजनिक कार्यक्रम की भी अनुमति मिल गई तो फिर छठ के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक क्यों ? दिल्ली के नरेला इलाके की एक संस्था और उनके सहयोगी एलजी साहब से भी मिलने पहुंचे जहां लगातार पत्राचार तो जारी है, लेकिन अभी तक निराशा ही मिल रही है.
इसी मुद्दे को लेकर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने शुरुआती दौर में बैठक की और इस फैसले का विरोध किया. अब दिल्ली के हर वार्ड में पहुंचकर लोगों से इस पर राय ली जा रही है. इस पर नरेला इलाके में छठ भक्तों का कहना है कि यह सीधे तौर पर राजनीति है. छठ पूजा के नाम पर पूर्वांचल के लोगों के साथ राजनीति हो रही है, जिसका सभी पूर्वांचल की संस्थाएं विरोध कर रही है और इस फैसले को तुगलकी फरमान भी बताया जा रहा है.
छठ कार्यक्रम को धूमधाम से मनाने वाली संस्थाओं का कहना है कि यदि उस फैसले को जल्द वापस नहीं लिया जाता है तो वह एलजी और मुख्यमंत्री आवास के बाहर छठ पूजा का सामग्री लेकर पहुंचेंगे. वहीं पर पूजा अर्चना करके दिखाएंगे. अपनी मांगों को मनवाने के लिए प्रदर्शन भी करने को तैयार हैं. राजधानी दिल्ली में करीब 40 लाख पूर्वांचल के लोगों की मांग को सरकार मानती है या फिर इस मुद्दे पर राजनीति ही की जाती है.