नई दिल्ली : दिल्ली में नर्सरी कक्षा में अपने बच्चे का एडमिशन कराना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. बच्चों के एडमिशन के लिए अभिभावकों के मोबाइल पर विभाग की तरफ से मैसेज तो भेज दिए गए हैं, लेकिन एडमिशन की प्रक्रिया ने अपना पहला पड़ाव ही पार नहीं किया है. नर्सरी कक्षा में अपने बच्चों के एडमिशन के लिए परेशान हो रहे अभिभावकों ने ईटीवी पर अपने अनुभव को साझा किया.
नर्सरी कक्षा में अपने बच्चे के एडमिशन के लिए परेशान बबली का कहना है कि उनके बच्चे का नर्सरी में एडमिशन के लिए नाम का मैसेज जैसे ही उनके फोन पर आया मानो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. नर्सरी में EWS/DG कोटे के तहत नाम आना मतलब एक जंग जीत लेना है. उन्हें क्या पता था कि एडमिशन के लिए मैसेज आना ही सब कुछ नहीं था. असली संघर्ष तो मैसेज आने के बाद शुरू हुआ है. नर्सरी कक्षा में अपने बच्चे के एडमिशन के लिए स्कूल से लेकर जिला शिक्षा निदेशालय, शिक्षा निदेशालय और शिक्षा मंत्री तक के चक्कर काटने पड़ेंगे. दरअसल यह हाल केवल बबली का ही नहीं है. यह हाल उन तमाम अभिभावकों का भी है जिनके बच्चे का इस वर्ष EWS/DG कैटेगरी के तहत एंट्री लेवल क्लास में एडमिशन के लिए चयन हुआ है.
अपने बच्चे का एडमिशन कराने आए राजेंद्र और मनीष की तरह कई अभिभावक चयनित स्कूल में एडमिशन के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर हो हैं. अब तक इन अभिभावकों को अपने बच्चे के एडमिशन को लेकर कोई खास जानकारी नहीं मिली है. बबली ने बताया कि लिस्ट में नाम आने के बाद यानी की 30 जून से एडमिशन के लिए चक्कर लगा रहे हैं. राजेंद्र ने बताया कि बच्चे के एडमिशन के लिए महीने में वे अब तक सात छुट्टी ले चुके हैं, लेकिन एडमिशन को लेकर कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ रहा है. मनीष का कहना है कि एंट्री लेवल क्लास में बच्चे के एडमिशन के लिए नाम तो चयनित हो गया है, लेकिन कोई भी स्कूल एडमिशन नहीं दे रहा है. एडमिशन नहीं मिलने को लेकर स्थानीय विधायक जिला उच्च शिक्षा निदेशक शिक्षा निदेशालय और शिक्षा मंत्री तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कहीं से समाधान होते हुए दिखाई नहीं पड़ रहा है.
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निजी स्कूलों में EWS/DG कैटेगरी के तहत दाखिले के लिए चयनित बच्चों के अभिभावकों को पहले 30 जून तक स्कूल में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था. बाद में तारीख बढ़ाकर 31 जुलाई कर दी गई. इस वर्ष जनरल कोटे में एंट्री लेवल क्लास में ना के बराबर एडमिशन हुए हैं. जिसका खामियाजा EWS/DG कैटेगरी के तहत आने वाले छात्रों को उठाना पड़ रहा है. पिछले दिनों शिक्षा निदेशालय ने एक सर्कुलर जारी किया था. जिसमें कहा गया कि सभी चयनित छात्रों को एडमिशन देना होगा, लेकिन अभिभावक अब भी स्कूल और निदेशालय के चक्कर लगा रहे हैं.