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WPI Inflation : तीन साल के निचले स्तर पर पहुंची थोक महंगाई, जानें आम जन-जीवन पर इसका असर

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Published : Jun 14, 2023, 2:51 PM IST

Updated : Jun 14, 2023, 4:24 PM IST

WPI Inflation
थोक महंगाई

देश में थोक महंगाई दर तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. ये लगातार दूसरी बार है जब महंगाई दर में गिरावट आई है. जानें Wholesale Inflation में गिरावट आने का आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा. पढ़ें पूरी खबर...

नई दिल्ली : थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में घटकर शून्य से 3.48 प्रतिशत नीचे आ गई है. यह इसका तीन साल का निचला स्तर है. मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं के दाम घटने से थोक मुद्रास्फीति नीचे आई है. यह लगातार दूसरा महीना है जबकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से नीचे है. अप्रैल में यह (-) 0.92 प्रतिशत पर थी. मई, 2022 में थोक मुद्रास्फीति 16.63 प्रतिशत पर थी.

मई, 2023 का मुद्रास्फीति का आंकड़ा तीन साल का निचला स्तर है. इससे पहले मई, 2020 में थोक मुद्रास्फीति (-) 3.37 प्रतिशत पर थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मई में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति घटकर 1.51 प्रतिशत पर आ गई. अप्रैल में यह 3.54 प्रतिशत पर थी. ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति मई में घटकर (-) 9.17 प्रतिशत पर आ गई. अप्रैल में यह 0.93 प्रतिशत थी. विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मई में शून्य से 2.97 प्रतिशत नीचे रही. अप्रैल में यह शून्य से 2.42 प्रतिशत नीचे थी. मई में खुदरा मुद्रास्फीति भी घटकर 4.25 प्रतिशत के 25 माह के निचले स्तर पर आ गई है.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को कहा-
'मई में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट की मुख्य वजह खनिज तेल, मूल धातु, खाद्य उत्पाद, कपड़ा, गैर-खाद्य सामान, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रसायन और रसायन उत्पादों की कीमतों में कमी है.’

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थोक महंगाई का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई का लंबे समय तक बढ़ें रहना चिंता का विषय होता है. ये ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर यानी सामाना निर्माता पर बुरा असर डालती है. अगर लंबे समय तक थोक महंगाई बनी रहती है, तो प्रोडक्ट निर्माता उसका भार कंज्यूमर पर डाल देता है. यानी वह प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ा देता है. हालांकि सरकार टैक्स के जरिए WPI कम करने की कोशिश करती है. बहरहाल, महंगाई का बढ़ना या घटना प्रोडक्ट डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है. अगर बाजार में किसी सामान की मांग ज्यादा है और उसके अनुसार उसकी सप्लाई नहीं है तो, उस प्रोडक्ट की कीमत बढ़ जाती है. मतलब बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है. वहीं, इसके विपरित अगर डिमांड कम है और सप्लाई ज्यादा है तो महंगाई कम होगी.

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(भाषा के साथ एकस्ट्रा इनपुट)

Last Updated :Jun 14, 2023, 4:24 PM IST
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