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Millet MSP: मोदी सरकार में मोटे अनाजों का MSP 100 से 150 फीसदी तक बढ़ा

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Published : Aug 13, 2023, 3:00 PM IST

मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू आदि शामिल हैं. पिछले नौ सालों में 'मिलेट्स' के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 100 से 150 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. पढ़ें पूरी खबर....

Millet MSP
मोटे अनाज

नई दिल्ली : मोदी सरकार के पिछले नौ साल के शासनकाल में ज्वार, बाजरा और रागी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 100 से 150 फीसदी तक की भारी बढ़ोतरी हुई. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2014-15 से 2023-24 के बीच ज्वार का एमएसपी 108 फीसदी बढ़ा. वित्त वर्ष 2014-15 में ज्वार का MSP 1,550 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 2023-24 में 3,225 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया.

इसी तरह बाजरे का MSP 2014-15 में 1,250 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 2023-24 में 100 प्रतिशत बढ़कर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. रागी का एमएसपी नौ साल में 148 प्रतिशत की भारी वृद्धि के साथ 1,550 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 3,846 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. मक्का के मामले में, एमएसपी 2014-15 में 1,310 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 2023-24 में 59 प्रतिशत बढ़कर 2,090 रुपये प्रति क्विंटल हो गया.

Millet benefits
सेहत के लिए मिलेट्स के फायदे

जौ का एमएसपी 2014-15 में 1,150 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 2023-24 में 50 प्रतिशत बढ़कर 1,735 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि 2023 बाजरा का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष है, केंद्र सरकार लगभग हर साल राज्यों से मोटे अनाज की खरीद और खपत को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध करती रही है.

मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि राज्यों से ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करके मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया गया है. साथ ही मोटे अनाज की खपत के प्रति लोगों की भोजन की आदतों को फिर से उन्मुख करने के लिए जागरूकता अभियान शुरू करने पर विचार करने का आग्रह किया गया है.

Millet
मिलेट्स पर एक नजर

राज्यों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे जिला कलेक्टरों और जिला कृषि अधिकारियों को राज्य के भीतर सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरण के लिए स्थानीय उपभोग प्राथमिकता के अनुसार मोटे अनाज और बाजरा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने का निर्देश दें. केंद्र ने राज्य सरकारों से केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार मोटे अनाज और बाजरा की खरीद करने का भी अनुरोध किया है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है. यह कीमत किसानों की उत्पादन लागत से कम से कम डेढ़ गुना अधिक होती है. सरकार द्वारा एमएसपी की घोषणा फसलों की बुआई से ठीक पहले की जाती है. इससे उस साल फसल का उत्पादन अधिक या कम होने से किसानों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं उठाना पड़ता.

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(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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