महंगाई से राहत: खाद्य तेल की कीमतों में ₹15 लीटर तक की कटौती

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Published : Jun 17, 2022, 8:50 AM IST

Updated : Jun 17, 2022, 11:54 AM IST

mother dairy and other edible oil company slash price up to rs 15

आसमान छू रहीं खाद्य तेलों की कीमतों से लोगों को बड़ी राहत मिली है. मदर डेयरी ने खाद्य तेलों के अपने सभी उत्पादों के मूल्यों में कमी करने का फैसला किया है. कंपनी अपने खाद्य तेलों को धारा ब्रांड के तहत बेचती है.

नई दिल्ली: प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ताओं में से एक मदर डेयरी ने अपने खाद्य तेलों की कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर तक की कमी की है. मदर डेयरी ने कहा है कि वैश्विक बाजारों में खाद्य तेलों के दाम नीचे आए हैं. इसी के मद्देनजर उसने यह कदम उठाया है. कंपनी अपने खाद्य तेलों को धारा ब्रांड के तहत बेचती है. बता दें, धारा सरसों तेल (एक लीटर पॉली पैक) की कीमत 208 रुपये से घटाकर 193 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है.

धारा रिफाइंड सूरजमुखी तेल (एक लीटर पॉली पैक) पहले के 235 रुपये प्रति लीटर से अब 220 रुपये में बेचा जाएगा. धारा रिफाइंड सोयाबीन तेल (एक लीटर पॉली पैक) की कीमत 209 रुपये से घटकर 194 रुपये हो जाएगी. मदर डेयरी ने एक बयान में कहा, ‘धारा खाद्य तेलों की अधिकतम खुदरा कीमतों (एमआरपी) में 15 रुपये प्रति लीटर तक की कमी की जा रही है.' कीमतों में यह कमी हाल की सरकार की पहल, अंतरराष्ट्रीय बाजारों का प्रभाव कम होने और सूरजमुखी तेल की उपलब्धता बढ़ने की वजह से हुई है.

नए एमआरपी के साथ धारा खाद्य तेल अगले सप्ताह तक बाजार में पहुंच जाएगा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में उच्च दरों के कारण पिछले एक साल से खाद्य तेल की कीमतें बहुत ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं. घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत सालाना लगभग 1.3 करोड़ टन खाद्य तेलों का आयात करता है. खाद्य तेलों के लिए देश की आयात पर निर्भरता 60 प्रतिशत की है. विदेशी बाजारों के टूटने से खाद्य तेल कीमतों में गिरावट विदेशी बाजारों में मंदी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ, पामोलीन तेल की थोक कीमतों में आई, जबकि मंडियों में आवक कम होने के बीच सरसों तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर टिके रहे.

बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग दो प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में लगभग एक प्रतिशत की गिरावट है. सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक निरंतर घटने लगी है और लगभग ढाई लाख से 2.70 लाख बोरी की रोजाना आवक है जबकि पिछले साल जून में यह लगभग पांच लाख बोरी थी. बरसात के साथ सरसों की मांग बढ़ेगी और जिस तरह से इस बार आरंभ से सरसों की खपत बढ़ी है, उससे आगे जाकर सरसों के मामले में दिक्कतें आ सकती हैं. आयातित तेलों के महंगा होने तथा बाकी तेलों के मुकाबले सस्ता होने के कारण इस बार सरसों का भारी मात्रा में रिफाइंड बना और आयातित तेलों की कमी को सरसों की नयी पैदावार से रिफाइंड बनाकर पूरा करने की कोशिश की जाती रही.

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन तेल-तिलहन, पामोलीन, सीपीओ, मूंगफली, सूरजमुखी तेलों के थोक भाव में काफी नरमी आई है लेकिन सरकार को इस बात की ओर ध्यान देना होगा कि जमीनी स्तर पर इस गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं को मिल रहा है या नहीं. सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस वस्तुस्थिति की ओर ध्यान नहीं दिया तो देश में तेल-तिलहन उत्पादन नहीं बढ़ पायेगा. सरकार को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़ में महंगे दामों पर उपभोक्ताओं को की जाने वाली बिक्री को रोकने के लिए सख्ती बरतनी होगी.

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सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन तेलों के थोक दाम में 12-15 रुपये प्रति लीटर की गिरावट आई है और आम उपभोक्ताओं को थोक कीमत की इस गिरावट का लाभ मिलना चाहिये. मांग होने के बीच सामान्य कारोबार के दौरान सरसों तेल-तिलहन के भाव पूर्ववत रहे. बिनौला में कारोबार खत्म हो चुका है.
सूत्रों ने कहा कि तेल-तिलहन के आयात पर भारत को काफी विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है और निरंतर तेल संकट बना रहता है. ऐसे में समस्या का स्थायी समाधान देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही हो सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated :Jun 17, 2022, 11:54 AM IST
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