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जेब काटने वाली कर बचत योजनाओं में निवेश से पहले रखें इन बातों का ध्यान

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Published : Jan 6, 2023, 1:35 PM IST

Updated : Jan 6, 2023, 1:44 PM IST

Tax Saving Scheme
टैक्स सेविंग स्कीम

कर बचत योजनाओं (Tax Saving Scheme) को सावधानी से लिया जाना चाहिए. आपको इन योजनाओं को लेने से पहले रिटर्न और कर लाभों पर विचार करना चाहिए. अगर इन योजनाओं को लेने में जल्दबाजी में गलती की गई तो आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मुश्किलें आएंगी. आइए देखें कि क्या करने की आवश्यकता है. जेब पर भारी पड़ने वाली कर बचत योजनाओं में निवेश से पहले रखें इन बातों का ध्यान...

हैदराबाद : एक अच्छी योजना की मदद से आप कर बचत कर सकते है. वित्तीय वर्ष समाप्त होने में आपके पास सिर्फ तीन महीने और बचे हैं. इसलिए टैक्स प्लानिंग (Tax Saving Scheme) पहले ही कर ले. क्योंकि अंतिम समय में लिए गए फैसले मनचाहा लाभ नहीं दें पाते. ऐसे मामलों में टैक्स बचाने के लिए बड़ी रकम के निवेश (Investment in Tax Saving Scheme) की जरूरत होगी. जल्दबाजी में बचत योजनाओं के चयन में गलतियां हो सकती हैं. टैक्स में छूट मिल सकती है लेकिन टारगेट हासिल करने में दिक्कतें आएंगी.

सबसे पहले यह पता करें कि वित्त वर्ष 2022-'23 (एसेसमेंट ईयर 2023-24) के लिए आपको कितना टैक्स देना होगा. अपनी कुल आय और टैक्स ब्रैकेट जानें. सभी स्रोतों से आय जैसे वेतन, व्यवसाय, जमा से ब्याज, शेयरों, म्यूचुअल फंड और उपहारों से लघु और दीर्घकालिक लाभ. यह न भूलें कि आयकर विभाग आपकी हर बारीकी को जानता है. आपके वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) में आपके सभी आय और उच्च मूल्य के लेन-देन शामिल रहते हैं. आपको कितना टैक्स देना होगा, यह जानने के लिए अपने ऑफिस के एकाउटिंग डिपार्टमेंट से बात करें. पता लगाएं कि बचत के अवसर क्या हैं. उसके बाद यह तय कर सकते हैं कि निवेश के लिए कौन सी योजनाओं को चुनना है. होम लोन, ईपीएफ (EPF) और जीवन बीमा प्रीमियम पर भुगतान किए गए ब्याज को कर से छूट दी गई है.

टैक्स बचाने के कई तरीके हैं लेकिन कई लोग इंश्योरेंस पॉलिसी चुनते हैं. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि कर बचत बीमा पॉलिसियों द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक अतिरिक्त लाभ है, लेकिन उन पर पूरी तरह निर्भर रहने से हमारी वित्तीय योजनाओं को नुकसान हो सकता है. वार्षिक आय का कम से कम 12 गुना बीमित होना सुनिश्चित करें. इसके लिए पारंपरिक पॉलिसी के विपरीत टर्म पॉलिसी लेने की कोशिश करें. Tax Saving Scheme .

Tax Saving Schemes में रिटर्न की रकम भी अहम होती है. सिक्योर्ड स्कीम्स में सेविंग गारंटीड रिटर्न होती है. बाजार आधारित योजनाओं में निवेश करते समय रिटर्न की कोई सटीक उम्मीद नहीं होती है. जैसे VPF (वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड) का रिटर्न 8.10 फीसदी है जबकि PPF (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) पर 7.10 फीसदी का ब्याज मिल रहा है. कुछ प्लान के तहत रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं है. ईएलएसएस स्कीम्स (ELLS Scheme) पर 10-15 फीसदी तक रिटर्न मिल रहा है.

कुछ स्कीमों में निवेश करने पर टैक्स में छूट मिलती है. लेकिन प्राप्त आय/ब्याज को लागू स्लैब के अनुसार कुल आय और भुगतान किए गए कर में शामिल किया जाना चाहिए. आपकी सूची अच्छी बचत-निवेश योजनाओं का मिश्रण होनी चाहिए. कर के सबी पहलूओं को समझने के बाद ही इंवेस्ट करने का निर्णय लें. म्यूचुअल फंड द्वारा दी जाने वाली इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ईएलएसएस) में इंवेस्टमेंट को कम से कम तीन साल तक बनाए रखना चाहिए. बैंकों में टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट को पांच साल तक नहीं निकाला जा सकता है. बीमा पॉलिसियों की भी एक निश्चित अवधि होती है. इसलिए यदि कोई अवधि को समझे बिना कर बचत योजनाओं को चुनता है, तो वे बाद में निकासी नहीं कर सकते हैं.

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Last Updated :Jan 6, 2023, 1:44 PM IST
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