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2021-22 : राज्यों का राजकोषीय घाटा कम होकर जीडीपी का 4.3% रहने का अनुमान

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Published : Feb 15, 2021, 8:39 PM IST

राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटा

आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में राज्यों का राजकोषीय घाटा सकल रूप से कम होकर 4.3 प्रतिशत रह सकता है. इंडिया रेटिंग्स ने एंड रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में यह पूर्वानुमान जताया है. इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में बाजार मूल्य पर जीडीपी में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी.

नई दिल्ली : इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों का राजकोषीय घाटा सकल रूप से वित्त वर्ष 2021-22 में कम होकर 4.3 प्रतिशत रह सकता है, जबकि 2020-21 में इसके 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

रेटिंग एजेंसी ने 2021-22 के लिये राज्यों के वित्त पर अपने परिदृश्य को संशोधित कर स्थिर से नकारात्मक किया है. एजेंसी ने रिपोर्ट में कहा, 'हमारा अनुमान है कि राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा 2021-22 में कम होकर 4.3 प्रतिशत रहेगा, जबकि 2020-21 में इसके 4.6 प्रतिशत रहने की संभावना है.'

इंडिया रेटिंग्स ने पूर्व में 2020-21 में राज्यों का राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था. लेकिन बाद में बाजार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उम्मीद की तुलना में 6.1 प्रतिशत की बड़ी गिरावट को देखते हुए राजकोषीय घाटे के अनुमान को संशोधित किया.

ईटीवी भारत से बात करते हुए रेटिंग एजेंसी के अधिकारियों ने बताया, 'इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में बाजार मूल्य पर जीडीपी में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी और राजस्व संग्रह में धीमे-धीमे वृद्धि से पूंजी व्यय में 2021-22 में बढ़ोतरी होगी.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक नरमी के कारण, केंद्र सरकार के वित्त पर दबाव है. इससे 2020-21 के संशोधित अनुमान के अनुसार राज्यों को केंद्रीय करों में 5.50 लाख करोड़ रुपये मिलेगा, जो बजटीय अनुमान 8.03 लाख करोड़ रुपये से कम है.

इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, बजट में राज्यों की केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की तुलना में संशोधित अनुमान 2.53 लाख करोड़ रुपये कम है. वित्त वर्ष 2020-21 के राजकोषीय घाटे के अनुमान में बजटीय अनुमान के मुकाबले जो बढ़ोतरी है, उसमें इसकी हिस्सेदारी करीब 92 प्रतिशत है.

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एजेंसी के हालिया अनुमान के अनुसार, राज्यों के राजस्व घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 3.2% तक जाने का अनुमान है, जो कि एजेंसी के पूर्व के पूर्वानुमान 2.8% में 40 बेसिस पॉइंट्स की वृद्धि है.

केंद्रीय बजट 2021-22 के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के संशोधित अनुमान के अनुसार राज्यों की हिस्सेदारी 5.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 6.66 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है.

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