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कॉरपोरेट कर कटौती के बाद 3.5-3.6 फीसदी रह सकता है राजकोषीय घाटा

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Published : Sep 26, 2019, 11:07 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 4:08 AM IST

सरकार अगर विनिवेश को प्राथमिकता देती है और उपभोग में स्थायी तौर पर सुधार होने के साथ-साथ बाजार में सकारात्मक रुझान बनता है तो कॉरपोरेट कर में 10 फीसदी की कटौती के बावजूद राजकोषीय घाटा 3.5-3.6 फीसदी तक सीमित रह सकता है.

कॉरपोरेट कर कटौती के बाद 3.5-3.6 फीसदी रह सकता है राजकोषीय घाटा

मुंबई: रेटिंग्स व रिसर्च फर्म एक्विट का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय फिसलन का समाधान गैर-कर राजस्व और ब्याज पर होने वाले खर्च में बचत करके किया जा सकता है. रेटिंग कंपनी के अनुसार, कॉरपोरेट कर में कटौती के बाद राजकोषीय घाटा 3.5-3.6 फीसदी रह सकता है जोकि बजटीय लक्ष्य से 0.2-0.3 फीसदी अधिक है.

एक्विट रेटिंग्स का मानना है कि अतिरिक्त गैर-कर राजस्व खासतौर से विनिवेश से होने वाला फायदा प्रमुख घटक हो सकता है.

कंपनी के अनुसार, सरकार अगर विनिवेश को प्राथमिकता देती है और उपभोग में स्थायी तौर पर सुधार होने के साथ-साथ बाजार में सकारात्मक रुझान बनता है तो कॉरपोरेट कर में 10 फीसदी की कटौती के बावजूद राजकोषीय घाटा 3.5-3.6 फीसदी तक सीमित रह सकता है.

ये भी पढ़ें: जो भी बिक सकता है बेचेगी सरकार, चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाएगी

रेटिंग कंपनी ने एक रिपोर्ट में कहा कि सरकार का अनुमान है कि कॉरपोरेट कर कटौती से सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा, हालांकि वास्तविक कमी इससे भी ज्यादा होगी क्योंकि उपभोग कम होने से अप्रत्यक्ष से प्राप्त राजस्व घटेगा जिससे राजकोषीय घाटा प्रस्तावित 3.3 फीसदी से घटकर चार फीसदी तक हो सकता है.

हालांकि एक्विट का यह भी मानना है कि अगर गैर-कर राजस्व में वृद्धि होती है तो राजकोषीय स्थिति कहीं बेहतर रह सकती है.

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मुंबई: रेटिंग्स व रिसर्च फर्म एक्विट का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय फिसलन का समाधान गैर-कर राजस्व और ब्याज पर होने वाले खर्च में बचत करके किया जा सकता है. रेटिंग कंपनी के अनुसार, कॉरपोरेट कर में कटौती के बाद राजकोषीय घाटा 3.5-3.6 फीसदी रह सकता है जोकि बजटीय लक्ष्य से 0.2-0.3 फीसदी अधिक है.



एक्विट रेटिंग्स का मानना है कि अतिरिक्त गैर-कर राजस्व खासतौर से विनिवेश से होने वाला फायदा प्रमुख घटक हो सकता है.



कंपनी के अनुसार, सरकार अगर विनिवेश को प्राथमिकता देती है और उपभोग में स्थायी तौर पर सुधार होने के साथ-साथ बाजार में सकारात्मक रुझान बनता है तो कॉरपोरेट कर में 10 फीसदी की कटौती के बावजूद राजकोषीय घाटा 3.5-3.6 फीसदी तक सीमित रह सकता है.



रेटिंग कंपनी ने एक रिपोर्ट में कहा कि सरकार का अनुमान है कि कॉरपोरेट कर कटौती से सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा, हालांकि वास्तविक कमी इससे भी ज्यादा होगी क्योंकि उपभोग कम होने से अप्रत्यक्ष से प्राप्त राजस्व घटेगा जिससे राजकोषीय घाटा प्रस्तावित 3.3 फीसदी से घटकर चार फीसदी तक हो सकता है.



हालांकि एक्विट का यह भी मानना है कि अगर गैर-कर राजस्व में वृद्धि होती है तो राजकोषीय स्थिति कहीं बेहतर रह सकती है.

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Last Updated :Oct 2, 2019, 4:08 AM IST
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