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'स्टडी इन इंडिया' कार्यक्रम में योग प्रशिक्षण शामिल, लिए गए ये खास फैसले

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Published : Jul 19, 2021, 9:49 PM IST

धर्मेन्द्र प्रधान
धर्मेन्द्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा, 'स्टडी इन इंडिया' भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे अप्रैल 2018 में शिक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा परिषद की साझेदारी में शुरू किया गया. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 4 मई 2021 को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक व्यापक कोविड कार्य योजना साझा की गई है.

नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री (Union Education Minister) धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने सोमवार को लोकसभा (Lok Sabha) में कहा कि केंद्रीय वित्त पोषित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIIT) में शिक्षकों के कुल स्वीकृत 410 पदों में से 147 पद रिक्त हैं.

लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में प्रधान ने कहा, पद रिक्त होने के बाद उन्हें उपयुक्त एवं पात्र उम्मीदवारों से भरा जाना एक सतत प्रक्रिया है. आईआईआईटी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों को आकर्षित करने के लिये कदम उठाये हैं, जिसमें मुक्त विज्ञापन करना, तलाश सह चयन प्रक्रिया आदि शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि जनवरी 2019 तक शिक्षकों के 204 पद रिक्त थे हालांकि जनवरी 2019 से फरवरी 2020 के दौरान 48 पद भरे गए. इस प्रकार से आईआईआईटी में अभी शिक्षकों के 147 पद रिक्त हैं.

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, दूसरे देशों के लोगों को भारत में योग का प्रामाणिक प्रशिक्षण पाने को प्रोत्साहित करने के लिए 'स्टडी इन इंडिया' कार्यक्रम में योग प्रशिक्षण को शामिल किया गया है.

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प्रधान ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'स्टडी इन इंडिया' भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे अप्रैल 2018 में शिक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा परिषद की साझेदारी में शुरू किया गया.

उन्होंने कहा, सरकार ने विदेश के लोगों में भारत में प्रामाणिक योग प्रशिक्षण प्राप्त करने की प्रेरणा जगाने के लिए 'स्टडी इन इंडिया' कार्यक्रम में योग प्रशिक्षण को शामिल किया है.

प्रधान के अनुसार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बेंगलुरू में अंतर विश्वविद्यालय केंद्र-योग विज्ञान की स्थापना को मंजूरी दी है और जनवरी 2017 से योग को यूजीसी-नेट की परीक्षा में नये विषय के रूप में जोड़ा है.

स्कूलों को फिर से खोलने के लिए राज्य सरकारें स्कूल प्रबंधनों के परामर्श के आधार पर फैसला ले सकती हैं. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद, ग्रेडेड तरीके से स्कूलों को फिर से खोलने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. इसके लिए राज्य सरकार संबंधित स्कूल प्रबंधनों के परामर्श से स्थिति के आकलन के आधार पर निर्णय ले सकती हैं.

शिक्षा मंत्रालय ने तदनुसार, विभाग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शारीरिक, सामाजिक दूरी के साथ स्कूलों को फिर से खोलने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया और दिशानिर्देश तैयार और प्रसारित किए हैं. यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में दी.

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सांसदों ने सोमवार को धर्मेंद्र प्रधान से पूछा कि क्या सरकार उन प्राथमिक विद्यालयों को फिर से खोलने पर विचार करेगी जहां महामारी की स्थिति समाप्त हो गई है. इसी प्रश्न के जवाब में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह जानकारी उपलब्ध कराई.

लोकसभा सांसद गंगासंद्र सिद्दप्पा बसवराज ने सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री से ऑनलाइन शिक्षा पर भी प्रश्न पूछे. उन्होने पूछा कि क्या शैक्षणिक सत्र 2021-22 के प्रारंभ में अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने में अधिकांश प्रवासी श्रमिकों के गरीब परिवारों की अक्षमता के कारण ग्रामीण भारत में प्राथमिक कक्षाओं में बड़ी संख्या में ड्रॉप आउट हुए हैं.

इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि क्या ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती बेरोजगारी के कारण, गरीब परिवारों को अपने बच्चों को प्राथमिक कक्षाओं में स्मार्टफोन उपलब्ध कराने और घर पर इंटरनेट सुविधाओं की व्यवस्था करने में कठिनाई हो रही है.

इन प्रश्नों के उत्तर में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है. स्कूल छोड़ने, स्कूलों में छात्रों के कम नामांकन और सीखने की हानि को रोकने के लिए, शिक्षा मंत्रालय ने 13 जुलाई, 2020 को प्रवासी बच्चों की पहचान, सुचारू प्रवेश प्रक्रिया और निरंतर शिक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अन्य बातों के साथ, राज्यों से अनुरोध किया है कि वे पहचान करें और ऐसे सभी बच्चों का स्कूलों में नामांकन करें. ऐसे बच्चों का एक डेटाबेस बनाए रखें.

इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चों की गुणवत्ता और समानता के साथ शिक्षा तक पहुंच हो और देश में स्कूली शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए, स्कूल शिक्षा विभाग ने 7 जनवरी, 2021 को सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के साथ दिशा-निर्देश साझा किए हैं. इनमें 6-18 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों की पहचान, नामांकन अभियान और जागरूकता पैदा करना शामिल है.

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स्कूल बंद होने पर छात्र सहायता, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए निरंतर शिक्षा (सीडब्ल्यूएसएन), स्कूल फिर से खोलने पर छात्र सहायता और शिक्षक क्षमता निर्माण शामिल हैं.

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इसके अलावा, 4 मई 2021 को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक व्यापक कोविड कार्य योजना साझा की गई है. इसमें स्थानीय निकायों की भूमिका, गावं, शहर स्तर पर नोडल समूह का गठन, डोर-टू-डोर हेल्पडेस्क-आधारित ऐप आधारित संचालन करना शामिल है.

स्कूल से बाहर के बच्चों की पहचान करने, उनकी मुख्यधारा में आने और संसाधनों को साझा करने के लिए सर्वेक्षण भी अपनाए गए हैं.

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक डिवाइस वाले बच्चों और बिना डिवाइस वाले बच्चों के लिए एक वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर बनाया गया है. यह कक्षा 1 से 12 तक सीखने के समाधान के लिए तैयार किया गया है. इसके अलावा, जहां इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है, शिक्षा मंत्रालय ने टीवी के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के लिए स्वयं प्रभा का एक क्लास वन चैनल और विशेष रूप से सांकेतिक भाषा में श्रवण बाधित छात्रों के लिए एक डीटीएच चैनल, सामुदायिक रेडियो स्टेशनों और पॉडकास्ट जैसी कई पहल की हैं.

शिक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि सीबीएसई की शिक्षा वाणी, पाठ्यपुस्तकों की आपूर्ति शिक्षार्थियों के आवास पर की गई हैं. मोबाइल स्कूल, वर्चुअल स्टूडियो, स्कूलों में वर्चुअल क्लास रूम आदि की स्थापना का समर्थन किया गया है.

(भाषा)

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