पीलीभीत : जिले के टाइगर रिजर्व में बाघों के अलावा सांपों की दुर्लभ प्रजातियों का संसार भी रहता है. सांपों की कई ऐसी प्रजातियां हैं, जो पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पाई जाती हैं. लेकिन आमतौर पर ये प्रजातियां दुर्लभ हो चुकी हैं. अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को आगामी मानसून में इन दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए.
सांपों की आयु
सांप सरीसृप वर्ग का प्राणी है. ये जल-थल दोनों जगह पाया जाता है. इसका मुख्य भोजन मेंढ़क, चूहे, छिपकली, पक्षी और उनके अंडे हैं. भारत में सांपों की करीब 270 प्रजातियां पाई जाती हैं. जिसमें करीब 15 प्रजातियां विषैली हैं. सांपों की औसत आयु 10 से 25 साल के बीच होती हैं. वही अजगर करीब 40 साल तक जीवित रहता है.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सांपों की प्रजातियां
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सांपों की करीब 18 प्रजातियां देखी गई हैं. जिसमें मुख्य विषैली प्रजातियां इंडियन कोबरा, रसेल वाईपर, कॉमन करेत, बेंडेड करेत है. वहीं विषहीन प्रजातियों में अजगर, रैट स्नेक (धामन), खुकरी स्नेक, ट्री स्नेक, कीलबैक स्नेक, सैंड बोआ स्नेक शामिल है.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पाई जाने वाली सांपों की प्रजाति
1. स्पेक्टेकल कोबरा (Spectacled Cobra)
इस सांप का जहर शिकार के तंत्रिका तंत्र को पंगु बना देता है. शरीर को लकवा मार जाता है. इसके काटने से मुंह से झाग निकलने लगता है और आंखों की रोशनी धुंधली हो जाती है. समय पर उपचार न मिलने पर इसका शिकार अंधा हो जाता है और अंततः मर जाता है. एक वयस्क नाग की लंबाई 1 मीटर से 1.5 मीटर (3.3 से 4.9 फिट) तक हो सकती है.
2. मोनोकल्ड कोबरा (Monocled Cobra)
ये एक लंबा विषधर सांप है. इसकी लम्बाई 5.6 मीटर तक होती है. सांपों की ये प्रजाति दक्षिणपूर्व एशिया और भारत के कुछ भागों में खूब पायी जाती है. एशिया के सांपों में ये सर्वाधिक खतरनाक सापों में से एक है.
3. रसेल वाईपर (Russel's Viper)
रसेल वाईपर को भारत में 'कोरिवाला' के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि ये इंडियन क्रेट से कम जहरीला है, फिर भी ये सांप भारत का सबसे घातक सांप है. ये बेहद गुस्सैल सांप बिजली की तेजी से हमला करने में सक्षम है. इसके काटने की वजह से भारत में हर साल करीब 25,000 लोगों की मौत हो जाती है.
4. कॉमन करैत (Common Krait)
कॉमन करैत सांपों की ऐसी प्रजाति है, जो अक्सर भारत के जंगलों में पायी जाती है. ये बेहद विषैला सांप है. भारत के सबसे खतरनाक चार सांपों में से एक है. इस किंग कोबरा से भी जहरीला सांप कहा जाता है.
5. बेंडेड करेत (Banded Krait)
धारीदार करैत भारत, बांग्लादेश और दक्षिणपूर्व एशिया में पाया जाने वाला विषधर सांप है. ये एक जहरीला सांप है, जो विषहीन सांपों का भक्षण कर उनकी संख्या को नियंत्रित रखते हुए जैव विविधता में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
6. ब्लैक करेत (Black Krait)
ये भारत का सबसे घातक साइलेंट किलर सांप है. करेत की लंबाई अधिक होती है. ये सांप आमतौर पर काले या नीले रंग का होता है. इसमें लगभग 40 पतली सफेद धारियां होती हैं, जो शुरुआत में नजर नहीं आती. लेकिन इसके बड़े होने के साथ-साथ गहरी होती जाती हैं.
7. इंडियन रैट स्नेक (Indian Rat Snake)
इंडियन रैट स्नेक जिसे आम बोलचाल की भाषा में धामन भी कहा जाता है. ये सांप भारत के बहुत ही कम हिस्सों में पाया जाता है, छत्तीसगढ़ जिनमें से एक है. काम के दौरान अक्सर लोग इस सांप का शिकार बन जाते हैं. ये सांप खेतों, कम झाड़ी वाले जंगलों और आबादी वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं.
8. कॉमन वोल्फ स्नेक (Common Wolf Snake)
ये सांप बहुत ही ताकतवर और डरावने होते हैं. इनकी स्किन डार्क ब्राउन रंग की होती है और इन पर काले रंग की धरियां बनी रहती है. बहुत ही भयानक से दिखने वाले ये सांप बिल्कुल भी जहरीले नहीं होते. लेकिन जकड़ने में ये बहुत ही माहिर होते हैं.
9. बैरेड वोल्फ स्नेक (Barred Wolf Snake)
इस सांप को उसकी एक खासियत की वजह से वोल्फ स्नेक नाम दिया गया है। वोल्फ सांप बहुत ही ताकतवर और डरावने होते हैं। इनकी स्किन डार्क ब्राउन रंग कर होती है और इन पर काले रंग की धरियां बनी रहती हैं। बहुत ही भयानक से दिखने वाले ये सांप बिल्कुल भी जहरीले नहीं होते.
10. चेकर्ड कीलबैक (Checkered keelback)
वॉटर स्नेक के नाम से फेमस ढोर सांप की औसतन लंबाई आमतौर पर ज्यादा नहीं होती है. मानसून में ये ज्यादातर किड़े-मकौड़े को खाने बाहर आते हैं. ये बिल्कुल भी विषैले नहीं होते हैं.
11. स्ट्रिपड कीलबैक (Striped Keelback)12. कॉमन सैंड बोआ (Common Sand Boa) 13. रेड सैंड बोआ (Red Sand Boa)14. बर्मी पायथन (Burmese Python)15. ब्राह्ममीनी वार्म (Brahminy Worm)16. ब्रान्ज़ बैक ट्री स्नेक (Bronze Back Tree Snake) 17. कॉमन खुकरी (Common Khukri)18. कॉमन कैट स्नेक (Common Cat Snake)
टाइगर रिजर्व में उपलब्ध है सांपों के लिए उपयुक्त स्थान
दुर्लभ प्रजातियों में शुमार हो चुके कई सांप पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं. जिसकी बड़ी वजह पीलीभीत टाइगर रिजर्व का उपयुक्त वातावरण है. आमतौर पर ये सांप जमीन में बिल बनाकर रहते हैं और मानव जाति के दबाव से दूर अपना जीवन व्यतीत करना पसंद करते हैं.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद यहां सांपों की कई दुर्लभ प्रजातियां फल-फूल रही हैं. क्योंकि बाहर के जानवरों से लेकर मानव आबादी का टाइगर रिजर्व में बिना अनुमति प्रवेश बंद है. जिसके चलते जंगल की आबोहवा में सांपों की कई दुर्लभ प्रजातियां फल-फूल रही हैं और आए दिन इनका कुनबा बढ़ता जा रहा है.
सांपों को संरक्षित करने के लिए उठाने चाहिए कदम
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सांपों की कुल 18 प्रजातियां अब तक देखी गई हैं. इनमें से कुछ ऐसी प्रजातियां भी हैं, जो दुर्लभ किस्म की हैं. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के लिए ये गर्व की बात है कि दुर्लभ प्रजाति के सांप भी यहां देखे जाते हैं. ऐसे में अब टाइगर रिजर्व के इन सांपों के संरक्षण के लिए प्रशासन को सकारात्मक कदम उठाने चाहिए. दरअसल आमतौर पर मानव जाति खुद की रक्षा के लिए इन सांपों का खत्म करने से नहीं चूकती.
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मानसूनी सत्र में जंगलों के अधिकांश हिस्सों में पानी भर जाने की वजह से सांप जंगलों से निकलकर अपने भोजन की तलाश में आबादी वाले इलाकों के करीब आ जाते हैं. नतीजा ये होता है कि मानव आबादी खुद के बचाव और भय के चलते इन सांपों का खात्मा कर देती है. जबकि पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले कई सांप ऐसे भी हैं जो किसी को हानि पहुंचाने में सक्षम नहीं होते. इन सांपों में जहर नहीं होता है.
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ऐसे में टाइगर रिजर्व के प्रशासन को आम जनों तक सांपो की जाति और प्रजाति को पहचानने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए और संरक्षण की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने चाहिए. असुरक्षित महसूस करने पर ही काटता है सांप आमतौर पर मानव सांप को देखकर घबरा जाते हैं और खुद को बचाने के चक्कर में सांप को ही खत्म कर देते हैं. लेकिन हकीकत ये है कि सांप खुद को असहज या असुरक्षित देखकर ही हमलावर होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक जब तक सांपों पर किसी तरह का दबाव नहीं पड़ता, तब तक वो किसी को भी अपना शिकार नहीं बनाते हैं.
जंगल में लगने वाली आग पर काबू
जमीन में बिल बनाकर रहने वाले सांप या तो बिल में पानी भर जाने के चलते बाहर निकलते हैं या फिर भोजन की तलाश में. ऐसे में कई बार ये किसी हादसे का शिकार होकर मर जाते हैं. वहीं दूसरी ओर देखा जाता है कि कई बार विशालकाय सांपों का कंकाल जंगल में बरामद होता है. जंगल में लगने वाली आग की वजह से अन्य वन्य जीव तो अपनी जान बचाने में सक्षम होते हैं. लेकिन जमीन पर रेंगने वाले ये सांप आग की चपेट में आकर खुद की जान खो देते हैं.
सर्वे कराने की तैयारी में है पीलीभीत टाइगर रिजर्व
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजातियों के साथ को लेकर अब तक टाइगर रिजर्व के प्रशासन द्वारा कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया है. लेकिन अब टाइगर रिजर्व के अफसर प्रयास कर रहे हैं कि आगामी दिनों में दुर्लभ प्रजाति के सांपों को सूचीबद्ध करने के लिए सर्वे कराया जाए और इनके संरक्षण की दिशा में भी कार्य हो.
फोटोग्राफर बिलाल की लिखी किताब में टाइगर रिजर्व
पीलीभीत टाइगर रिजर्व पर आधारित वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बिलाल की लिखी गई किताब में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के सांपों का अलग से स्थान है. अगर आप पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बारे में अधिक जानकारी लेना चाहते हैं, तो ये किताब आपके लिए बेहतर साबित होगी.