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समथर महाराज रणजीत सिंह जूदेव के निधन पर बोलीं वसुंधुरा राजे सिंधिया, परिवार का वजनदार सदस्य चला गया

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Published : Mar 11, 2023, 7:51 PM IST

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झांसी में समथर महाराज रणजीत सिंह जूदेव के निधन पर शनिवार को राजस्थान की पूर्व सीएम वसंधुरा राजे सिंधिया शोक जताने पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने क्या कुछ कहा चलिए जानते हैं.

झांसीः महाराज समथर रणजीत सिंह जूदेव के निधन पर शनिवार को राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया शोक जताने पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि महाराज समथर जी का निधन हो गया है. परिवार का एक बहुत ही वजनदार और सक्षम व्यक्ति हमको छोड़कर चला गया है. वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उन्होंने हमेशा हमारे परिवार को संबल देने का काम किया था. वह हमारे लिए खड़े हो जाते थे, ग्वालियर महाराज की हमेशा चुनाव में मदद करते थे. अब वह नहीं रहे, ये हमारे लिए बड़ी क्षति है.

यह बोलीं वसुंधरा राजे सिंधिया.

बता दें कि गरौठा विधानसभा से छह बार विधायक व एक बार एमएलसी रहे समथर इस्टेट के महाराजा रणजीत सिंह जूदेव का 72 साल की उम्र में बुधवार को लखनऊ में निधन हो गया था. उनके निधन की खबर पता चलते ही लोग शोकाकुल हो गए. उनके शव के अंतिम दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग उनके महल पहुंचे थे. गुरुवार को समथर किले में सुबह से अंतिम दर्शन के लिए उनका शव रखा गया था. गुरुवार दोपहर श्रीमंत महाराजा साहब को मुजरा एवं अंतिम विदाई दी गई थी. इस दौरान उनके भांजे जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया, मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उत्तर प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष कुंवर मानवेंद्र सिंह व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी आदि मौजूद थे.

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समथर महाराज रणजीत सिंह जूदेव. (फाइल फोटो)

इसी सिलसिले में शनिवार को राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया शोक व्यक्त करने पहुंची. वह महल में करीब तीन से चार घंटे तक रुकी और महाराज के परिजनों से मिली. इस दौरान उन्होंने अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं.

30 साल की उम्र में पहली बार बने थे विधायक
2 अगस्त 1944 को समथर राजघराने में जन्मे श्रीमंत महाराजा रणजीत सिंह जूदेव महज 30 वर्ष की आयु में कांग्रेस की गरौठा विधानसभा सीट से सर्वप्रथम 1974 में विधायक चुने गए थे. इसके बाद लगातार दो बार 1977 एवं 1980 में वह विधायक बने. वहीं 1977 में गरौठा विधानसभा सीट छोड़कर संपूर्ण उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1977 के बाद कांग्रेस में समथर महाराज का दबदबा हो गया था. 1980- 1985 तक उनको मंत्री बना दिया गया था. 1985 में मानवेंद्र सिंह ने गरौठा विधानसभा में समथर महाराज को हराया था. इसके बाद 1989 से लेकर 1993 तक वह चुनाव जीते थे. सन् 2003 में महाराज समथर विधान परिषद सदस्य का चुनाव जीते थे. सरकार कोई भी रही हो लेकिन हमेशा उनका दबदबा रहा. उन्होंने गृह राज्य मंत्री समेत कई अहम पदों की जिम्मेदारी संभाली थी. कहा जाता है कि एक बार देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके महल में रात्रि विश्राम किया था, इस वजह से कांग्रेस में उनका कद और मजबूत हो गया था.

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