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Fake certificate gang: 5वीं पास युवक बनाता था 10वीं 12वीं के फर्जी सर्टिफिकेट, बिहार-अरुणाचल तक फैला है रैकेट

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Published : Feb 1, 2023, 9:50 AM IST

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देहरादून में एक गिरोह द्वारा 10वीं व 12वीं कक्षा के फर्जी सर्टिफिकेट तैयार किए जा रहे थे. मामले में एक आरोपी की गिरफ्तारी से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पूछताछ में पता चला है कि गिरोह फर्जी सर्टिफिकेट बिहार और अरुणाचल प्रदेश में बेचते थे. फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ में जुटी हुई है.

देहरादून: राजधानी देहरादून के घंटाघर स्थित कॉम्प्लेक्स में फर्जी मार्कशीट बनाने का मामला सामने आया है. जहां 10वीं व 12वीं कक्षा के फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर 10 से 15 हजार रुपये में बेचे जाते थे. मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो खुद पांचवीं पास है. वहीं पुलिस ने दूसरे आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीमें मुजफ्फरनगर भेजी हैं.

पांचवीं पास जालसाज बनाता था 10वीं 12वीं के सर्टिफिकेट: गौर हो कि राजधानी देहरादून में फर्जी मार्कशीट का मामला सामने आने के बाद पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया है. जहां आरोपी चंद रुपयों के लिए 10वीं व 12वीं कक्षा के फर्जी सर्टिफिकेट लोगों को बांट रहे थे. बताया जा रहा है कि इन फर्जी सर्टिफिकेट से बिहार और अरुणाचल प्रदेश में कई लोगों को सरकारी नौकरी मिली हुई है.

नेशनल काउंसिल फॉर रिसर्च एजूकेशन नाम से ट्रस्ट बनाया था: आरोपियों नेशनल काउंसिल फॉर रिसर्च एजूकेशन नाम से एक ट्रस्ट बनाया हुआ था. इसी के नाम से वह सर्टिफिकेट जारी करते थे. गिरोह के लोग 10वीं व 12वीं कक्षा की फर्जी सर्टिफिकेट बिहार और अरुणाचल में बेचा करते थे. वहीं फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करने के लिए 10 से 15 हजार रुपये लिया करते थे. पुलिस ने आरोपी राम किशोर निवासी गाजीपुर बनारस यूपी को गिरफ्तार किया, जो खुद पांचवीं पास है.
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खुद का भी 12वीं का फर्जी सर्टिफिकेट बनाया था: जिसने अपना खुद का 12वीं का सर्टिफिकेट भी फर्जी बनाया हुआ है. पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी ने कई राज उगले हैं. पुलिस की पड़ताल में कंप्यूटर से बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट भी मिले हैं. गिरोह बिहार व अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले युवाओं के फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर रहा था. वहीं पुलिस ने दूसरे आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीमें मुजफ्फरनगर भेजी हैं. पुलिस के अनुसार पूछताछ में अब तक यह पता चला है कि आरोपी ने जिन नौजवानों के फर्जी दस्तावेज बनाए हैं उनमें से कई युवकों की बिहार में सरकारी नौकरी भी लग चुकी है. फिलहाल पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है. वहीं इन संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उत्तराखंड में भी फर्जी सर्टिफिकेट बने हो सकते हैं और कई युवा नौकरी पाने में सफल भी गए होंगे, जो जांच का विषय है.

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