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उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का निधन, पार्टी में शोक की लहर

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Published : Jun 13, 2021, 3:52 PM IST

Updated : Jun 13, 2021, 7:30 PM IST

उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का दिल्ली के उत्तराखंड सदन में हार्ट अटैक से आज निधन हो गया. दिल्ली में कांग्रेस की कल एक बैठक होने वाली है. उसी में भाग लेना वह दिल्ली आई थी.

Indira Hridayesh
Indira Hridayesh

नई दिल्ली : उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा हृदयेश का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. दिल्ली के उत्तराखंड भवन में उन्होंने आखिरी सांस ली. दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वह शनिवार को दिल्ली पहुंची थीं.

करीब 4 बजे उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली से उत्तराखंड ले जाया जाएगा. कल उत्तराखंड में उनका अंतिम संस्कार होगा.

उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का निधन

80 साल की उम्र में उनका निधन हुआ है. 1 अप्रैल 1941 को उनका जन्म हुआ था. 1974 में पहली बार उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में चुनी गई थी. 1986, 1992, 1998 में भी उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए चुनी गई. 2000 में अंतरिम उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनी.

उत्तराखंड में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो उनको संसदीय कार्य, लोक निर्माण विभाग समेत कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई. 2007 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हार गई थी लेकिन 2012 में फिर चुनाव जीती. फिर विजय बहुगुणा एवं हरीश रावत की सरकार में मंत्री भी बनी. इस दौरान उनको वित्त मंत्री भी बनाया गया था. 2017 में चुनाव जीती और नेता प्रतिपक्ष फिर बनी.

उत्तराखंड में जनता के हित के मुद्दों को लगातार उठाती रहीं. जब भी विपक्ष में थी तो सरकार को घेरती रहीं. उत्तराखंड में कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने में उनका अहम योगदान रहा. वह कांग्रेस आलाकमान की करीबी थी.

सोनिया गांधी ने जताया शोक

उनके निधन पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के तमाम नेताओं ने दुख व्यक्त किया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि उन्होंने अपने पीछे जन सेवा की विरासत छोड़ी है.

गांधी ने अपने शोक संदेश में कहा कि हृदयेश ने अपनी अंतिम सांस तक कांग्रेस पार्टी की सेवा की. उन्होंने उत्तराखंड में एक विधायक, पार्षद, मंत्री और विपक्ष की नेता के तौर पर जन सेवा की विरासत छोड़ी है. 'इन सबके अलावा वह उम्रभर कांग्रेस के प्रति समर्पित रहीं.'

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'वह विधायी कामकाज और प्रक्रिया की अपनी जानकारी के साथ ही कुशल प्रशासक के तौर पर अपने प्रदर्शन के लिए अपने सहकर्मियों के बीच लोकप्रिय रहीं. कांग्रेस पार्टी में उनका योगदान संजोकर रखा जाएगा.'

वह हल्द्वानी से कांग्रेस की विधायक थीं और राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में से एक थीं. वह इस साल अप्रैल में कोरोना वायरस से संक्रमित पायी गयी थी और स्वस्थ होने के बाद उनकी दिल की एक सर्जरी हुई थी.

बता दें कि इंदिरा हृदयेश को उत्तराखंड की राजनीति का आयरन लेडी भी कहा जाता था.

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनके निधन पर दुःख प्रकट किया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'बहन जी का जाना मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है'.

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बंशीधर भगत ने जताया दुख

नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के घर पर संवेदना प्रकट करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. देर शाम तक उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी स्थित उनके आवास पर आने की उम्मीद है. कालाढूंगी विधायक और कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत में नेता प्रतिपक्ष के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने कहा कि उनके साथ कई साल तक काम करने का मौका मिला है. राजनीति में कई बार उनके साथ नोक झोंक भी हुए लेकिन आज तक उनके प्रति कोई द्वेष भावना नहीं है.

चित्रशिला घाट पर होगा अंतिम अंतिम संस्कार

इंदिरा हृदयेश का अंतिम संस्कार सोमवार सुबह 11 बजे रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर किया जाएगा. प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के अलावा कई मंत्री और विधायक यहां मौजूद रहेंगे.

सीने में दर्द के बाद लगाया गया पेसमेकर

14 मार्च को श्रीनगर गढ़वाल में एक कार्यक्रम के दौरान इंदिरा हृदयेश को सीने में दर्द की शिकायत हुई थी. जिसके बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान ऋषिकेश ले जाया गया था. जहां उनकी हालत में सुधार हुआ. सीने में दर्द के बाद डॉक्टरों ने उनको दिल्ली रेफर किया. जहा वेदांता हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने पेसमेकर लगाया गया था.

जब बीजेपी में शामिल होने की खबरों से चर्चाओं में आई इंदिरा हृदयेश

इंदिरा हृदयेश जब ठीक होकर लौटी तब भी वे चर्चाओं में बनी रही. तब उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं गर्म थी. तब इंदिरा हृदयेश ने मीडिया के सामने आकर इन बातों का खंडन किया था. बताया जा रहा था कि उस समय नेता प्रतिपक्ष बीजेपी में शामिल होने से पहले किसी राज्य का राज्यपाल बनाने और अपने बेटे को हल्द्वानी से टिकट देने की मांग की थी, मगर उन्होंने इन सब बातों का खंडन कर स्थिति साफ कर दी थी

Last Updated :Jun 13, 2021, 7:30 PM IST
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