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गांव में 24 मिनट भी बिजली ना जाये इसकी योजना बना रहे हैं: श्रीकांत शर्मा

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Published : Jan 29, 2022, 3:00 PM IST

shrikant sharma
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि गांव में 24 मिनट भी बिजली ना जाये इसकी योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार उत्तर प्रदेश में आई थी तो बिजली की व्यवस्था जर्जर थी. आईसीयू में थी और कहीं ना कहीं बिजली को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासत होती थी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में बिजली एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. प्रदेश में बिजली की आपूर्ति से लेकर बिजली बिल को लेकर घमासान मचा हुआ है. इन्हीं सब चुनावी मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने बिजली मंत्री एवं ऊर्जावान नेता श्रीकांत शर्मा से विशेष बातचीत की है. तो आइये जानते हैं क्या कुछ बाते उन्होंने कही.

सवाल: उत्तर प्रदेश में जिन बड़ी उपलब्धियों पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ रही है, उनमें से एक बिजली की उपलब्धता भी है, जिस तरह सरकार ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था में सुधार किया. सरकार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कहां तक सफल रही है ?

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से बातचीत

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि जब हमारी सरकार उत्तर प्रदेश में आई थी तो बिजली की व्यवस्था जर्जर थी. आईसीयू में थी और कहीं ना कहीं बिजली को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासत होती थी. बिजली एक मूलभूत आवश्यकता है. यह कोई सुविधा नहीं है. आजादी के 70 साल बाद भी यदि गांव और गरीब की झोपड़ी, अंधेरे में है, तो यह शर्मनाक बात है. मैं गांव से आता हूं और 12वीं तक की शिक्षा मैंने गांव में ली इसलिए मुझे पता है कि अंधेरे में पढ़ाई करना और जीवन यापन करना कितना मुश्किल होता है. उन्होंने कहा की गांव में जब ट्रांसफार्मर फूक जाते थे तो ,एक-एक महीना उनके सुधार में लग जाता था. और इसलिए मैं इन कड़वे अनुभव से रूबरू था और सौभाग्य से पार्टी ने मुझे बिजली मंत्री बना दिया. इसलिए मैंने सोचा कि इस कड़वे अनुभव को देखते हुए आने वाले जो युवा हैं उन्हें ऐसा अनुभव ना करना पड़े उसे मीठे स्वाद में कन्वर्ट करने की कोशिश मैने की.

हमारे यहां आयात की क्षमता नहीं थी, उसे बढ़ाया, ग्रिड की क्षमता 16000 मेगावाट तक ही थी उसे हमने 26000 किया. पहले बिजली सिर्फ चार जिलों को आती थी, अब हमने समान रूप से 75 जिलों में समान रूप से बिजली का वितरण किया. मेरे गांव में बिजली नहीं आती थी और यह जो मेरा अनुभव था इसी से मैंने संकल्प लिया कि गांव- गांव में बिजली पहुंचाना है. हमने एक करोड़ 45 लाख लोगों के घरों में बिजली पहुंचाने का काम उत्तर प्रदेश में पूरा किया है.

सवाल: यह पहले की किसी सरकार ने कोशिश क्यों नहीं की ?

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा: इसका मुख्य कारण है कि नेताओं ने गांव की समस्याओं को जिया ही नहीं. यदि आप गांव की समस्या को जिएंगे तभी आप उन समस्याओं को समझ पाएंगे.

सवाल: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह फर्स्ट फेस इन चुनावी मुद्दों पर आकर टिक गया है कि जाट और किसान बीजेपी से नाराज है.अखिलेश यादव के रथ पर जयंत चौधरी सवार हैं.

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि, 'जो लोग 24 घंटे उत्तर प्रदेश में रोशनी चाहते हैं, वह भाजपा से खुश हैं ,जो कानून व्यवस्था थी 2017 से पहले उसमें भी काफी सुधार हुआ है. आज गुंडे जेल में है. बदलाव आया है ,आज कानून का राज है. इसलिए जो लोग बहन बेटियों की सुरक्षा चाहते हैं वो बीजेपी के साथ हैं.

सवाल: जब विकास की इतनी बातें हैं तो फिर मंदिर की बातें क्यों निकाली जा रही हैं, विपक्षी यह भी आरोप लगा रहे हैं कि पोलराइजेशन बीजेपी की तरफ से की जा रही है?

इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि यह आरोप हम पर वही लगा रहे हैं जो अब तक उत्तर प्रदेश में पोलराइजेशन करते रहे. ईद में बिजली मिलेगी दिवाली में बिजली नहीं मिलेगी, क्या यह पोलराइजेशन नहीं था ? राम भक्तों पर गोली चलाना ,क्या यह पोलराइजेशन नहीं है ? राम के अस्तित्व को नकारना क्या यह पोलराइजेशन नहीं है ? जिन्ना की एंट्री चुनाव में लाना क्या यह पोलराइजेशन नहीं है ? उन्होंने कहा की जो पोलराइजेशन की राजनीति करते थे, आज वह, हम पर, पोलराइजेशन का आरोप लगा रहे हैं.

सवाल: 2017 में भारतीय जनता पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत अच्छी सीटें मिली थी? क्या इस बार भी उतनी ही सीटें मिलने की उम्मीद है ?
इस प्रश्न का जवाब देते हुए श्रीकांत शर्मा ने कहा कि 2014 में जिन लोगों ने हमारे प्रधानमंत्री जी के नाम पर वोट दिया था, 2017 में उसमें और संख्या बढ़ी और हमारे प्रधानमंत्री जी में लोगों में भरोसा बढ़ा है. इसी तरह हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री में भी लोगों को भरोसा बढ़ा है. विपक्ष का काम है सिर्फ राजनीति करना, वो लोग, काम नहीं करते ,सिर्फ सियासत करते हैं और हमारी पार्टी हमेशा लोगों की सेवा और संकल्प में जुड़ी है और आगे भी करती रहेगी.

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