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ट्रेड यूनियनों का फरवरी में देशव्यापी हड़ताल का आह्वान

ट्रेड यूनियनों (Trade unions) ने अगले साल फरवरी में देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान (Call for nationwide general strike) किया है. यह सरकार पर दबाव बनाने की योजना है.

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Published : Dec 6, 2021, 3:27 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Central Trade unions) और स्वतंत्र क्षेत्रीय अखिल भारतीय संघ (Independent Regional All India Federation) और संघों के संयुक्त मंच (Joint Forum of Associations) ने अगले साल फरवरी में विभिन्न मुद्दों पर देशव्यापी आम हड़ताल (Call for nationwide general strike) का आह्वान किया है.

ट्रेड यूनियनों (Trade unions) के समूह ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में मुलाकात की और नवंबर में आयोजित नेशनल कन्वेंशन ऑफ वर्कर्स द्वारा घोषित संसद के बजट सत्र के दौरान 23-24 फरवरी को देशव्यापी दो दिवसीय आम हड़ताल की तारीखों को अंतिम रूप दिया.

यूनियनों द्वारा उठाई जा रही मांगों की सूची में लेबर कोड को खत्म करना और ईडीएसए को खत्म करना शामिल है. ट्रेड यूनियन पहले से ही किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और इस प्रकार संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों का 6 सूत्री चार्टर भी एजेंडे में है. यूनियनें किसी भी रूप के निजीकरण के खिलाफ हैं.

इन प्राथमिक मांगों के अलावा यूनियनों ने गैर-आयकर भुगतान करने वाले परिवारों को प्रति माह 7500 रुपये की खाद्य और आर्थिक सहायता, मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना के विस्तार की भी मांग की है.

साथ ही सभी अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न-भोजन और अन्य योजना कार्यकर्ताओं के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा, महामारी के बीच लोगों की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए उचित सुरक्षा और बीमा सुविधाएं, अमीरों पर कर लगाकर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं में निवेश शामिल है.

इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पाद पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कमी और मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस उपाय, संविदा कर्मियों का नियमितिकरण, योजना कर्मियों को समान काम के लिए समान वेतन, एनपीएस को रद्द करने और पुरानी पेंशन की बहाली की भी मांग की जाएगी.

संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) नेतृत्व के साथ समन्वय में संयुक्त तैयारी जनसभा आयोजित करने का भी फैसला किया है. खासकर उन राज्यों में जहां 2022 की शुरुआत में चुनाव होने हैं, ताकि मिशन यूपी के आह्वान को मजबूत किया जा सके.

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों के संयुक्त मंच की राज्य इकाइयां विभिन्न माध्यमों से गहन अभियान चलाएंगी. जैसे कि राज्य सम्मेलन, मानव श्रृंखला, मशाल जुलूस, हस्ताक्षर अभियान, क्षेत्रीय और क्षेत्र-आधारित संयुक्त अभियान चलाकर वर्तमान सरकार की नीतियों का विरोध किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- Nagaland Firing issue in parliament : नागरिकों की मौत पर लोक सभा में हंगामा, AFSPA पर सवाल

संयुक्त मंच ने भी 16-17 दिसंबर 2021 को बैंकों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के निर्णय का समर्थन किया है. जैसा कि यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस द्वारा घोषित किया गया है. 1 फरवरी 2022 को बिजली कर्मचारी के संयुक्त मंच द्वारा निजीकरण के खिलाफ हड़ताल के फैसले का भी समर्थन किया गया है. संयुक्त हड़ताल में भाग लेने वाले केंद्रीय ट्रेड यूनियनों INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC SEWA, AICCTU, LPF, UTUC और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघ शामिल हैं.

नई दिल्ली : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Central Trade unions) और स्वतंत्र क्षेत्रीय अखिल भारतीय संघ (Independent Regional All India Federation) और संघों के संयुक्त मंच (Joint Forum of Associations) ने अगले साल फरवरी में विभिन्न मुद्दों पर देशव्यापी आम हड़ताल (Call for nationwide general strike) का आह्वान किया है.

ट्रेड यूनियनों (Trade unions) के समूह ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में मुलाकात की और नवंबर में आयोजित नेशनल कन्वेंशन ऑफ वर्कर्स द्वारा घोषित संसद के बजट सत्र के दौरान 23-24 फरवरी को देशव्यापी दो दिवसीय आम हड़ताल की तारीखों को अंतिम रूप दिया.

यूनियनों द्वारा उठाई जा रही मांगों की सूची में लेबर कोड को खत्म करना और ईडीएसए को खत्म करना शामिल है. ट्रेड यूनियन पहले से ही किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और इस प्रकार संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों का 6 सूत्री चार्टर भी एजेंडे में है. यूनियनें किसी भी रूप के निजीकरण के खिलाफ हैं.

इन प्राथमिक मांगों के अलावा यूनियनों ने गैर-आयकर भुगतान करने वाले परिवारों को प्रति माह 7500 रुपये की खाद्य और आर्थिक सहायता, मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना के विस्तार की भी मांग की है.

साथ ही सभी अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न-भोजन और अन्य योजना कार्यकर्ताओं के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा, महामारी के बीच लोगों की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए उचित सुरक्षा और बीमा सुविधाएं, अमीरों पर कर लगाकर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं में निवेश शामिल है.

इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पाद पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कमी और मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस उपाय, संविदा कर्मियों का नियमितिकरण, योजना कर्मियों को समान काम के लिए समान वेतन, एनपीएस को रद्द करने और पुरानी पेंशन की बहाली की भी मांग की जाएगी.

संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) नेतृत्व के साथ समन्वय में संयुक्त तैयारी जनसभा आयोजित करने का भी फैसला किया है. खासकर उन राज्यों में जहां 2022 की शुरुआत में चुनाव होने हैं, ताकि मिशन यूपी के आह्वान को मजबूत किया जा सके.

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों के संयुक्त मंच की राज्य इकाइयां विभिन्न माध्यमों से गहन अभियान चलाएंगी. जैसे कि राज्य सम्मेलन, मानव श्रृंखला, मशाल जुलूस, हस्ताक्षर अभियान, क्षेत्रीय और क्षेत्र-आधारित संयुक्त अभियान चलाकर वर्तमान सरकार की नीतियों का विरोध किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- Nagaland Firing issue in parliament : नागरिकों की मौत पर लोक सभा में हंगामा, AFSPA पर सवाल

संयुक्त मंच ने भी 16-17 दिसंबर 2021 को बैंकों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के निर्णय का समर्थन किया है. जैसा कि यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस द्वारा घोषित किया गया है. 1 फरवरी 2022 को बिजली कर्मचारी के संयुक्त मंच द्वारा निजीकरण के खिलाफ हड़ताल के फैसले का भी समर्थन किया गया है. संयुक्त हड़ताल में भाग लेने वाले केंद्रीय ट्रेड यूनियनों INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC SEWA, AICCTU, LPF, UTUC और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघ शामिल हैं.

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