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तिहाड़ जेल में सुकेश ने कैसे बुना ठगी का जाल, सुनिए पूर्व अधिकारी की जुबानी

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Published : Dec 22, 2021, 5:20 PM IST

200 करोड़ रुपये की ठगी को जेल से अंजाम देने वाले सुकेश चंद्रशेखर द्वारा बड़ी भारी मात्रा में एक्सटॉर्शन किया गया है. इसके पीछे तिहाड़ जेल प्रशासन से किन जगहों पर बड़ी चूक हुई, इसे लेकर ईटीवी भारत ने तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता से बात की.

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सुकेश चंद्रशेखर और तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता

नई दिल्ली: देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल से सुकेश चंद्रशेखर ने 200 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया. इसके लिए उसने न केवल जेल अधिकारियों को मोटी रकम का प्रलोभन दिया, बल्कि उनसे ऐसे काम करवाए जो किसी कैदी के लिए करना असंभव सा है. इस फर्जीवाड़े में तिहाड़ जेल प्रशासन से किन जगहों पर बड़ी चूक हुई, इसे लेकर ईटीवी भारत ने बात की 35 साल तक तिहाड़ जेल में नौकरी कर चुके पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता से. उन्होंने बताया कि अभी के हालात में ऐसा लगता है कि जेल को प्रशासन नहीं, बल्कि कैदी चला रहे हैं.

सुनिए तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता से कैसे सुकेश ने बुना ठगी का जाल.

तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता ने बताया कि भारत के इतिहास में आज तक तिहाड़ जेल से इतना बड़ा एक्सटॉर्शन नहीं हुआ जो सुकेश चंद्रशेखर ने किया है. जेल के भीतर बदमाश द्वारा मोबाइल इस्तेमाल करने, धमकी देने एवं रंगदारी मांगने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. लेकिन सुकेश के फर्जीवाड़े के सामने यह सभी अपराध बौने साबित हुए. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में जेल अधिकारी उसके साथ मिले हुए थे. यही वजह है कि पहली बार तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट, डिप्टी सुपरिटेंडेंट एवं असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट स्तर के अधिकारी गिरफ्तार किए गए हैं. क्योंकि इतना बड़ा अपराध बिना जेल अधिकारियों की मिलीभगत के असंभव है. इतना ही नहीं जब जेल अधिकारी ही जालसाज से मिल गए तो कर्मचारी के लिए इसे रोकना असंभव हो जाता है.

सुनील गुप्ता ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद जब कई बार सुकेश चंद्रशेखर से मोबाइल बरामद हुए तो उसे हाई रिस्क वार्ड में बंद कर दिया गया था. यहां पर जो कैदी रखे जाते हैं, उन पर 24 घंटे निगरानी रखी जाती है. वहां पर जेल के सुरक्षाकर्मी 24 घंटे ड्यूटी देते हैं. उस जगह किसी भी प्रतिबंधित वस्तु जैसे मोबाइल को पहुंचाना असंभव होता है. लेकिन सुकेश ने फर्जीवाड़े के लिए खुद को हाई रिस्क वार्ड से निकलवा कर सामान्य वार्ड में डलवा लिया.

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सबसे पहले इस बात की जांच होनी चाहिए कि वह आखिर कैसे हाई रिस्क वार्ड से सामान्य वार्ड में पहुंचा. सामान्य वार्ड में भी 8 से 10 कैदियों को एक साथ रखा जाता है. लेकिन सुकेश को वहां पर भी अकेले रखा गया ताकि वह आसानी से फर्जीवाड़े को अंजाम दे सके. यहां पर वह आसानी से मोबाइल इस्तेमाल करता था. यह सभी काम बिना जेल अधिकारी की मिलीभगत के असंभव से हैं.

सुनील गुप्ता ने बताया कि जबरन उगाही के मामले जेल में पहले भी होते रहे हैं. लेकिन उनमें वार्डन या ज्यादा से ज्यादा असिसटेंट सुपरिटेंडेंट स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत रही थी. लेकिन इतने बड़े स्तर पर हुए फर्जीवाड़े में डिप्टी सुपरिटेंडेंट एवं सुपरिटेंडेंट भी जालसाज से मिल गए. इतना ही नहीं उससे ऊपर के अधिकारियों का नाम भी इस फर्जीवाड़े में लिया जा रहा है. हाल के दिनों में सुकेश चंद्रशेखर सहित कई ऐसे मामले जेल के भीतर हुए हैं जिससे वहां की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी के हालात में लगता है कि जेल को कैदी ही चला रहे हैं.

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