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शरीर के कुछ हिस्सों को छूने से तेजी से फैलता है इंफेक्शन, हो सकती हैं यह बीमारियां

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Published : Aug 17, 2023, 4:32 PM IST

अक्सर आप ने लोगों को बार बार सिर, नाक या कान को खुजलाते देखा होगा. बच्चों व एडल्ट्स में भी नाखून चबाने की आदत आम देखी गई है. लेकिन यह छोटी-छोटी आदतें कितनी खतरनाक हो सकती हैं. आइये जानते हैं...

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लखनऊ : क्या आप में भी बार-बार सिर, नाक या कान को खुजलाने की आदत है. आंखों में इरिटेशन होने पर अपनी आंखें खुजाने या छूने लगते हैं या फिर मुंह में हाथ डालकर नाखूनों को चबाने की लत है. अगर ऐसा है तो आप अपनी आदतों में सुधार लाएं, क्योंकि ये बैड हैबिट के कैटेगरी में आता है. ऐसे में आपकी यह आदत आपको बीमार भी कर सकती है. मेडिकल की भाषा में कहें तो इन अंगों को लगातार छूने से इंफेक्शन का खतरा फैलता है.

एक्सपर्ट की मानें तो बड़ों को तुलना में बच्चों में यह आदत सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. विशेषज्ञों का कहना है कि 'जितने भी इन्फेक्शन आंख, कान व नाक से होते हैं वह सीधे पेट के इंफेक्शन को दावत देते हैं, क्योंकि हर बार कोई भी व्यक्ति हैंड वॉश नहीं करता है और न किसी की आदत में शुमार है, इसलिए सीधे लोग पेट के इंफेक्शन को दावत देते हैं. बहुत से लोग अपने हाथ की छोटी उंगली के नाखून बढ़ाकर रखते हैं, ताकि कान साफ करने में आसानी रहे, लेकिन यह पेट के इंफेक्शन के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है.

नेल बाइटिंग के नुकसान
नेल बाइटिंग के नुकसान

'चेहरा छूना भी बैड हैबिट' : बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. नरेंद्र देव ने बताया कि 'कई लड़कियों को बार-बार चेहरा छूने की आदत होती है. चेहरे पर बार-बार हाथ फेरना त्वचा को खराब करता है, इससे हाथों में जमा पसीना और गंदगी चेहरे पर लग जाते हैं, जिससे पोर्स बंद हो जाते हैं. इससे स्किन संबंधित बीमारी हो जाती है.'

बलरामपुर अस्पताल
बलरामपुर अस्पताल

'25 प्रतिशत यंगस्टर्स' : उन्होंने कहा कि 'एक रिसर्च के अनुसार, लगभग 25 प्रतिशत यंगस्टर्स और पांच प्रतिशत बड़ी उम्र के लोगों में नेल बाइटिंग की हैबिट होती है. चार से पांच साल तक के बच्चों में नेल बाइटिंग की हैबिट अधिक जो किशोरावस्था में और बढ़ सकती है. बच्चों के हैंड्स और नेल में कई बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं. ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि अपने बच्चे को इनसे बचाएं.'

ओपीडी में चिकित्सक ने परामर्श लेते मरीज
ओपीडी में चिकित्सक ने परामर्श लेते मरीज



नाक में अंगुली डालने से बचें : उन्होंने कहा कि 'छोटे बच्चे अक्सर नाक में उंगली डाल देते हैं. उन्हें जानकारी नहीं होती है, लेकिन माता-पिता इस बात को ध्यान दें कि बच्चे कान और नाक में उंगली न डालें. बच्चों के अलावा एडल्ट भी कान, आंख की तरह नाक में भी अंगुली से साफ करते हैं, लेकिन कभी यह नहीं सोचा जाता कि वे जिस गंदगी को साफ कर रहे हैं, दरअसल वह इंफेक्शन को दावत दे रहे हैं, हाथ के कीटाणु नाक में जाने से नेजल इंफेक्शन और लगातार करने से फंगल इंफेक्शन भी फैल सकता है. सबसे जल्दी बैटरियां नाक से सांस के जरिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह मानी बात है कि हर बार नाक को साफ करने के बाद कोई भी व्यक्ति हैंड वॉश करने नहीं जाता है. या तो आप इतने साफ-सफाई से रहते हों कि आपने सफाई की और तुरंत हैंड वाश किया तब तो ठीक है, लेकिन ऐसा जल्दी कोई करता नहीं है और न किसी की आदत में होता है.'

बलरामपुर अस्पताल
बलरामपुर अस्पताल

'खींच सकते हैं कान के पर्दे' : फिजिशियन डॉ. नरेंद्र देव ने बताया कि 'कानों में अंगुली से साफ करना भी बैंड हैबिट में आता है. कान में अंगुली या कोई भी चीज को चलने से बचना चाहिए, इससे कान के पर्दे पर असर पड़ता है. वह डैमेज हो सकता है. और कान में उंगली डालकर कान की झनझनाहट को कम करना या फिर कान को साफ करना, बहुत गलत बात होती है. बहुत से लोग अपनी हाथ की छोटी उंगली के नाखून बढ़ाकर रखते हैं, ताकि उसे कान खुजलाने के काम आए, लेकिन उस नाखून से कान के पर्दे फट सकते हैं. इसके अलावा खुजली करके नाखून में कान की गंदगी आती है और हर बार कोई व्यक्ति हाथ नहीं धोता है और गंदगी पेट में चली जाती है. इन सभी के कारण पेट का इंफेक्शन तेजी से होता है.'

'आखों से सबसे जल्दी इंफेक्शन' : बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव ने बताया कि 'जितने भी वायरस इस समय फैल रहे हैं वह सब इंफेक्शन हैं. कुछ लोगों में आंखों को रगड़ने की आदत होती है. चाहे वह दर्द के कारण हो या कारण कुछ और हो तो इसे फौरन छोड़ दें, आखें भी सेसिटिव होती हैं और सबसे जल्दी इफेक्शन पकड़ती हैं. इन्हें छूने से भी इंफेक्शन हो सकता है, क्योंकि हाथ और नाखूनों के कीटाणु आखों में आसानी से चले जाते हैं, जिससे आपकी आंखों में जलन भी होने लगती है. वर्तमान में आई फ्लू तेजी से फैल रहा है. इसके फैलने का कारण भी यही है कि जिस व्यक्ति को आई फ्लू हो रहा है. वह अपनी रूमाल कहीं भी रख दें रहे हैं या फिर आंखों को रगड़कर चादर में या कहीं भी पोंछ देने की आदत की वजह से घर के अन्य सदस्यों को भी यह वायरस फैल रहा है. आई फ्लू कभी भी देखने से नहीं होता है. यह सिर्फ पहले के जमाने की भ्रांतियां हैं. इसलिए लोगों को अपनी आदत में सुधार लाना चाहिए, ताकि वह खुद भी स्वस्थ रहें और दूसरों को भी स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित कर सकें.'

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