ETV Bharat / bharat

तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने मदुरै में जल्लीकट्टू को हरी झंडी दिखाई

author img

By ANI

Published : Jan 17, 2024, 10:37 AM IST

TN Minister Udhayanidhi Stalin Flags Off Jallikattu : जल्लीकट्टू एक सदियों पुराना खेल है जो ज्यादातर तमिलनाडु में पोंगल उत्सव के हिस्से के रूप में खेला जाता है. खेल में, एक सांड को लोगों की भीड़ में छोड़ दिया जाता है और प्रतिभागी बैल की पीठ पर बड़े कूबड़ को पकड़ने की कोशिश करते हुए बैल को रोकने का प्रयास करते हैं. तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बुधवार को मदुरै में सांडों को वश में करने वाले खेल जल्लीकट्टू को हरी झंडी दिखाई.

TN minister Udhayanidhi Stalin
तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने मदुरै में जल्लीकट्टू को हरी झंडी दिखाई.

मदुरै : तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बुधवार को मदुरै में सांडों को वश में करने वाले खेल जल्लीकट्टू को हरी झंडी दिखाई. कार्यक्रम शुरू होने से पहले बैलों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. तमिल वार्षिक त्योहार, पोंगल का मदुरै, पुदुकोट्टई, तिरुचिरापल्ली और तंजावुर जैसे जिलों में अधिक उत्साह है क्योंकि इन शहरों में प्रसिद्ध और प्राचीन खेल जल्लीकट्टू का आयोजन होता है. इससे पहले सोमवार को अवनियापुरम जल्लीकट्टू कार्यक्रम में दो पुलिसकर्मियों समेत 45 लोग घायल हो गए थे. उनमें से 9 लोगों को आगे के इलाज के लिए मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल में रेफर किया गया.

बता दें कि यह खेल काफी विवादों में भी रहा है प्रतिभागियों और बैल दोनों को चोट लगने के जोखिम के कारण, पशु अधिकार संगठनों ने खेल पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था. हालाँकि, प्रतिबंध के खिलाफ लोगों के लंबे विरोध के बाद, मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में सांडों को वश में करने वाले खेल 'जल्लीकट्टू' को अनुमति देने वाले तमिलनाडु सरकार के कानून को बरकरार रखा था.

जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ तमिलनाडु और महाराष्ट्र सरकारों के बैल-वश में करने वाले खेल 'जल्लीकट्टू' और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी.

तमिलनाडु सरकार ने 'जल्लीकट्टू' के आयोजन का बचाव किया था और शीर्ष अदालत से कहा था कि खेल आयोजन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हो सकते हैं. 'जल्लीकट्टू' में बैलों पर कोई क्रूरता नहीं होती है. जल्लीकट्टू, जिसे सल्लिककट्टू भी कहा जाता है, पोंगल के तीसरे दिन, मट्टू पोंगल दिवस पर मनाया जाता है. इस बुलफाइट का इतिहास 400-100 ईसा पूर्व का है जब यह भारत में आर्यों का एक प्रमुख खेल था. यह नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: जल्ली (चांदी और सोने के सिक्के) और कट्टू (बंधा हुआ).

इस खेल के लिए पुलिकुलम या कंगायम नस्ल से सांड इस्तेमाल किये जाते हैं. त्योहार जीतने वाले बैलों की बाजार में बहुत मांग होती है और उन्हें सबसे ज्यादा कीमत मिलती है.

ये भी पढ़ें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.