ETV Bharat / bharat

सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को जारी किया नोटिस

author img

By

Published : Nov 4, 2022, 5:18 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 6:17 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को एक याचिका में नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिए गए कुछ बंदियों को जम्मू और कश्मीर के भीतर स्थानीय जिला और केंद्रीय जेलों से देश के अन्य राज्यों की जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को एक याचिका में नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिए गए कुछ बंदियों को जम्मू और कश्मीर के भीतर स्थानीय जिला और केंद्रीय जेलों से देश के अन्य राज्यों की जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया था. मामले की सुनवाई सीजेआई यूयू ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने की.

यह याचिका श्रीनगर के परिमपोरा की रहने वाली राजा बेगम द्वारा दायर की गई है, जो बेटे आरिफ अहमद शेख के ठिकाने के बारे में नहीं जानती, जब से बेटे को वाराणसी की सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया था.

याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. कॉलिन गोंजाल्विस के अनुसार जैसे ही बंदियों को अलग-अलग राज्यों में ले जाया गया, वे अपने सभी अधिकार खो देते हैं. इसके अलावा, इस तरह के बंदियों के परिवार के सदस्यों को उनके ठिकाने के बारे में कुछ भी नहीं पता होता, जब उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाता है.

शुरुआत में डॉ. गोंजाल्विस ने प्रस्तुत किया कि चूंकि विचाराधीन बंदियों को जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के तहत गिरफ्तार किया गया था, जो केवल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित था, इसलिए उन्हें देश की अन्य जेलों में नहीं ले जाया जा सकता है.

पीठ द्वारा यह पूछे जाने पर कि बंदियों को कहां भेजा जा रहा है, उन्होंने अदालत को सूचित किया कि बंदियों को उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश की जेलों में भेजा जा रहा है. उन्होंने आगे कहा 'लगभग 22 बंदी हैं, हम उनमें से चार के लिए पेश हो रहे हैं. बंदी जेल की आबादी का एक बहुत छोटा अंश हैं. उनके सभी अधिकार काट दिए गए हैं.'

पढ़ें: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को लेकर SC में सुनवाई, एनएचआरसी ने मुख्य सचिवों को किया तलब

सीजेआई ने पूछताछ की कि क्या जेल में खोए कैदी के करीबी कोई है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 'हां, उसके परिवार के सदस्य हैं. उन्हें महीनों तक पता भी नहीं चला.' तदनुसार, अदालत ने भारत संघ के साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को नोटिस जारी किया. इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर 2022 को होगी.

Last Updated :Nov 4, 2022, 6:17 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.