नई दिल्ली/रांची: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर हैरानी जताई है, जिसमें एक महिला को उसके पूर्व पति द्वारा दी जाने वाली मेंटेनेंस की राशि 5,000 रुपए से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी गई थी. यह मामला झारखंड के गिरिडीह जिले का है.
जिला फैमिली कोर्ट के आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती: झारखंड के गिरिडीह जिले की एक दंपती के बीच पारिवारिक विवाद चल रहा था, जिसमें वहां की फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने पति को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रतिमाह 5,000 रुपए की मेंटेनेंस राशि देगा. इस फैसले के खिलाफ महिला के पूर्व पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चौंकाने वाला बताया: इस पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस की राशि 5,000 से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी थी. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि भरण-पोषण की राशि को घटाकर मात्र एक हजार रुपये प्रति माह कर देने का आदेश चौंकाने वाला है.
सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बहाल किया: सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के रूप में महिला के प्रतिमाह 5,000 रुपये प्रतिमाह देने के आदेश को बहाल कर दिया.
इनपुट- आएएनएस