कोविड मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताया असंतोष

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Published : Sep 3, 2021, 3:00 PM IST

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोविड-19 से पीड़ित लोगों के लिए मृत्यु-प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में होने वाली देरी पर केंद्र सरकार से असंतोष जताया. कोर्ट ने कहा कि इसी तरह से देरी होती रही तो कोविड की तीसरी लहर भी समाप्त हो जाएगी.

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कार्य किया जाए. शीर्ष अदालत ने कहा कि इससे संबंधित दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए 30 जून को शीर्ष अदालत द्वारा जारी निर्देशों का 11 सितंबर तक अनुपालन किया जाए.

पीठ ने टिप्पणी की है कि हमने बहुत समय पहले आदेश पारित किया था. हम पहले ही एक बार समय बढ़ा चुके हैं. जब तक आप दिशा निर्देश तैयार करेंगे तब तक तीसरी लहर भी समाप्त हो जाएगी. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि मामला पहले से ही प्रक्रिया में है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा. मेहता ने हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा.

मामले में याचिकाकर्ता अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने पीठ के समक्ष दलील दी कि केंद्र को अदालत के आदेश का सम्मान करना चाहिए. दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले को स्थगित कर दिया और केंद्र को 11 सितंबर को या उससे पहले अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

अगस्त में मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने दिशा निर्देशों के संबंध में अनुपालन हलफनामा मांगा था. शीर्ष अदालत ने उपयुक्त प्राधिकारी को मृत्यु प्रमाण पत्र/आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए सरलीकृत दिशा निर्देश जारी करने का निर्देश दिया था. जिसमें मृत्यु का सही कारण, कोविड-19 के कारण मृत्यु, मृतक के परिवार को जारी किया जाए.

इस तरह के दिशा-निर्देश मृतक के परिवार के सदस्यों को भी राहत प्रदान कर सकते हैं जिनकी मृत्यु कोविड-19 के कारण हुई है. यदि वे मृत्यु के कारण से संतुष्ट नहीं हैं तो उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र/आधिकारिक दस्तावेज में सुधार करा सकते हैं.

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शीर्ष अदालत का आदेश उन जनहित याचिकाओं पर आया है जो अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल द्वारा दायर की गई हैं. जिसमें कोविड से पीड़ित परिवार के लिए 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी.

(Ians_english)

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