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काफी लो-मेंटेनेंस होते हैं सक्यूलेंट्स

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Published : Oct 26, 2021, 12:50 PM IST

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सक्यूलेंट्स

घर और दफ्तर की मेज पर या किसी कोने में सुंदर पॉटस में सजे सक्यूलेंट्स देखने में तो खूबसूरत होते हैं साथ ही काफी लो-मेंटेनेंस वाले भी होते हैं. यानी इन्हें बहुत ज्यादा खाद पानी की जरूरत नहीं होती. यदि इन पौधों के लिए धूप तथा पानी का सही तालमेल बैठाया जाय तो कम मेहनत में यह तेजी से पनप सकते हैं.

आजकल घरों तथा दफ्तरों में सक्यूलेंट पौधों को सजाने का ट्रेंड काफी चलन में है. छोटे-बड़े पॉटस में सजे आकर्षक सक्यूलेंट्स देखने में काफी खूबसूरत लगते हैं. हालांकि इनकी देखभाल के लिए बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नही होती है, लेकिन कुछ बातें और टिप्स हैं जो इनकी देखभाल में काफी मददगार हो सकते हैं.

सक्यूलेंट्स, एग्जोटिक हाउसप्लांट्स की श्रेणी में आते हैं जो देखने में देखने में छोटे और काफी खूबसूरत होते हैं. चूंकि इनकी देखभाल में ज्यादा मेहनत नही लगती इसलिए इन्हे घर के अंदर या दफ्तर में कही भी लगाया जा सकता है.

कैसा हो सक्यूलेंट्स के लिए पॉट/गमला

इंदौर के नर्सरी संचालक पवन कुमार सिंह बताते हैं कि सक्यूलेंट पौधों को लगाने के लिए अच्छी निकासी वाले टेराकोटा, सिरेमिक या मिट्टी के गमले का उपयोग आदर्श माना जाता है. अलग -अलग प्रकार के सक्यूलेंट पौधे नर्सरी में सरलता से मिल जाते हैं.

सक्यूलेंट से जुड़े ट्रेंड के बारें में ज्यादा जानकारी देते हुए पवन कुमार बताते हैं कि सामान्य तौर पर लोग एक गमले में एक ही प्रकार का पौधा लगाते हैं , लेकिन वर्तमान ट्रेंड के चलते आजकल लोग बड़े टेराकोटा या सिरेमिक गमलों में लोग अलग अलग प्रजाति के सक्यूलेंट्स एक साथ लगाकर तथा उन्हे सजावटी खिलौने से सजाकर छोटे सक्यूलेंट्स गार्डन भी तैयार करते हैं. इसके अलावा कुछ लोग सजावटी कपों में भी सक्यूलेंट्स सजाना पसंद करते हैं.

तापमान का रखें ध्यान

पवन कुमार बताते हैं कि सक्यूलेंट का विकास सही तरह से हो और वे मरे नहीं इसके लिए सामान्य तापमान के अलावा पौधे को मिलने वाली धूप व पानी की मात्रा तथा उसे देने के तरीके का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है. सक्यूलेंट्स को रखने की आदर्श जगह वह है जहां उन्हे पर्याप्त मात्रा में धूप मिले. सक्यूलेंट पौधे के विकास के लिए गर्म और सूखा वातावरण आदर्श माना जाता है.

इन पौधों में पानी भी बडा नपा तुला डालना पड़ता है. हालांकि पानी की जरूरत अलग अलग प्रजाति के अनुरूप अलग अलग हो सकती है, जैसे कुछ सक्यूलेंट्स में सामान्य तौर पर 2 से 4 दिनों के अंतराल, कुछ में एक हफ्ते, तो कुछ में दो हफ्तों में एक बार पानी डाला जाता है. पानी डालते समय ध्यान देने वाली बात यह है कि एक बार पानी देने के बाद जब मिट्टी सूखने लगे उसके बाद ही पौधें में दोबारा पानी देना चाहिए.

इन पौधों को बरसात के दिनों में अधिक पानी से बचाकर रखना भी बहुत ज़रूरी है क्योंकी ज्यादा पानी से ये मर जाते हैं. इन पौधों में हमेशा जड़ों में ही पानी डालना चाहिए. तथा उनकी पत्तियों को साफ करने के लिए पानी नही बल्कि सूखे कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए.

पौधे खाने वाले कीड़ों से बचाएं

ऐसे पौधों में छोटे-छोटे कीड़े अपेक्षाकृत ज्यादा लगते हैं, ऐसे में सकुलेंट्स पौधे को कीड़ों से बचाने के लिए समय-समय पर नीम, बेकिंग सोडा आदि का स्प्रे बनाकर पौधे पर छिड़काव किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त आइसो प्रोपाइल अल्कोहल का छिड़काव भी ऐसी अवस्था में फायदेमंद होता है.

सक्यूलेंट्स की सही देखभाल के टिप्स

  • सक्यूलेंट्स लगाने से पहले मिट्टी में सही अनुपात में जैविक खाद मिलाना जरूरी है.
  • हवा और धूप की जरूरत को देखते हुए इन पौधों का स्थान बदलते रहना चाहिए. यानी किसी एक जैसे तापमान में इन पौधों को अधिक दिनों के लिए न रखें, जैसे लगातार धूप में या फिर छाँव में. धूप और छांव जरूरी मात्रा में मिलने से , इन पौधों का विकास अच्छा होता है.
  • इनकी पत्तियों की नियमित साफ व सूखे कपड़े से सफाई करते रहना चाहिए. कई बार सफाई के अभाव में पर पत्तियों पर धूल या मिट्टी की मोटी परत जम जाती है, जिसके चलते या तो पत्तियों का रंग बदल जाता है या फिर वे मर जाती है.

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