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Yes Bank Property Transfer Case: यस बैंक की संपत्तियों के हस्तांतरण की जांच के लिए सुब्रमण्यम स्वामी पहुंचे दिल्ली हाईकोर्ट

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Published : Mar 17, 2023, 7:10 PM IST

यस बैंक की संपत्तियों के हस्तांतरण की जांच के लिए पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जनहित याचिका दायर कर उन्होंने कहा है कि ग्राहकों और शेयरधारकों की कीमत पर एक कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए कानून का पालन नहीं किया गया है.

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नई दिल्ली: राज्यसभा के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी जेसी फ्लावर्स को यस बैंक की 48,000 करोड़ रुपए की संपत्ति के हस्तांतरण पर विचार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में स्वामी ने दावा किया है कि इस हस्तांतरण में कानून से बचने का प्रयास किया गया है. साथ ही इसमें निष्पक्षता का अभाव है.

स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने शुक्रवार को केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), यस बैंक और जेसी फ्लावर एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. नोटिस का जवाब देने के लिए चारों संस्थाओं को चार सप्ताह का समय दिया है. साथ ही मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 जुलाई तय की है.

स्वामी ने जनहित याचिका में विशेषज्ञ समिति गठित करने के साथ ही समिति द्वारा भविष्य में ऐसे किसी लेन-देन की जांच करने और बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों और संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के बीच की गई व्यवस्था को विनियमित करने की भी मांग की है.

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लाभ पहुंचाने के लिए किए गए थेः दलील में यह भी कहा गया है कि यह हस्तांतरण एक अन्य लेन-देन से जुड़ा है, जिसमें यस बैंक ने जेसी फ्लावर्स में 19.9 प्रतिशत तक हिस्सेदारी हासिल की है. ये लेन-देन यस बैंक के ग्राहकों और शेयरधारकों की कीमत पर केवल जेसी फ्लावर्स को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए थे और देश की आर्थिक भलाई के लिए हानिकारक हैं. साथ ही ये सार्वजनिक धन की वसूली को प्राथमिकता नहीं देते हैं.

लेन-देन संदिग्धः याचिका में स्वामी का कहना है कि वह निजी बैंकिंग क्षेत्र में व्याप्त बढ़ती सड़ांध को उजागर करना चाहते हैं. याचिका में इस संदिग्ध सौदे के निष्कर्ष से बचने के लिए इन लेन-देन पर तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है. स्वामी ने दलील में दावा किया कि इस तरह के लेन-देन देश के वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं क्योंकि सार्वजनिक धन का हेरफेर किया जा रहा है. इसमें निवेशकों के विश्वास के साथ खिलवाड़ करते हुए आरबीआई द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों को भी दरकिनार कर दिया गया है.

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