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फिल्म मिशन रानीगंज में आईएसएम के स्टूडेंट रहे जसवंत सिंह की जांबाजी की कहानी, डिप्टी डायरेक्टर प्रो धीरज कुमार ने ताजा की यादें

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 27, 2023, 5:02 PM IST

Updated : Sep 29, 2023, 12:07 PM IST

ISM Dhanbad in Film Mission Raniganj
ISM Dhanbad in Film Mission Raniganj

6 अक्टूबर को सिनेमाघरों में अक्षय कुमार की फिल्म मिशन रानीगंज रिलीज हो रही है. इस फिल्म का धनबाद आईआईटी आईएसएम से खास रिश्ता है. क्योंकि फिल्म के मुख्य किरदार जसवंत सिंह ने यहीं से पढ़ाई की थी. इसके अलावा इस फिल्म में धनबाद के संजय भारद्वाज भी विलेन के रूप में दिखाई देंगे.

डिप्टी डायरेक्टर प्रो धीरज कुमार से बात करते संवाददाता नरेंद्र निषाद

धनबाद: 6 अक्टूबर को बॉलीवुड सुपर स्टार अक्षय कुमार की फिल्म मिशन रानीगंज बड़े पर्दे पर रिलीज हो रही है. कोयला खदान हादसे पर आधारित यह सुपर रेस्क्यू फिल्म जांबाज इंजीनियर जसवंत सिंह पर बनी है. जिन्हें लोग कैप्सूल गिल के नाम से भी जानते हैं. जसवंत सिंह ने धनबाद के आईआईटी आईएसएम से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. जान पर खेलकर उन्होंने खदान में 65 श्रमिकों की जान बचाई थी. आईआईटी आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर प्रो धीरज कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में जसवंत सिंह के बारे में कई अहम जानकारी दी.

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आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया जसवंत सिंह के बारे में: आईआईटी आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर प्रो धीरज कुमार ने बातचीत के दौरान कहा कि जसवंत सिंह 1965 बैच के छात्र थे. उन्होंने माइनिंग इंजीनियरिंग के रूप में आईएसएम से बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद कोल माइंस में मैनेजर के पद पर उन्होंने अपना योगदान दिया था.

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प. बंगाल के रानीगंज में हुआ था हादसा: 13 नवंबर 1989 में धनबाद से सटे बंगाल की रानीगंज में ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड की महावीर कोलियरी में एक खदान दुर्घटना हुई थी. जिसमें माइंस के अंदर पानी भर जाने के करीब 65 श्रमिक खदान के अंदर फंस गए. माइंस के निकासी द्वार में काफी मात्रा में पानी भर चुका था. श्रमिकों के बाहर निकालने में सारे रास्ते बंद हो चुके थे और कोई दूसरा विकल्प प्रबंधन को समझ नहीं आ रहा था. उस वक्त जसवंत सिंह गिल कंपनी में स्पिनिंग इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे.

जसवंत सिंह ने बचाई थी 65 लोगों की जान: जसवंत सिंह ने उन सभी 65 श्रमिकों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा दी. उनके द्वारा रेस्क्यू की रणनीति और कार्य योजना तैयार की गई. उन्होंने एक स्टील कैप्सूल डिजाइन किया और खदान के जिस स्थान पर श्रमिक फंसे थे उसके सही लोकेशन का आकलन किया गया. जिसके बाद खदान के ऊपर सरफेस से एक बोर होल अंदर की तरफ बनाया गया. जसवंत सिंह खुद स्टील की बनी कैप्सूल के अंदर समाहित होकर खदान के अंदर रस्से के जरिए दाखिल हुए. जिसके बाद सभी 65 श्रमिकों को स्टील कैप्सूल में समाहित कर ऊपर निकाला जा सका. सभी 65 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में उन्होंने सफलता हासिल की थी. इस रेस्क्यू के बाद से उन्हें कैप्सूल गिल के नाम से जाने लगे.

जसवंत सिंह के नाम से अवार्ड की शुरुआत: जसवंत सिंह की इस उपलब्धि के बाद उनके नाम से आईएसएम की तरफ से जसवंत सिंह गिल मेमोरियल इंडस्ट्रियल सेफ्टी एक्सीलेंस अवार्ड भी दिया जाता है. इंडस्ट्रियल क्षेत्र में बेहतर सेफ्टी दर्शाने वाले को यह अवार्ड आईएसएम की तरफ से दिया जाता है.

आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि अक्षय कुमार ने आईएसएम की हेरीटेज बिल्डिंग के साथ जसवंत सिंह के साथ फोटो लगाकर ट्वीट भी किया है. डिप्टी डायरेक्टर प्रो धीरज कुमार ने बताया कि आईएसएम के जो एलुमिनी है, उनका माइनिंग इंडस्ट्री के क्षेत्र में कितना बड़ा योगदान है, उसे बड़े पर्दे पर आम जनता देख सकेगी.

फिल्म में विलेन का रोल करने वाले धनबाद के एक्टर संजय भारद्वाज

फिल्म में धनबाद के संजय भारद्वाज विलेन के रूप में: फिल्म मिशन रानीगंज-द ग्रेट भारत रेस्क्यू में खास बात ये भी है कि इसमें धनबाद के संजय भारद्वाज भी होंगे. संजय भारद्वाज फिल्म में खलनायक की भूमिका में नजर आने वाले हैं. फिल्म में उन्हें एक बड़े कांट्रेक्टर एलबी उपाध्याय के किरदार में दिखाया गया है. संजय एक थिएटर आर्टिस्ट रहे हैं और बीसीसीएल में काम करते हैं. वे पुटकी बलिहारी एरिया के भू संपदा विभाग में कार्यरत हैं. इसके साथ ही वे आरोही नाट्य मंच संस्था भी चलाते हैं जो देशभर में एक चर्चित संस्था है.

बेहतरीन एक्टर हैं संजय: संजय भारद्वाज ने अपने अभिनय के दम पर धनबाद से बॉलीवुड तक का सफर तय किया है. पिछले 35 वर्षों से वह स्टेज शो करते आ रहे हैं. भारत के 15 राज्यों में थिएटर एवं नुक्कड़ नाटक कर चुके हैं, भारद्वाज को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, अभिनेता, सह अभिनेता और नाट्य लेखन के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है. पांच वर्ष पहले मिशन रानीगंज की पटकथा लिखने के समय स्वर्गीय जसवंत सिंह गिल, फिल्म के लेखक दीपक किंगरानी और निर्देशक टीनू सुरेश देसाई पुटकी आए थे तब संजय से उनकी मुलाकात उनसे हुई थी.

जसवंत सिंह मूल पंजाब अमृतसर के रहने वाले थे. उनका जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था. 80 साल के उम्र के पड़ाव में 26 नवंबर 2019 को उनका निधन हृदय गति रुक जाने के कारण हुआ. कक्षा एक चार तक की पढ़ाई पंजाब की थी. 1959 में उन्होंने खालसा कॉलेज अमृतसर, भारत से बीएससी नॉन मेडिकल की पढ़ाई पूरी की. 1961-65 बैच आईएसएम के स्टूडेंट रहे. 1991 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने सर्वोत्तम जीवन रक्षक पदक से नवाजा. इसके साथ ही उनके लिए कई उपलब्धियां रही हैं.

Last Updated :Sep 29, 2023, 12:07 PM IST
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