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बंगाल : एंबुलेंस को देने के लिए 3000 रुपये नहीं थे, बाप-बेटे को कंधे पर ढोना पड़ा शव

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Published : Jan 5, 2023, 7:14 PM IST

Son carries mothers body on shoulder
कंधे पर ढोना पड़ा शव

बंगाल में प्रशासन की लापरवाही सामने आई हैं, जहां एक बेटे को अपने पिता के साथ मिलकर मां का शव कंधे पर ढोना पड़ा (Son carries mothers body on shoulder). उनसे निजी एंबुलेंस कर्मी ने शव ले जाने के लिए 3000 रुपये मांगे थे. रुपये नहीं होने के कारण बाप-बेटा कंधे पर ही शव लेकर चल पड़े.

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जलपाईगुड़ी : ओडिशा के किसान दाना मांझी 2016 में उस अमानवीय पीड़ा के लिए सुर्खियों में आए थे, जब उन्हें दाह संस्कार के लिए 10 किलोमीटर तक अपनी पत्नी के शव को कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ा था. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इसके तुरंत बाद प्रशासन ने घटना को गंभीरता से लिया और उनकी मदद के लिए दौड़ पड़ा. बाद में माझी को उचित मुआवजा दिया गया और उन्हें गरीबी दूर करने में मदद करने के लिए मुख्यधारा में लाया गया.

140 करोड़ की आबादी वाले देश में दाना मझी कभी न कभी सामने आ ही जाते हैं. बीच-बीच में भी इस तरह की घटनाएं होती रहीं, जिसमें प्रशासन मूक दर्शक बना रहा. 2023 में अमानवीयता की एक ऐसी ही तस्वीर ने फिर कई लोगों का ध्यान खींचा और सभी को एक बार फिर दाना मांझी की याद दिला दी. पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में एक बेटा और एक पति दाना मांझी की तरह एक महिला के शव को कंधे पर ढो रहे थे, क्योंकि वे एंबुलेंस का 3000 रुपये किराया देने में असमर्थ थे (Son carries mothers body on shoulder).

माल अनुमंडल के क्रांति प्रखंड निवासी दिहाड़ी मजदूर रामप्रसाद दीवान ने अपनी मां लक्ष्मीरानी दीवान को सांस लेने में दिक्कत होने पर कल रात जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया. रात में लक्ष्मीरानी दीवान की मौत हो गई. रामप्रसाद दीवान जब शव वाहन किराए पर लेने गए तो उनसे 3,000 रुपये मांगे गए.

इतनी रकम न होने के कारण रामप्रसाद दीवान ने मिन्नतें कीं, लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ. उन्हें अपने पिता के साथ अपनी मां के पार्थिव शरीर को अपने कंधों पर ढोना पड़ा. ग्रीन जलपाईगुड़ी नामक स्वयंसेवी संस्था के सचिव अंकुर दास ने दूर से ही इस पूरे प्रकरण को देखा. तुरंत, उन्होंने संगठन के शव वाहन को बुलाया और उस वाहन में शव को ले गए. इस प्रकरण ने देश नहीं तो एक बार फिर राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी.

जलपाईगुड़ी के स्वयंसेवी संगठन ग्रीन जलपाईगुड़ी के सचिव अंकुर दास ने शिकायत की कि शव को घर ले जाने के लिए सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं थी. यहां तक ​​कि निजी एंबुलेंस से भी मोटी रकम की मांग की गई.' सचिव अंकुर दास ने ईटीवी भारत को बताया कि 'मृतक के परिवार को शव ले जाने के लिए मजबूर किया गया. हमने इसे देखा और शव को अपने शव वाहन में घर भेज दिया.'

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए जलपाईगुड़ी प्राइवेट एंबुलेंस ड्राइवर्स एसोसिएशन के सचिव दिलीप दास ने आरोपों को निराधार बताया. उन्होंने कहा कि 'सुबह मृतक के परिजन हमारे पास आए थे. उनसे जितने पैसे मांगे गए वह उन्होंने नहींं दिए. अगर उन्होंने हमें बताया होता कि उनके पास पैसा नहीं है, तो हम मुफ्त में सेवा प्रदान करते. हम कई रोगियों को मुफ्त सेवाएं प्रदान करते हैं.'

दास ने स्वैच्छिक संगठन की ओर उंगली उठाते हुए कहा कि 'हमें बदनाम करने की साजिश है. एक स्वैच्छिक संगठन ने हमारे खिलाफ साजिश रची.' जलपाईगुड़ी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल एमएसवीपी डॉ. कल्याण खान ने इस घटना को अमानवीय करार दिया. खान ने कहा, 'निजी शव वाहन ने परिवार से 3,000 रुपये मांगे. उन्हें सरकारी तरीके से शव वाहन मिल सकता था. इसकी जांच की जाएगी कि यह कैसे हुआ.'

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