ETV Bharat / bharat

history of somnath temple: मौलाना साजिद रशीदी के बयान के बाद फिर उभरा सोमनाथ मंदिर का जख्म, जानिए इतिहास

author img

By

Published : Feb 11, 2023, 6:47 AM IST

Updated : Feb 11, 2023, 7:17 AM IST

ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव मंदिर और उसके पुनर्निर्माण के पीछे एक दुखद और दिलचस्प इतिहास है. इस मंदिर की जाहोजलाली को लूटने वाले मोहम्मद गजनवी की याद दिलाने वाले मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी के बयान पर विवाद चर्चा में है. तो आइए याद करते हैं लाखों शिव भक्तों की आस्था के केंद्र सोमनाथ मंदिर की कुछ अहम बातें.

Somnath Temple
Somnath Temple

इतिहासकार हरीश भाई देसाई ने गजनवी को बताया लुटेरा.

सोमनाथ: सोमनाथ महादेव मंदिर पर मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी के बयान के बाद एक बड़ा विवाद छिड़ गया है. उस समय सोमनाथ मंदिर के विध्वंस को लेकर मोहम्मद गजनवी का एकमात्र युद्ध इतिहास में दर्ज है. मुहम्मद गजनवी ने सोने से जड़े सोमनाथ और रत्नों से जड़े प्रभास तीर्थ क्षेत्र को लूटने का घृणित कार्य किया, जो सोमनाथ मंदिर के इतिहास से जुड़े साहित्य में दर्ज है. मौलाना मोहम्मद साजिद रसीदी भी सोमनाथ मंदिर से जुड़े 1026 ईस्वी पूर्व के इतिहास से छेड़छाड़ कर रहे हैं.

गुजरात सरकार की आधिकारिक वेबसाइट में दिखाया गया सोमनाथ मंदिर का इतिहास इस प्रकार है. सोमनाथ गुजरात में सौराष्ट्र के तट पर स्थित एक भव्य मंदिर है. ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में प्रथम है. ऋग्वेद में सोमनाथ महादेव का उल्लेख है. सोमनाथ मंदिर पर अनेक अभिशप्त विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा आक्रमण किया गया और उसे तोड़ा गया, लेकिन उस भव्य मंदिर का उतनी ही बार पुनर्निर्माण किया गया है.

हरिद्वार के महामंडलेश्वर हरिगिरि बापू ने गजनवी को बताया अत्याचारी शासक

कहा जाता है कि सोमनाथ का पहला मंदिर 2000 साल पहले अस्तित्व में आया था, वर्ष 649 में. वल्लभी के राजा मैत्रक पहले ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और उसके स्थान पर दूसरा मंदिर बनवाया. साल 725 में सिंध के अरब शासक जुनैद ने अपनी सेना के साथ मंदिर पर हमला किया और मंदिर को नष्ट कर दिया. प्रतिहार राजा नाग भट्ट द्वितीय ने 815 में तीसरी बार लाल पत्थर का उपयोग करके मंदिर का निर्माण कराया.

सन् 1026 में मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर के बेशकीमती रत्नों और संपत्ति को लूट लिया. लूटपाट के बाद मंदिर के कई तीर्थयात्रियों को मार डाला और मंदिर को जलाकर नष्ट कर दिया. 1026-1042 के दौरान मालवा के परमार राजा भोज और अनिलवाड़ पाटन के सोलंकी राजा भीमदेव ने चौथा मंदिर बनवाया. वर्ष 1299 में, जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा कर लिया, तो सोमनाथ नष्ट हो गया. 1394 में इसे फिर से नष्ट कर दिया गया. 1706 में मुगल शासक औरंगजेब ने फिर से मंदिर को तोड़ दिया.

Somnath Temple
ऋग्वेद में है सोमनाथ महादेव का उल्लेख.

भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल और पहले उप प्रधान मंत्री ने 13 नवंबर, 1947 को सोमनाथ महादेव मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया. आज का सोमनाथ मंदिर सातवीं बार अपने मूल स्थान पर बना है. 1 दिसंबर, 1995 को जब मंदिर का पुनर्निर्माण पूरा हुआ, तब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने मंदिर को देश को समर्पित किया. 1951 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ज्योर्तिलिंग की महिमा के लिए समारोह किया.

अब एक बार फिर मोहम्मद गजनवी को लेकर माहौल गरमा रहा है, तब जूनागढ़ के इतिहासकार और मोहम्मद गजनवी के साथ प्रभास और सोमनाथ पर पुस्तक के लेखक शंभु प्रसाद देसाई ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है कि मोहम्मद गजनवी एक लुटेरा और उड़ाऊ राजा था. वह शाही वंश की एक गुलाम महिला की नाजायज संतान भी था लेकिन गजनवी वंश में जन्म लेने के कारण उन्हें गजनवी वंश का राजा स्वीकार किया गया.

Somnath Temple
मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर के बेशकीमती रत्नों और संपत्ति को लूटा.

ये भी पढ़ें- Somnath Temple: सोमनाथ मंदिर पर मौलाना साजिद रशीदी ने दिया विवादित बयान, ट्रस्ट ने दर्ज कराई शिकायत

शंभु प्रसाद देसाई ने प्रभास और सोमनाथ पर अपनी पुस्तक में इतिहास से उनका उल्लेख करते हुए कहा है कि राजा बनने के बाद उनका व्यभिचारी और लुटेरा रवैया था. जूनागढ़ के एक इतिहासकार हरीश भाई देसाई ने ईटीवी भारत से बात की और कहा कि मोहम्मद गजनवी कभी वत्सल राजा नहीं था जैसा कि किताबों में वर्णित है, वह सिर्फ एक लुटेरा था जो लूटपाट से ग्रस्त था, जिसने उसे इतिहास में एक दागदार शाही बना दिया.

हरिद्वार के महामंडलेश्वर हरिगिरि बापू ने मोहम्मद गजनवी को चोर, लुटेरा और अत्याचारी शासक बताया है. उन्होंने आगे कहा कि वह गजनवी प्रांत के गजनवी वंश के राजा थे, फिर भी उसने सोमनाथ के आभूषण और हीरे-जवाहरात लूटने का घृणित कार्य किया. मौलाना मोहम्मद साजिद रसीदी द्वारा दिया गया बयान बहुत ही निंदनीय है कि मोहम्मद गजनवी कभी भी प्रजा वत्सल राजा नहीं था, वह एक डाकू था और जाहोजहली और सोने के स्थानों को लूटने में उसे बहुत मजा आता था.

मेरठ स्थित मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद साजिद रसीदी ने मोहम्मद गजनवी की तारीफ की, इस पर बहस शुरू हो गई है. मौलाना मोहम्मद साजिद रसीदी ने जिस तरह से मोहम्मद गजनवी को लोगों का हितैषी बताया है, उसका अब व्यापक विरोध हो रहा है. मुहम्मद गजनवी के इतिहास की जांच करने पर ज्ञात होता है कि वह गजनवी का शाही वंशज था. 1026 ईसा पूर्व में मुहम्मद गंजानी ने 50,000 से अधिक योद्धाओं के साथ सोमनाथ किले पर हमला किया, जिससे सोमनाथ के सोने से जड़े मंदिर को लूटने की एक ही साजिश रची गई. आठ दिनों की लड़ाई के बाद गजनवी 1026 ईसा पूर्व में दूसरे प्रयास में सोमनाथ मंदिर को लूटने में सफल हुआ. मंदिर को नष्ट करने और इसके खजाने को लूटने के बाद गजनवी भाग गया.

सोमनाथ में तीसरा मंदिर, जिसे मुहम्मद गजनवी ने ध्वस्त करने का साहस किया, हो सकता है कि गुर्जर प्रतिहार राजाओं द्वारा 8वीं शताब्दी के अंत या 9वीं शताब्दी के प्रारंभ में बनाया गया हो. यह मंदिर अपने लाल पत्थरों के कलात्मक निर्माण के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है. मंदिर के 56 खंभे कीमती पत्थरों से जड़े हुए थे. इन गहनों से मंदिर दीयों की तरह जगमगाता नजर आता था. महादेव की मूर्ति के पास 4000 किलो वजनी सोने की चेन पर बजने के लिए घंटी लगी हुई थी. सोमनाथ के धन और बहुमूल्य रत्नों को लूटने के लिए, मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ के किले पर धावा बोला और मंदिर को नष्ट कर दिया, सोमनाथ के रत्न और धन को लूट लिया और फरार हो गया.

जैसा कि इतिहास में दर्ज है, 1000 से अधिक ब्राह्मणों ने सोमनाथ के स्वर्ण और रत्नों से जड़े तीसरे मंदिर को नष्ट करने से पहले शिवलिंग की पूजा करते थे. 1026 ईसा पूर्व से पहले सोमनाथ मंदिर को दस हजार से अधिक गांव दान में दिए गए थे. उस समय कीमती सामान प्रचलन में थे. इन सभी को सोमनाथ महादेव में देखा गया था, जिसके लिए मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ किले पर आक्रमण किया, जिस समय सोमनाथ का किला राजा मांडलिक के अधिकार में था, उस समय मोहम्मद गजनवी के सोमनाथ किले पर आक्रमण किया था. आठ दिनों के युद्ध के अंत में, कई योद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी और अंत में मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ किले पर कब्जा कर लिया और शिवलिंग को लूटने के साथ नष्ट कर दिया. मंदिर और अंत में मुहम्मद गजनवी मंदिर को जलाने में सफल रहा.

इतिहास में यह दर्ज है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण संभवत: 2000 से पहले हुआ होगा. मोहम्मद गजनवी 80 दिनों की यात्रा के बाद 6 जनवरी 1026 को सोमनाथ मंदिर के गहनों और रत्नों को हासिल करने के लिए सोमनाथ पहुंचा. सोमनाथ पहुंचने पर मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ किले पर हमला किया. लेकिन ब्राह्मण योद्धाओं और महादेव की पूजा करने वाले स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन दो दिन बाद 8 जनवरीस, 1026 को उसने एक विशाल सेना के साथ सोमनाथ किले पर सशस्त्र हमला किया. इस तीन दिवसीय युद्ध में 50,000 से अधिक योद्धाओं ने मोहम्मद गजनवी और सोमनाथ की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी. दर्ज इतिहास के अनुसार 8 जनवरी, 1026 को मोहम्मद गजनवी अपने बेटे और सेनापति के साथ सोमनाथ मंदिर के किले में घुस गया और गहने और भव्यता को लूटना शुरू कर दिया.

इतिहास में यह भी दर्ज है कि मोहम्मद गजनवी के शिवलिंग को दो टुकड़ों में तोड़कर और सोमनाथ किले पर चढ़ाई करके उसने जो सोना, हीरे-जवाहरात जीते थे, उसे लूटकर गजनवी 18 दिनों तक सोमनाथ जिले में रहा था. इस दौरान उसने सोमनाथ के नौजवानों को गुलाम बना लिया और जो लोग मोहम्मद गजनवी के आत्मसमर्पण को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे, उनका कत्ल कर दिया गया. इतिहास में दर्ज तारीख के अनुसार 2 अप्रैल, 1026 को 165 दिनों के बाद मोहम्मद गजनवी अपने जीवित 2000 सैनिकों के साथ फिर गजनवी प्रांत पहुंचा.

माना जाता है कि हिंदू आस्था के प्रतीक, बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला, सोमनाथ मंदिर को 16 बार लूटा गया. अगर हम वर्तमान सोमनाथ मंदिर की बात करें तो सोमनाथ मंदिर महा प्रसाद और मेरु प्रसाद की दो शैलियों को मिलाकर एक नई शैली में बनाया गया है, जिसे महामेरु प्रसाद कहा जाता है. इस 3 मंजिला मंदिर में कुल 3 मंडप, गर्भगृह, नृत्य कक्ष और सभा भवन हैं और 251 से अधिक स्तंभ हैं, जबकि मंदिर के शिखर कलश का वजन लगभग 10 टन है और मंदिर की कुल ऊंचाई 211 फीट 4 इंच है. सोमनाथ का इतिहास उतना ही दिलचस्प रहा है, जितना ऊपर और नीचे जाने वाली ये आकृतियां.

Last Updated :Feb 11, 2023, 7:17 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.