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कोरोना से जूझ रहा नेपाल पड़ा नरम, भारत से लगाई मदद की उम्मीद

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Published : May 19, 2021, 12:43 AM IST

नेपाल में कोरोना महामारी
नेपाल में कोरोना महामारी

हिमालयी राष्ट्र नेपाल में भी कोरोना महामारी के कारण स्थिति बिगड़ती जा रही है. स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के साथ यहां वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और डॉक्टरों की भारी किल्लत है. चीन की मदद के बावजूद नेपाल सभी गिले-सिकवे भुलाकर अब भारत की तरफ उम्मीद की नजरों से देख रहा है. पढ़िए, वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की विशेष रिपोर्ट...

नई दिल्ली : नेपाल में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के साथ भारत की तरह स्थिति बिगड़ती जा रही है. हिमालयी राष्ट्र में पहले से ही अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में क्षमता से अधिक मरीज भर्ती हैं. साथ ही अस्पतालों में रोगियों की देखभाल के लिए वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और डॉक्टरों की काफी किल्लत है.

हेल्थकेयर उपकरणों की भारी कमी के बीच नेपाल, चीन से मदद मिलने के बावजूद भारत से उम्मीदें लगा रहा है. इससे पता चलता है कि भारत-नेपाल संबंध के लिए अगले कुछ महीने महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि इससे भारत के साथ संबंधों की परीक्षा होने की संभावना है, जो खुद कोरोना महामारी की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहा है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा, 'यह दर्शाता है कि भारत के प्रति नेपाल के रवैये में नरमी दिखाई दे रही है. इसका एक कारण यह है कि चीनी कोविड वैक्सीन सिनोफार्म अन्य टीकों जैसे, स्पूतनिक-वी की तुलना में बहुत प्रभावी नहीं बताई गई है. दूसरी बात, चीन से टीके प्राप्त करने के बाद भी, नेपाल को अभी भी टीकों की सख्त जरूरत है क्योंकि वह वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीका शुरू करने जा रहा है. दुनिया भर में टीकों की कमी है और भारत इसका सबसे बड़ा निर्माता है. इसलिए नेपाल को इस बात का बोध हो गया है कि भारत का विरोध करना उसके हित में नहीं होगा.'

पीएम ओली पड़े नरम
इससे पहले, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कई मोर्चों पर भारत के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी. साथ ही आरोप लगाया था कि भारत उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ मिलकर उन्हें सत्ता से बाहर करने की साजिश कर रहा है. लेकिन अब भारत के प्रति ओली के रुख में कुछ नरमी आई है, क्योंकि वह पिछले सप्ताह नेपाली संसद में विश्वास मत खो चुके हैं.

चीन समर्थक छवि के बावजूद, ओली ने साल 2020 के अंत से भारत के साथ संबंधों को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत की थी. यहां तक कि ओली के प्रतिद्वंद्वी पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने उन पर भारत के इशारे पर संसद के निचले सदन को भंग करने का आरोप लगाया था.

अब जब दुनिया भर में कोरोना महामारी नए सिरे से फैल रही है, ऐसे में हिमालयी राष्ट्र नेपाल ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ अन्य जरूरी हेल्थकेयर उपकरणों की मदद के लिए भारत से उम्मीद लगा रहा है, भले ही चीन चिकित्सा आपूर्ति, टीके और अन्य चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहा हो.

नेपाल में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने सोमवार को एक वर्चुअल इवेंट में 8-10 दिनों के भीतर भारत से तरल ऑक्सीजन नेपाल पहुंचने की घोषणा की.

उन्होंने कहा, भारत संकट की घड़ी में नेपाल की मदद करता रहेगा. नेपाल को पहले ही कोविशील्ड वैक्सीन की 2.3 मिलियन खुराक दी जा चुकी है. अगले 8-10 दिनों के भीतर तरल ऑक्सीजन के साथ टैंकर नेपाल पहुंच जाएंगे.

नेपाल की मदद के लिए सक्षम होगा भारत
एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए, पूर्व राजनयिक त्रिपाठी ने आगे बताया कि भारत दो सप्ताह में टीके भेजने में सक्षम होगा, क्योंकि देश को स्पूतनिक वी की खेप मिल चुकी है और कोवैक्सीन व कोविशील्ड टीके बनाने वाली कंपनियां भी अपने उत्पादन में तेजी लाएंगी.

उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि देश में बहुत जल्द स्थिति सामान्य हो जाएगी और भारत वैक्सीन और अन्य आपूर्ति भेजने की स्थिति में होगा.

उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत को कोविड-19 से लड़ने में सहयोग करेगा और चूंकि एपीआई रॉ मैटेरियल आना शुरू हो गया है तथा पांच और भारतीय फार्मा कंपनियां टीके बनाने की कतार में हैं, इसलिए इन सभी के साथ स्थिति आसान हो जाएगी और उम्मीद है कि भारत दो सप्ताह में नेपाल को आपूर्ति कर सकेगा, हालांकि चीन इस आपदा को एक अवसर के रूप में ले रहा है.

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त्रिपाठी ने कहा, 'अब, मुझे लगता है कि भारत और नेपाल के बीच नरमी आई है और दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में जुट गए हैं, जो हमारे लिए एक अच्छा संकेत है.

चीन टीकाकरण के मामले में वैश्विक समुदाय में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहा है और अब छोटे देशों पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है.

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