श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) : भारत ने शुक्रवार को यहां एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन-'चंद्रयान-3' का सफल प्रक्षेपण किया. इस अभियान के तहत चंद्र सतह पर एक बार फिर 'सॉफ्ट लैंडिंग' का प्रयास किया जाएगा. इसमें सफलता मिलते ही भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ (ISRO Chairman S Somanath) ने कहा कि चंद्रयान-3 की 'सॉफ्ट लैंडिंग' 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है.
कल शुरू हुई 25.30 घंटे की उलटी गिनती के अंत में एलवीएम3-एम4 रॉकेट यहां स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र के दूसरे 'लॉन्च पैड' से आज अपराह्न 2.35 बजे निर्धारित समय पर धुएं का घना गुबार छोड़ते हुए शानदार ढंग से आकाश की ओर रवाना हुआ. पंद्रह साल में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का यह तीसरा चंद्र मिशन है. इसरो के अधिकारियों के अनुसार, उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रणोदन मॉड्यूल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया और यह चंद्र कक्षा की ओर बढ़ते हुए पृथ्वी से 170 किमी निकटतम और 36,500 किमी सुदूरतम बिंदु पर एक अण्डाकार चक्र में लगभग पांच-छह बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा.
एलवीएम3-एम4 रॉकेट अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है जिसे वैज्ञानिक 'फैट बॉय' या 'बाहुबली' कहते हैं. प्रक्षपेण देखने के लिए मौजूद हजारों दर्शक चंद्रयान-3 के रवाना होते ही खुशी से झूम उठे और सफल प्रक्षेपण के बाद वैज्ञानिकों ने तालियां बजाईं. लैंडर के साथ प्रणोदन मॉड्यूल, गति प्राप्त करने के बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा पर तब तक आगे बढ़ेगा जब तक कि यह चंद्र सतह से 100 किमी ऊपर नहीं पहुंच जाता.
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#WATCH | If everything goes normal then landing on the moon is expected on August 23rd at around 5.47pm IST, says ISRO chief S Somanath on #Chandrayaan3 pic.twitter.com/rcIk5HxZ8D
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इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि वांछित ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' के लिए उतरना शुरू कर देगा. आज रवाना हुआ ‘चंद्र मिशन’ 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है 'सॉफ्ट लैंडिंग' इस अभियान का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होगी.
'चंद्रयान-2' मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर विक्रम पथ विचलन के चलते 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने में सफल नहीं हुआ था. यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा. चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण कक्ष (एमसीसी) से कहा कि रॉकेट ने चंद्रयान-3 को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है.
उन्होंने कहा, 'बधाई हो, भारत। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. हमारे प्रिय एलवीएम-3 ने पहले ही चंद्रयान-3 को पृथ्वी के चारों ओर सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है... और आइए हम चंद्रयान-3 को आगे की कक्षा में बढ़ाने की प्रक्रिया तथा आने वाले दिनों में चंद्रमा की ओर इसकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं व्यक्त करें.' सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है.
मिशन निदेशक एस मोहन कुमार ने कहा कि एलवीएम3 रॉकेट एक बार फिर इसरो का सबसे विश्वसनीय भारी प्रक्षेपण वाहन साबित हुआ है. उन्होंने कहा, 'हम राष्ट्रीय आवश्यकताओं के साथ-साथ उपग्रह मांगों को ध्यान में रखते हुए इस वाहन की प्रक्षेपण आवृत्ति बढ़ाने की प्रक्रिया में हैं.' परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने कहा कि प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल में बिजली उत्पादन सहित अंतरिक्ष यान के सभी मानक सामान्य हैं.
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने आज के प्रक्षेपण को भारत के लिए गौरव का क्षण करार दिया. भारत को गौरवान्वित करने के लिए इसरो टीम की सराहना करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने 'श्रीहरिकोटा के द्वार खोलकर तथा भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को सक्षम करके इसे संभव बनाया है.' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा था कि सफलता की कोई सीमा नहीं है और 'मुझे लगता है कि चंद्रयान ब्रह्मांड के अज्ञात क्षितिजों का पता लगाने के लिए आकाश की सीमा से आगे निकल गया है.'
सिंह ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले दिवंगत विक्रम साराभाई की सराहना करते हुए कहा कि आज का दिन उनके सपनों की पुष्टि का दिन भी है. उन्होंने कहा, 'यह दिन उस सपने का संकेत है जो विक्रम साराभाई ने छह दशक पहले देखा था. उनके पास संसाधनों की भले ही कमी रही हो, लेकिन आत्मविश्वास की कभी कमी नहीं थी.' मंत्री ने कहा कि साराभाई और उनकी टीम को खुद पर, भारत की क्षमता और इसकी कुशलता पर भरोसा था. सिंह और कई पूर्व इसरो प्रमुख इस प्रक्षेपण को देखने के लिए उपस्थित थे.
इससे पहले चंद्रयान-1 को 2008 और चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में अंजाम दिया गया था. पिछली बार की तरह इस बार भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को अन्वेषण के लिए चुना गया है क्योंकि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव की तुलना में बहुत बड़ा है. इसके आस-पास स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की संभावना हो सकती है. एलवीएम3एम4 रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था.
चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है. लैंडर की 'सॉफ्ट लैंडिंग' के बाद इसके भीतर से रोवर बाहर निकलेगा और चंद्र सतह पर चहलकदमी कर अपने उपकरण-एपीएक्सएस-एल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से अन्वेषण कार्य को अंजाम देगा.
(पीटीआई-भाषा)