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Health Checkup के साथ Wealth Checkup भी है जरूरी, ये 6 टिप्स सुधार देंगे आपकी वित्तीय सेहत

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Published : Jan 4, 2022, 2:43 PM IST

financial health
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कोरोना की मार स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक मोर्चे तक पर पड़ी है. इस दौर में नौकरियां भी गईं और व्यवसायों पर ताला भी लटका लेकिन दूसरी तरफ शेयर बाजार में रौनक रही. लेकिन शेयर बाजार को जुआ समझने वाली एक बड़ी आबादी अब भी इससे दूरी बनाए हुए है. ऐसे में अगर आप भी बाजार में निवेश करते हैं तो आपको ऐसे 6 टिप्स देते हैं जो आपकी वित्तीय सेहत को सुधार सकते हैं.

हैदराबाद: वेल्थ चेकअप (Wealth Checkup) भी हेल्थ चेकअप (Health Checkup) की तरह ही जरूरी है. यानी जैसे आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर सजग रहते हैं उसी तरह अपने वित्तीय सेहत को लेकर भी सजग रहें. एक्सपर्ट का सुझाव है कि निवेश करने से पहले बाजार में अवसरों की तलाश करें. आमतौर पर हम अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए चेकअप के लिए जाते हैं. इसी तरह हमें वक्त-वक्त पर अपने धन की जांच करनी चाहिए कि हम सही रास्ते पर जा रहे हैं या नहीं क्योंकि बेहतर भविष्य के लिए वित्तीय योजना बहुत जरूरी है.

वित्तीय प्लानिंग (Financial Planning): कोरोना काल ने हमें कई सबक सिखाए हैं. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन ने कई व्यवसायों पर ताले लटका दिए तो कईयों की नौकरी चली गई. दुनियाभर की अर्थव्यवस्था मानो चरमा सी गई. इस दौरान शेयर बाजार में भी कई उतार-चढ़ाव देखे गए. ऐसे में उम्मीद है कि नया साल अर्थव्यस्था के लिहाज से बेहतर होगा.

1. लक्ष्यों का निर्धारण- लक्ष्यों के आधार पर निवेश करना कोई नई बात नहीं है. हालांकि आगामी मल्टीकैप और फ्लेक्सी फंड ( Multicap and Flexi Cap Fund) योजनाएं निवेशकों को सभी क्षेत्रों (large, mid, small) में मौके देते हैं. इनमें जोखिम कम है, इसके अलावा निवेशकों को ऐसे अन्य निवेशों पर विचार करना चाहिए जो आपके धन में वृद्धि कर सकें.

2. जोखिम और मुनाफे का अटूट संबंध (risk and rewards are inextricably linked)- रिस्क या जोखिम लेने की बात हमेशा ही तनाव देती है. लेकिन जो बाजार के बारे में जानते हैं, वो समझते हैं कि जोखिम और मुनाफे का अटूट संबंध है. निवेशक अपनी जरूरत और वित्तीय क्षमताओं के हिसाब से जोखिम उठा सकते हैं.

3. मौके पर चौका- देश में आक्रामक निवेशकों (aggressive investors) के मुकाबले धीमी रफ्तार से प्रगति करने वाले अधिक हैं. यानी जोखिम लेने वालों की बजाय निश्चित लाभ में निवेश करने वालों की तादाद अधिक है. जो ईटीएफ, फंड ऑफ फंड्स और इंडेक्स फंड्स (ETFs, Fund of Funds and Index Funds) में निवेश कर रहे हैं. लेकिन मौके तब बनते हैं जब उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करें, जिनमें निवेशकों को एक निश्चित लाभ से बेहतर रिटर्न दिलाने की क्षमता होती है.

4. निवेश के उद्देश्यों की समीक्षा (review of investment objectives)- पिछले दो साल में सब कुछ बदल गया है. इस दौरान लोगों की जरूरत और प्राथमिकताओं में भी बदलाव हुआ है. ऐसे में नए साल की शुरुआत में अपने निवेश पर एक बार फिर से विचार करना समझदारी होगी. फिर चाहे आप शादी की प्लानिंग कर रहे हों या फिर उच्च शिक्षा पाने या बाजार में नए अवसरों के लिए एक कोष बनाना चाहते हों. जरूरी है कि इन सबके बीच संतुलना बनाया जाए. ऐसे में आपको अपने लक्ष्यों और भविष्य की जरूरतों के हिसाब से अपनी योजना बनानी होगी.

5. दुनिया के दूसरे बाजारों पर नजर- वैसे भारतीय बाजार में कई नए अवसर हैं लेकिन लाभ को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार का रुख करना गलत नहीं है. सबसे जरूरी बात ये है कि अगर आप जोखिम उठाने का साहस रखते हैं तो लंबे वक्त के लिए (long term) विकसित देशों के बाजारों में निवेश कर सकते हैं.

6. आपातकालीन फंड (emergency fund)- जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है लेकिन हमें किसी बी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. उदाहरण के लिए कोरोना के साथ जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है. एक महामारी के दौर में हर चीज के लिए तैयर रहना होगा. इसलिये ऐसी स्थिति के लिए इमरजेंसी फंड बनाएं. इसके लिए हम ओवरनाइट पंड, लिक्विड पंड, लो ड्यूरेशन फंड या फ्लोटर फंड पर विचार कर सकते हैं. ऐसा करने पर ही हम अपने लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. लंबे वक्त तक निवेश करने से अच्छा रिटर्न मिलता है. सभी कंपनियों और क्षेत्रों को भविष्य में समान ग्रोथ या फायदा नहीं होगा. इसलिये गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. एक बार में कुल निवेश में परिवर्तन करना संभव नहीं है. लेकिन अगर हम निवेश को लेकर योजनाए पहले से बना लें तो भविष्य उज्ज्वल होगा.

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