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शिवसेना ने साधा निशाना, हरियाणा में 'जलियांवाला बाग'…किसानों के सिर क्यों फूटे!

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Published : Aug 30, 2021, 12:01 PM IST

शिवसेना का मुखपत्र सामना
शिवसेना का मुखपत्र सामना

हरियाणा में किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज (Lathi Charge on Farmers) को लेकर शिवसेना ने निशाना साधा है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में इसकी तुलना ‘जलियांवाला बाग’ और तालिबान शासन से की गई है.

मुंबई : हरियाणा में किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज (Lathi Charge on Farmers) को लेकर शिवसेना ने केंद्र और हरियाणा सरकार पर निशाना साधा है. अपने मुखपत्र 'सामना' में लाटीचार्ज की तुलना ‘जलियांवाला बाग’ और तालिबान शासन से की है.

सामना ने लिखा कि अफगानिस्तान में तालिबानी जिस तरह से हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देकर इंसानों को मार रहे हैं, उसी तालिबानी तरीके से हरियाणा में भाजपा सरकार ने सैकड़ों किसानों के सिर फोड़कर भारत माता की भूमि को खून से भिगो दिया है. स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाए जाने के बीच ये खून-खराबा हुआ. सामना में उपजिलाधिकारी आयुष सिन्हा के कथित वीडियो का भी जिक्र किया जिसमें ‘किसानों के सिर फूटने तक मारो, आंदोलन के लिए उतरे किसानों के सिर पर निशाना साधकर लाठी-डंडे मारो, सिर फूटना ही चाहिए' जैसे आदेश देते हुए वह नजर आए. शिवसेना ने तंज किया कि ‘किसानों के सिर फोड़नेवाली हरियाणा सरकार बर्खास्त करके वहां राष्ट्रपति शासन लगाओ’, ऐसी मांग अब कोई करनेवाला है क्या?

सामना ने लिखा कि मोदी सरकार का एक केंद्रीय मंत्री महाराष्ट्र में आकर मुख्यमंत्री को मारने की धमकी देता है. इसके संबंध में उस पर सूक्ष्म कानूनी कार्रवाई होते ही ‘महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाओऽऽऽ’ ऐसा शोरगुल मचानेवाले यही लोग हरियाणा के खून से लथपथ किसानों की तस्वीरें देखकर चुप हैं. कौन हैं ये उपजिलाधिकारी आयुष सिन्हा? किसानों का सिर फोड़ो ऐसा बेतुका आदेश देता है. ये अधिकारी पल भर भी नागरी सेवा में नहीं रहना चाहिए. उसकी बर्खास्तगी का काम तो सरकार कर सकती है कि नहीं? सरकार को जन आशीर्वाद चाहिए. वो किसानों के सिर फोड़कर मिलेगा क्या?

'किसानों के साथ हो रहा अमानवीय व्यवहार'

सामना ने लिखा कि पिछले वर्ष भर से पंजाब-हरियाणा के किसान दिल्ली की सीमा पर अपनी मांगों को लेकर ताल ठोंककर बैठे हुए हैं. धूप, हवा, बरसात, तूफान की परवाह किए बगैर वे वहां दृढ़तापूर्वक खड़े हैं. इस आंदोलन में अभी तक दो सौ के करीब किसान शहीद हुए हैं. किसान एक ही जगह डटे रहे, फिर भी सरकार का मन नहीं पसीजा. हजारों किसान संसद अधिवेशन के दौरान दिल्ली में आकर जंतर-मंतर रोड पर आंदोलन कर रहे थे लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कदम वहां मुड़े नहीं. किसानों के ‘मन की बात’ क्या है? उनके बाल-बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे इसके लिए तीन काले कृषि कानून को रद्द करो, यही उनकी मांग है. खेती का निजीकरण रोको और कृषि उत्पन्न बाजार समितियों को कॉर्पोरेट वालों के हाथों में जाने न दें, समर्थन मूल्यों का कानून बनाओ इसके अलावा बड़ी मांग क्या है? लेकिन इस मांग के लिए हजारों किसान गाजीपुर की सीमा पर वर्ष भर से बैठे हैं और सरकार उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है. इतना ही नहीं, शनिवार को आंदोलनकारी किसानों पर शैतानी हमला भी हुआ.

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शिवसेना ने कहा कि ब्रिटिश राज में किसानों के विरोध में कानून बनानेवाले साइमन के विरुद्ध किसानों के नेता लाला लाजपत राय सड़क पर उतरे थे. तब ब्रिटिश सोल्जर ने उन्हें ऐसे ही सिर फूटने तक मारा. उसमें लालाजी का अंत हुआ. आज हरियाणा में भी वही घटित हुआ. भाजपा की राज्य स्तरीय बैठक शुरू होने के बीच किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के विरोध में केवल नारेबाजी की इसलिए पुलिस ने सरकारी आदेश से किसानों की हत्या करने का प्रयास किया. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के विरोध में किसानों ने केवल नारेबाजी की इसलिए पुलिस ने गैर-कानूनी तरीके से उन बेगुनाह लोगों का सिर फोड़ा. इतना होने के बावजूद खामोशी अपनानेवाली भाजपा महाराष्ट्र में मंत्री को खा-पीकर जमानत देने के बाद भी शोरगुल मचा रही है. शिवसेना ने कहा कि जरा उस खट्टर सरकार के शैतानी राक्षसी हमले की ओर देखो. खून से लथपथ किसानों के सिर, दर्द से थरथरा रहे शरीर को देखो. वो तुम्हें क्यों नहीं दिखाई दे रहे?

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शिवसेना ने कहा कि अमृतसर में प्रधानमंत्री मोदी के हाथों जलियांबाला बाग स्मारक के नूतनीकरण का उद्घाटन समारोह शुरू होने के बीच एकदम पड़ोस के हरियाणा में किसानों का दूसरा जलियांवाला बाग घट रहा था लेकिन न ही दिल्ली सरकार जगह से हटी और न ही महाराष्ट्र की ‘जन आशीर्वाद’ यात्रा की सिसकियां फूटी. एक बात तो पक्की है, सरकार जो निर्घृणता का बीज बो रही है, उसमें कड़वा फल आए बिना नहीं रहेगा. देश के किसान उठ खड़े हों और किसानों के खून की हर बूंद का बदला लें, ऐसा यह मामला है. हरियाणा की ‘खट्टर’ सरकार को सत्ता में रहने का तनिक भी अधिकार नहीं, लेकिन ‘किसानों के खून की नदी बहाई इसलिए खट्टर सरकार को जन आशीर्वाद का अभिषेक मिला’, ऐसा कहने में भी ये लोग कमी नहीं करनेवाले.

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