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2023 की जीत के लिए हार्ड हिंदुत्व की ओर शिवराज! क्या इससे बढ़ेगा बीजेपी का 10% वोट शेयर?

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Published : Mar 25, 2022, 10:25 AM IST

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब हार्ड हिंदुत्व की ओर चल पड़े हैं. प्रदेश सरकार राम नाम के सहारे 2023 में नैया पार लगाने के हर संभव प्रयास कर रही है. यूपी सहित चार राज्यों में बीजेपी को मिली जीत से उत्साहित सर्वधर्म समभाव वाली छवि रखने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी जय श्री राम के नारे लगाए. सीएम ने पीएम नरेंद्र मोदी को अद्भूत पुरुष बताते हुए उन्हें जीत का श्रेय दिया. (CM Shivraj raised slogans of Jai Shri Ram)

भोपाल : मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज ने अब हार्ड हिंदुत्व की राह पर चलना शुरु कर दिया हैं. अभी तक मामा की छवि सर्वधर्म समभाव वाली रही है, लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ की जीत के बाद प्रदेश के मुखिया भी राम की राह पर चल पड़े हैं. शिवराज सिंह ने सभी मंत्रियों से त्यौहारों को देखते हुए निर्देशित किया है, होली मिलन समारोह मनाएं और जनता के बीच रंगपंचमी तक अबीर-गुलाल के साथ होली खेलें. इससे लोगों के बीच अच्छा संदेश जाएगा और आप की जमीनी पकड़ और मजबूत होगी.

हिन्दू वोट बैंक के सहारे बीजेपी बढ़ाएगी वोट शेयर: प्रदेश सरकार भी बीजेपी के वोटिंग अभियान को 42 से 52 फीसदी लाने के लिए मैदान में है. उसका फोकस हिंदुत्व के ऐजेंडे को आगे बढ़ाना है. जानकारों की मानें तो बीजेपी ने वोटिंग परसेंट को बढ़ाने की रणनीति में तय किया है, कि हिंदू वोटर्स को अपने तरफ कर लिया जाए तो आसानी से 52 प्रतिशत वोट बैंक पूरा हो सकेगा. साथ ही आने वाले सालों में बीजेपी को सत्ता का सुख मिलता रहेगा. अब बीजेपी सहित शिवराज के एजेंडा में हिंदू वोटर्स हैं.

2023 के मिशन को लेकर बनाई रणनीति: यूपी में बीजेपी को हार्ड हिंदुत्व का कार्ड फायदा का सौदा साबित हुआ, जिसने कमर तोड़ मंहगाई के साथ साथ पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को बेअसर कर दिया. इसी तर्ज पर अब शिवराज सरकार भी चल पड़ी हैं, आदिवासियों वोट बैंक को साधने की कवायद हम देख रहे हैं. ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा, सामान्य वर्ग के लिए आयोग और उन्हें साधने के लिये विशेष योजना पर फोकस. संघ के एजेंडे के मुताबिक हिन्दू वोट को फोकस करना है और इस वोट बैंक को साध लिया तो बीजेपी को 2023 का मिशन पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. हालांकि पार्टी अन्दर की रणनीति का खुलासा नहीं करना चाहती, उसका मानना है कि बीजेपी सर्व धर्म समभाव की नीति पर काम करती है. पार्टी सबका साथ सबका विकास की सोच के साथ आगे आयी है, कांग्रेस की ये मंशा गलत है कि शिवराज हार्ड हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं.

जनता ने कांग्रेस को नकारा, मुखर हुई बीजेपी: चुनावों में जिस तरह से कांग्रेस का सफाया हुआ है, उसको देखते हुए बीजेपी अब और मुखर होकर हिंदुत्व की बात करने लगी है. हालांकि मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा तो शिवराज सिंह के एजेंडे से हटकर खुले तौर पर संघ के हिंदुत्व की राह को बढ़ाने में आगे रहे हैं. अब कांग्रेस को भी लग रहा है कि वो मुस्लिम वोट बैंक के सहारे सत्ता में काबिज नहीं हो सकती. लिहाजा कांग्रेस भी हिन्दू वोट बैंक के लिए मंदिर मंदिर गई, लेकिन उसका ये मंत्र नही चला. हालांकि कांग्रेस बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व की राह को भ्रमित करने वाला बता रही है.

राम नाम के सहारे बीजेपी: सरकार ने एमपी में भी राम के नाम पर वोट भुनाने की तैयारी कर ली है. संस्कृति विभाग बड़ा आयोजन करने की तैयारी में है, सबसे भव्य समारोह ओरछा-चित्रकूट में होगा. जिन जगहों से राम गुजरे, नवरात्रि में वहां रामलीला होगी, जनजातियों से उनका लगाव दिखाने पर जोर दिया जाएगा. अब एमपी सरकार राम राज्य की बात करने लगी है, उसकी रणनीति हिन्दू वोट बैंक को रिझाने की है. संघ के एजेंडा को एमपी में भी आगे बढ़ाया जा रहा है, सत्ता और सरकार आने वाले त्यौहारों की तैयारी में जुट गई है. आने वाले दिनों में हर त्योहार उत्सव की तरह मनाया जाएगा.

राममय हुए सीएम शिवराज: यूपी सहित चार राज्यों में मिली जीत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यकर्ताओं से कहा कि 2023 की तैयारी में जुट जाएं. जिस तरह से यूपी में उम्मीद से ज्यादा सीटें बीजेपी को मिली उस लिहाज से प्रदेश भाजपा और शिवराज राम मय दिखाई दे रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण सरकार के बजट में दिखा, जहां भगवान श्रीराम का नाम लेकर बजट की शुरुआत की गई. इसके अलावा, सिर पर भगवा रंग की पगड़ी एवं गमछा पहनकर तथा तिलक लगाकर आये एक मंत्री ने भी सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया.

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मध्यप्रदेश बीजेपी हार्ड हिंदुत्व की तरफ: उत्तर प्रदेश की तरह ही इस बार प्रदेश की बीजेपी भी हार्डकोर हिंदुत्व की तरफ बढ़ चली है. अभी तक सीएम शिवराज को पोलाइट नेता माना जाता है, लेकिन योगी की जीत के बाद सीएम शिवराज भी राम राम गाने लगे हैं. एक वक्त वह था जब नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए टोपी पहनने से इंकार कर दिया था, तो वहीं भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ईद के दिन टोपी पहन कर बीजेपी खेमे को चौंका दिया था.

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